रिश्वत मामले में पूर्व प्रिंसिपल को 3 साल की सजा: सीबीईएसई मान्यता के लिए मांगी थी 1 लाख की घूस
उदयपुर की विशेष अदालत ने केंद्रीय विद्यालय जावर माइंस के पूर्व प्रिंसिपल असलम परवेज को सीबीएसई मान्यता के लिए एक निजी स्कूल से 1 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में 3 साल कठोर कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
उदयपुर, 27 नवंबर 2025: राजस्थान के उदयपुर जिले की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय विद्यालय (केन्द्रीय स्कूल) जावर माइंस के पूर्व प्रिंसिपल असलम परवेज को रिश्वत लेने के गंभीर आरोप में तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यता दिलवाने के लिए 'परफेक्ट रिपोर्ट' तैयार करने की एवज में 1 लाख रुपये की रिश्वत मांगने से जुड़ा है। अदालत ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो शिक्षा क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
घटना का पूरा विवरण; मामला उदयपुर जिले के जावर माइंस क्षेत्र से जुड़ा है, जहां केंद्रीय विद्यालय जावर माइंस एक प्रतिष्ठित संस्थान है। पूर्व प्रिंसिपल असलम परवेज पर आरोप है कि उन्होंने एक निजी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधन से सीबीएसई की मान्यता प्राप्त करने में 'सहयोग' के नाम पर रिश्वत मांगी थी। स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई से मान्यता के लिए निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कराने का अनुरोध किया था, लेकिन परवेज ने 'परफेक्ट रिपोर्ट' (यानी बिना किसी कमी के आदर्श रिपोर्ट) सुनिश्चित करने के बदले 1 लाख रुपये की मांग की। घटना की तारीख जून 2022 बताई जा रही है, जब स्कूल प्रबंधन ने परवेज से संपर्क किया। परवेज ने रिपोर्ट में स्कूल की सुविधाओं, शिक्षकों की योग्यता और अन्य मानदंडों को 'परफेक्ट' दिखाने का वादा किया, लेकिन इसके लिए घूस की शर्त रखी। जब प्रबंधन ने इनकार किया, तो परवेज ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। आखिरकार, स्कूल प्रबंधन ने इस मामले की शिकायत लोकपाल (विजिलेंस) विभाग में दर्ज कराई। लोकपाल की टीम ने जाल बिछाकर परवेज को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। 15 जुलाई 2022 को एक गुप्त ऑपरेशन के दौरान, जब परवेज रिश्वत की पहली किश्त (50 हजार रुपये) लेने पहुंचे, तो उन्हें मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में पता चला कि परवेज ने पहले भी कई स्कूलों से इसी तरह की रिश्वत ली थी, लेकिन यह पहला मामला था जो पकड़ में आया।
अदालत की कार्यवाही और सजा उदयपुर की विशेष भ्रष्टाचार न्यायालय (स्पेशल कोर्ट फॉर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन) में चले लंबे मुकदमे के बाद, विशेष न्यायाधीश ने मंगलवार को फैसला सुनाया। अदालत ने असलम परवेज को निम्नलिखित धाराओं के तहत दोषी ठहराया:पीसी एक्ट की धारा 7: सार्वजनिक सेवक द्वारा रिश्वत लेना। धारा 13(1)(d): लोक सेवक द्वारा अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर लाभ प्राप्त करना। धारा 13(2): भ्रष्टाचार से जुड़े अपराधों के लिए सजा का प्रावधान। सजा के रूप में परवेज को 3 साल की कठोर कारावास (रिगोरस इम्प्रिजनमेंट) तथा 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। अदालत ने फैसले में कहा कि शिक्षा क्षेत्र में इस तरह का भ्रष्टाचार छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है और इसे कठोरता से दंडित किया जाना चाहिए। यदि जुर्माना न चुकाया गया, तो अतिरिक्त 6 महीने की कैद की सजा भुगतनी होगी।परवेज को गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया है। उनके वकील ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।
आरोपी का बैकग्राउंड असलम परवेज केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के लंबे समय से सेवा दे रहे अधिकारी थे। वे जावर माइंस शाखा में 2018 से प्रिंसिपल के पद पर तैनात थे। उनकी सेवा के दौरान स्कूल ने कई उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन यह मामला उनके करियर पर काला धब्बा साबित हुआ। जांच एजेंसियों के अनुसार, परवेज ने अपनी स्थिति का फायदा उठाकर कई निजी स्कूलों से 'मान्यता शुल्क' वसूला था। लोकपाल विभाग ने मामले की जांच के दौरान उनके बैंक खातों और संपत्ति की भी पड़ताल की, जिसमें कुछ संदिग्ध लेन-देन पाए गए।
प्रतिक्रियाएं और प्रभाव; लोकपाल विभाग के निदेशक ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "यह भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी मुहिम की बड़ी जीत है। शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।" स्कूल प्रबंधन ने गुमनाम रहते हुए कहा कि यह फैसला अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी है।