Rajasthan Assembly Monsoon Session:धर्मांतरण बिल पर रविंद्र भाटी का समर्थन, जूली ने उठाया सदन में आवाज दबाने का मुद्दा
राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में धर्मांतरण बिल पर तीखी बहस, समर्थन में साझा संस्कृति की बात, विपक्ष ने भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका जताई। विपक्षी नेता ने बोलने की आजादी छीने जाने का आरोप लगाया।
राजस्थान विधानसभा का 16वां मानसून सत्र जारी है, जिसमें राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म सम परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 पर तीखी बहस देखने को मिली। इस बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गहन चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न विधायकों ने अपने विचार रखे। बिल के समर्थन और विरोध में कई अहम बिंदु सामने आए, साथ ही सदन की कार्यवाही को लेकर भी विपक्ष ने आपत्ति जताई।
बिल के पक्ष में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि मानवता ही एकमात्र धर्म है और धर्मांतरण कानून की सख्त जरूरत है। उन्होंने अपने क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा, "मैं उस क्षेत्र से आता हूं जहां कभी दंगे नहीं हुए। आजादी के 80 साल बाद भी हिंदू-मुस्लिम के बीच कोई उन्माद नहीं रहा। हमारी साझा संस्कृति रही है, जिसे जसवंत सिंह, तन सिंह, वृद्धि चंद जैन और गंगाराम जी जैसे नेताओं ने बढ़ावा दिया।" भाटी ने चिंता जताई कि भोले-भाले आदिवासी लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है और वोट बैंक की राजनीति के लिए समाज में जहर घोला जा रहा है। उन्होंने बिल को पारित करने की मांग की।
विपक्ष ने जताई आपत्ति, भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के विधायक सुभाष गर्ग ने बिल पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को इस विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने कहा, "भारत सरकार के बिल में भी इतनी बड़ी जुर्माना राशि का प्रावधान नहीं है। सभी की मंशा है कि धर्मांतरण न हो, लेकिन इस बिल के पीछे की मंशा संदिग्ध है।" गर्ग ने आशंका जताई कि बिल के प्रावधान पुलिस को मनमानी करने का मौका देंगे, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात के धर्मांतरण कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि उनमें भी इतनी बड़ी जुर्माना राशि का प्रावधान नहीं है। गर्ग ने यह भी कहा कि जैन धर्म के अधिकांश अनुयायी हिंदू हैं, और उन्हें भी इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है, जो अनुचित है।
आदिवासियों का स्वतंत्र धर्म कोड: BAP विधायक थावरचंद
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक थावरचंद ने आदिवासियों के स्वतंत्र धर्म कोड की बात उठाई। उन्होंने कहा, "आदिवासियों का अपना अलग धर्म कोड है। हम राजपूतों से पहले शासक थे, लेकिन स्वाधीनता के बाद हमारा स्वतंत्र कोड समाप्त हो गया। जो आदिवासी ईसाई बने, वे हिंदू धर्म से नहीं, बल्कि आदिवासी धर्म से बने।" उन्होंने सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासियों के अपने अलग देवता हैं और वे वर्ण व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं।
विपक्षी नेता टीकाराम जूली का आरोप: बोलने की आजादी छीनी जा रही
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन की कार्यवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा, जो नेता प्रतिपक्ष का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी विधायकों पर कैमरों के जरिए निगरानी की जा रही है। जूली ने मांग की कि अगर कैमरे लगाए जा रहे हैं, तो उनकी फुटेज को यूट्यूब पर लाइव दिखाया जाए, जैसा कि सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होता है।
संसदीय कार्य मंत्री का जवाब: सदन चलाने की जिम्मेदारी साझा
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है। उन्होंने कहा, "हमारी विधानसभा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सत्ता पक्ष पूरा प्रयास कर रहा है कि कोई गतिरोध न हो। स्पीकर भी सदन को चलाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।" पटेल ने विपक्ष से अपील की कि वे विधानसभा की परंपराओं को निभाने में सहयोग करें और किसी भी कमी को सदन के पटल पर रखें। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि कांग्रेस विधायक बिल पर चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।