टीबी मुक्त राजस्थान की दिशा में क्रांतिकारी कदम: केंद्र सरकार ने दिए 29 अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को मंजूरी, अब मिनटों में फेफड़ों की स्क्रीनिंग संभव

केंद्र सरकार ने राजस्थान को 29 अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें दीं, जिससे जयपुर, अजमेर, अलवर, भरतपुर आदि जिलों में मिनटों में टीबी स्क्रीनिंग संभव होगी और राज्य टीबी मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठेगा।

Nov 17, 2025 - 11:42
टीबी मुक्त राजस्थान की दिशा में क्रांतिकारी कदम: केंद्र सरकार ने दिए 29 अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को मंजूरी, अब मिनटों में फेफड़ों की स्क्रीनिंग संभव

जयपुर/बीकानेर । राजस्थान को तपेदिक (टीबी) मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को 29 अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों की आपूर्ति को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह निर्णय न केवल टीबी निदान प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाएगा, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को भी मजबूत करेगा। इन आधुनिक उपकरणों के माध्यम से अब फेफड़ों की स्क्रीनिंग मात्र मिनटों में ही संभव हो सकेगी, जो पारंपरिक तरीकों से कहीं अधिक कुशल और प्रभावी साबित होगी।

टीबी के खिलाफ युद्ध में नया हथियार;  राजस्थान में टीबी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत टीबी के वैश्विक बोझ का लगभग 27 प्रतिशत वहन करता है, और राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। राज्य सरकार की 'टीबी मुक्त राजस्थान' अभियान के तहत अब तक हजारों मरीजों की पहचान और उपचार सुनिश्चित किया गया है, लेकिन निदान में देरी एक प्रमुख बाधा रही है। अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें इस समस्या का समाधान बनकर उभरेंगी।ये मशीनें अत्यंत हल्की और मोबाइल होती हैं, जिनका वजन मात्र 10-15 किलोग्राम होता है। इन्हें बैटरी से संचालित किया जा सकता है, जिससे बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में भी इनका उपयोग आसानी से हो सकेगा। पारंपरिक एक्स-रे मशीनों की तुलना में ये उपकरण 80-90 प्रतिशत कम विकिरण उत्सर्जित करते हैं, जो मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षित है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनके माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल इमेजिंग तुरंत प्राप्त हो जाती है, जिसे स्मार्टफोन या टैबलेट पर देखा जा सकता है। निदान की प्रक्रिया, जो पहले घंटों लगती थी, अब केवल 2-5 मिनट में पूरी हो जाएगी।

प्रमुख जिलों में वितरण: जयपुर से भरतपुर तक व्यापक कवरेज केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित इन 29 मशीनों का वितरण राज्य के विभिन्न जिलों में किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, जयपुर, अजमेर, अलवर और भरतपुर जैसे प्रमुख जिलों को प्राथमिकता दी गई है, जहां टीबी के मामले अपेक्षाकृत अधिक हैं। इसके अलावा, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर और सीकर जैसे अन्य संवेदनशील जिलों में भी ये मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक जिले में कम से कम 1-2 मशीनें आवंटित की जाएंगी, ताकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स में इनका उपयोग हो सके।राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "ये मशीनें विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए डिजाइन की गई हैं जहां सड़क संपर्क कमजोर है या मरीजों को अस्पताल पहुंचने में कठिनाई होती है। अब आशा कार्यकर्ता या मोबाइल टीम घर-घर जाकर स्क्रीनिंग कर सकेंगी।" यह कदम राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत आता है, जिसका लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है। राजस्थान सरकार ने भी इस दिशा में 2023 से ही विशेष अभियान चलाए हैं, जिसमें निशुल्क दवा वितरण और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।

तकनीकी विशेषताएं और लाभ: क्यों है यह गेम-चेंजर? अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें नवीनतम डिजिटल रेडियोग्राफी तकनीक पर आधारित हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:पोर्टेबिलिटी: इन्हें आसानी से ले जाया जा सकता है, यहां तक कि साइकिल या मोटरसाइकिल पर भी। तेज निदान: एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एकीकरण से टीबी के लक्षणों की स्वचालित पहचान संभव। लागत प्रभावी: एक मशीन की कीमत लगभग 5-7 लाख रुपये है, जो बड़े अस्पतालों के उपकरणों से कहीं कम है। पर्यावरण अनुकूल: कम ऊर्जा खपत और कोई रसायनों का उपयोग नहीं। इससे न केवल टीबी के शुरुआती चरण में ही पता चल जाएगा, बल्कि अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे निमोनिया या कोविड-19 के बाद की जटिलताओं की भी स्क्रीनिंग आसान हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे राज्य में टीबी का पता लगाने की दर 30-40 प्रतिशत बढ़ सकती है, जिससे उपचार की सफलता दर में भी इजाफा होगा।

चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं;  हालांकि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन प्रशिक्षण और रखरखाव की चुनौतियां बनी रहेंगी। विभाग ने पहले ही स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, अगले वित्तीय वर्ष में और 20-25 मशीनों की मांग केंद्र को भेजी जाएगी। मुख्यमंत्री की 'मुख्यमंत्री तपेदिक मुक्त अभियान' के तहत अब तक 5 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है, और ये मशीनें इस संख्या को दोगुना करने में सहायक सिद्ध होंगी।