महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने आगामी नगर निकाय चुनावों को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। MNS ने मंगलवार को विपक्षी दलों की मांग का समर्थन करते हुए नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की। राज ठाकरे के नेतृत्व में MNS नेताओं ने राज्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर मतदाता सूची में गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई।
EVM पर सवाल और बैलेट पेपर की मांग
MNS नेता शिरीष सावंत ने कहा कि मतदाता सूची में अनियमितताएं दिखाई देती हैं, और वीवीपैट (वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के उपयोग में भी समस्याएं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने से जनता का भरोसा बढ़ेगा और प्रक्रिया पारदर्शी होगी। MNS के वरिष्ठ नेता बाला नांदगांवकर ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर आपको लगता है कि ठाकरे बंधु (राज और उद्धव) के एकजुट होने के बावजूद आप जीतेंगे, तो बैलेट पेपर से चुनाव कराने में क्या दिक्कत है?”
विपक्ष का एकजुट समर्थन
MNS की मांग को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शरद पवार की NCP ने भी समर्थन दिया है। शिवसेना (UBT) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा कि EVM और VVPAT से मतदान में देरी होती है, इसलिए बैलेट पेपर ही लोकतंत्र की रक्षा का एकमात्र रास्ता है। विपक्ष का कहना है कि 2024 के विधानसभा चुनावों में छह लाख नए वोटों की संदिग्ध वृद्धि ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
मतदाता सूची पर चिंता
MNS नेताओं ने राज्य चुनाव आयुक्त को सौंपी अपनी मांगों में मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर विशेष ध्यान देने की मांग की। शिरीष सावंत ने कहा, “हम चाहते हैं कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी हों, ताकि जनता को नतीजों पर कोई शक न रहे।” बाला नांदगांवकर ने लोकतंत्र के खतरे में होने की बात दोहराई और बैलेट पेपर को जनता का भरोसा जीतने का रास्ता बताया।
राज ठाकरे का पुराना रुख
राज ठाकरे लंबे समय से EVM के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। 2019 में उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मुलाकात कर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की थी। उन्होंने EVM में इस्तेमाल होने वाले अमेरिकी चिप्स पर हैकिंग का खतरा जताया था और 2019 के लोकसभा चुनावों में 370 सीटों पर वोटों की गिनती में गड़बड़ी का दावा किया था।