कंकड़ों की चेतावनी अनसुनी, चीखों में दफन मासूम: झालावाड़ हादसे में शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई

हादसे के बाद पीपलोदी गांव में गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों ने मनोहरथाना-अकलेरा रोड को बुराड़ी चौराहे पर जाम कर दिया, और मुख्यमंत्री के आने और मुआवजे की मांग की।

Jul 25, 2025 - 17:00
Jul 25, 2025 - 17:03
कंकड़ों की चेतावनी अनसुनी, चीखों में दफन मासूम: झालावाड़ हादसे में शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जब मनोहर थाना क्षेत्र के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत अचानक ढह गई। इस भयावह घटना में 8 मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 29 बच्चे घायल हो गए। हादसे ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया, और माता-पिता की चीख-पुकार ने हर किसी का दिल दहला दिया।

सुबह करीब 7:45 बजे, जब बच्चे स्कूल में प्रार्थना के लिए जमा हुए थे, अचानक छत भरभराकर गिर पड़ी। गांववासियों के मुताबिक, उस समय स्कूल में 71 बच्चे मौजूद थे। बारिश के कारण पहले से कमजोर हो चुकी छत ने इस त्रासदी को और भयावह बना दिया। स्थानीय लोगों और स्कूल स्टाफ ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, और जेसीबी मशीनों की मदद से मलबे से बच्चों को निकाला गया।

एक बच्ची, वर्षा राज क्रांति, ने बताया, "छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे। हमने बाहर खड़े टीचर्स को बताया, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। थोड़ी देर बाद ही छत गिर गई।" यह सुनकर यह सवाल उठता है कि अगर समय रहते सावधानी बरती गई होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच के आदेश, शिक्षकों पर कार्रवाई

हादसे के बाद प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने कहा, "सभी दबे हुए बच्चों को मलबे से निकाल लिया गया है। कुछ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और कुछ को घर पहुंचा दिया गया है। हम भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल जर्जर भवनों की सूची में शामिल नहीं था, और अब इसकी जांच की जाएगी कि हादसे के क्या कारण थे।

शिक्षा विभाग ने स्कूल की हेड मास्टर मीना गर्ग और चार शिक्षकों—जावेद अहमद, रामविलास लववंशी, कन्हैयालाल सुमन, और बद्रीलाल लोधा—को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, "यह बहुत दुखद घटना है। करीब 20 बच्चे घायल हैं, और 5 की मौत की खबर है। हमने जिला मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं।" उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राज्य में हजारों स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

घायलों की स्थिति: अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग

झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती 9 बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि दो बच्चों का ऑपरेशन चल रहा है, लेकिन उनकी हालत स्थिर है। अधिकतर बच्चे बेहोशी की हालत में अस्पताल लाए गए थे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि घायल बच्चों का इलाज सरकारी खर्चे पर किया जाएगा, और उनकी प्राथमिकता बच्चों का जल्द स्वस्थ होना है।

नेताओं का दुख: पीएम से लेकर विपक्ष तक ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "झालावाड़ के स्कूल में हुआ हादसा दुखद और हृदयविदारक है। मेरी संवेदनाएं प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी शोक व्यक्त किया, और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना जताई।

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, "सभी अफसरों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाए, ताकि स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार हो।"

मानवाधिकार आयोग का सख्त रुख

राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक, झालावाड़ के कलेक्टर, एसपी, और जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर 7 दिनों में एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, कलेक्टर को पीड़ितों की तत्काल सहायता और परिजनों को मुआवजा देने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्रामीणों का गुस्सा: सड़क जाम, मुआवजे की मांग

हादसे के बाद पीपलोदी गांव में गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों ने मनोहरथाना-अकलेरा रोड को बुराड़ी चौराहे पर जाम कर दिया, और मुख्यमंत्री के आने और मुआवजे की मांग की। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल की जर्जर हालत को लेकर पहले भी कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया।

पहले भी थी चेतावनी, फिर भी लापरवाही

हैरानी की बात यह है कि स्कूल के कुक और हेल्पर श्रीलाल भील ने बताया कि तीन दिन पहले स्कूल को 10 दिन की छुट्टी के लिए बंद करने की बात हुई थी, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया। जिला कलेक्टर ने स्वीकार किया कि जर्जर भवनों में स्कूल बंद करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस स्कूल का नाम सूची में नहीं था। यह सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, "कांग्रेस ने पांच साल में कुछ नहीं किया। हम युद्धस्तर पर स्कूलों को ठीक करने का काम कर रहे हैं।" लेकिन यह हादसा सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को फिर से उजागर करता है। जानकारी के मुताबिक, पीपलोदी स्कूल के लिए 4 करोड़ 28 लाख रुपये का बजट स्वीकृत था, लेकिन वित्त विभाग में फाइल अटकने के कारण मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका।

Yashaswani Journalist at The Khatak .