चूरू सांसद राहुल कस्वां हजारों किसानों के साथ चूरू से जयपुर तक निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च: फसल बीमा क्लेम, MSP और अन्य मुद्दों पर हुंकार
चूरू सांसद राहुल कस्वां हजारों किसानों के साथ चूरू से जयपुर तक ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे; 500 करोड़ फसल बीमा क्लेम, MSP, खाद-बीज-पानी संकट जैसे मुद्दों पर केंद्र-राज्य सरकार से हुंकार।
जयपुर/चूरू, 16 नवंबर 2025
राजस्थान की राजनीति में विपक्षी दल कांग्रेस के सबसे सक्रिय और मुखर सांसदों में शुमार चूरू लोकसभा क्षेत्र के सांसद राहुल कस्वां एक बार फिर किसानों की लड़ाई को सड़कों पर ले जाने की तैयारी में हैं। राहुल कस्वां ने ऐलान किया है कि वे चूरू क्षेत्र के विधायकों, इंडिया गठबंधन के अन्य प्रमुख नेताओं और हजारों किसानों के साथ मिलकर चूरू से जयपुर तक एक विशाल ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। यह मार्च खरीफ सीजन 2021 से लंबित लगभग 500 करोड़ रुपये के फसल बीमा क्लेम, खाद-बीज की भारी कमी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद में व्याप्त अव्यवस्था, बिजली-पानी की गंभीर किल्लत और किसानों से जुड़े अन्य ज्वलंत मुद्दों को लेकर आयोजित किया जा रहा है। यह मार्च न केवल चूरू-शीखर क्षेत्र के किसानों की एकजुटता का प्रतीक बनेगा, बल्कि पूरे राजस्थान में विपक्ष को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करेगा।
राहुल कस्वां का ऐलान: "संसद में नहीं सुनी गई तो सड़क पर आएंगे"राहुल कस्वां ने प्रेस वार्ता में मार्च की घोषणा करते हुए कहा, “विपक्ष में रहते हुए भी एक जनप्रतिनिधि का पहला दायित्व जनता की आवाज बनना है। मैंने संसद के दोनों सदनों में इन मुद्दों को बार-बार उठाया है, लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उदासीनता के कारण किसान आज भी न्याय से वंचित हैं। जब सदन में बात नहीं बनती, तो सड़क पर उतरना पड़ता है। यह ट्रैक्टर मार्च किसानों की हुंकार है और हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक किसानों का पूरा हक नहीं मिल जाता।”कस्वां ने आगे कहा कि खरीफ 2021 के फसल बीमा क्लेम अब तक लंबित हैं, जिससे हजारों किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, इस साल खाद और बीज की कमी ने फसल चक्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। MSP पर सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के कारण किसान अपनी उपज बाजार में सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हैं। बिजली कटौती और सिंचाई पानी की कमी ने सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। “ये मुद्दे सिर्फ चूरू के नहीं, पूरे राजस्थान के किसानों के हैं। हम जयपुर पहुंचकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेंगे,” कस्वां ने जोर देकर कहा।
मार्च की तैयारियां: हजारों ट्रैक्टरों का काफिला मार्च की तैयारियां जोरों पर हैं। चूरू जिले के विभिन्न ब्लॉकों – सुजानगढ़, रतनगढ़, तारानगर, राजगढ़, सरदारशहर और चूरू शहर – से हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ शामिल होंगे। इंडिया गठबंधन के स्थानीय विधायक, जैसे सुजानगढ़ से मनोज मेघवाल और अन्य, मार्च का नेतृत्व करेंगे। किसान संगठनों जैसे अखिल भारतीय किसान सभा और राजस्थान किसान यूनियन ने भी पूर्ण समर्थन का ऐलान किया है।मार्च चूरू शहर से शुरू होकर NH-52 और अन्य राज्य राजमार्गों से होते हुए जयपुर पहुंचेगा। रास्ते में सीकर, झुंझुनू और दौसा जैसे जिलों के किसान भी काफिले में जुड़ेंगे। अनुमान है कि 5,000 से अधिक ट्रैक्टर और 50,000 से ज्यादा किसान इसमें भाग लेंगे। जयपुर में विधानसभा और सचिवालय के सामने धरना-प्रदर्शन होगा, जहां किसान अपनी मांगों को लेकर नारे लगाएंगे और प्रतीकात्मक रूप से फसल अवशेष जलाएंगे।
राहुल कस्वां की संसदीय और जमीनी सक्रियता; राहुल कस्वां राजस्थान के उन गिने-चुने सांसदों में से हैं, जो विपक्ष में होने के बावजूद लगातार संसद में किसान हित के मुद्दे उठाते रहे हैं। लोकसभा में उन्होंने फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बड़े पैमाने पर क्लेम रिजेक्शन का मामला कई बार उठाया। पिछले सत्र में उन्होंने MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर सरकार को घेरा और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की पुरजोर वकालत की।जमीनी स्तर पर कस्वां की सक्रियता प्रशासन को भी मजबूर करती है। चूरू जिले में बीमा क्लेम वितरण के लिए उन्होंने कई बार कलेक्टर और एसपी से मीटिंग की, जिससे सैकड़ों किसानों को राहत मिली। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आर.के. शर्मा कहते हैं, “राहुल कस्वां ने साबित कर दिया है कि विपक्ष की भूमिका सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट या प्रेस रिलीज तक सीमित नहीं होती। असली विपक्ष वह है जो धरातल पर जनता के साथ खड़ा हो। यह ट्रैक्टर मार्च चूरू-शीखर के किसानों को एकजुट करने के साथ-साथ पूरे राजस्थान में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को नई ताकत देगा।”
मुद्दों का विस्तार: किसानों की पीड़ा फसल बीमा क्लेम: खरीफ 2021 से अब तक चूरू जिले में करीब 500 करोड़ रुपये के क्लेम लंबित। ओलावृष्टि, सूखा और कीटों से प्रभावित फसलों (बाजरा, ग्वार, मोठ) के क्लेम बीमा कंपनियों द्वारा खारिज किए जा रहे हैं।
खाद-बीज की कमी: यूरिया और DAP की कालाबाजारी, समय पर उपलब्धता न होने से रबी फसल बुआई प्रभावित।
MSP पर खरीद: सरसों, चना और गेहूं की खरीद में न्यूनतम लक्ष्य पूरा नहीं। किसान खुले बाजार में 20-30% कम दाम पर बेचने को मजबूर।
बिजली-पानी किल्लत: इंदिरा गांधी नहर में पानी की कमी, बिजली कटौती से सिंचाई पंप ठप।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य;
यह मार्च राजस्थान में आगामी पंचायत और निकाय चुनावों से पहले विपक्ष की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कस्वां की तारीफ करते हुए कहा कि यह मार्च किसान आंदोलन को नई दिशा देगा। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ BJP ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया, लेकिन किसान संगठनों का समर्थन विपक्ष के पक्ष में है।राहुल कस्वां का यह कदम एक बार फिर साबित करता है कि संसद हो या सड़क, किसानों की लड़ाई में वे सबसे आगे खड़े हैं। मार्च की सफलता पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन को गति देगी और सरकार पर दबाव बढ़ाएगी।