उदयपुर: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में एनएसयूआई का जोरदार प्रदर्शन, डीन मदन सिंह राठौड़ पर पक्षपात के गंभीर आरोप

उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने डीन मदन सिंह राठौड़ पर पक्षपात और छात्रों की समस्याओं को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने डीन के इस्तीफे और निष्पक्ष जांच की मांग की।

Nov 24, 2025 - 17:09
उदयपुर: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में एनएसयूआई का जोरदार प्रदर्शन, डीन मदन सिंह राठौड़ पर पक्षपात के गंभीर आरोप

उदयपुर, 24 नवंबर 2025: राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) के प्रशासनिक भवन के बाहर आज छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के डीन मदन सिंह राठौड़ पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और छात्र समस्याओं को नजरअंदाज करने के गंभीर आरोप लगाते हुए उनके पद से तत्काल हटाने की मांग की। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय में लगातार बढ़ रही अनियमितताओं के बावजूद प्रशासन समस्या का समाधान करने के बजाय छात्रों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अपना रहा है।

प्रदर्शन का कारण: अनियमितताओं का बोलबाला और प्रशासन की उदासीनता प्रदर्शन की शुरुआत सुबह करीब 11 बजे हुई, जब सैकड़ों एनएसयूआई कार्यकर्ता विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से प्रशासनिक भवन तक मार्च करते हुए पहुंचे। उनके हाथों में प्लेकार्ड और बैनर थे, जिन पर लिखा था – "डीन राठौड़ हटाओ, विश्वविद्यालय बचाओ", "छात्रों की समस्याओं का समाधान करो" और "पक्षपात बंद करो"। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एमएलएसयू में हाल के महीनों में परीक्षा प्रक्रिया, छात्रवृत्ति वितरण, और प्लेसमेंट से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आई हैं। इनमें देरी से रिजल्ट घोषित करना, फर्जी दस्तावेजों पर प्रवेश देना, और छात्रों के शोषण को बढ़ावा देने वाली नीतियां शामिल हैं।एनएसयूआई के स्थानीय अध्यक्ष ने प्रदर्शन के दौरान संबोधित करते हुए कहा, "विश्वविद्यालय का प्रशासन छात्रों की आवाज को दबाने पर तुला हुआ है। डीन मदन सिंह राठौड़ न केवल छात्रों की शिकायतों को अनसुना कर रहे हैं, बल्कि कुछ खास गुटों को फायदा पहुंचाने के लिए पक्षपात कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को पूरी तरह से खराब कर रहा है। हमारी मांग है कि डीन को तुरंत हटा दिया जाए और एक निष्पक्ष जांच समिति गठित की जाए।" शर्मा ने आगे बताया कि पिछले तीन महीनों में कम से कम 200 छात्रों ने विभिन्न अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

डीन मदन सिंह राठौड़ पर केंद्रित विरोध: कार्यशैली से छात्र परेशान

प्रदर्शन का मुख्य निशाना डीन मदन सिंह राठौड़ ही बने। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि राठौड़ की कार्यशैली अहंकारी और तानाशाहीपूर्ण है। वे छात्रों की व्यक्तिगत शिकायतों, जैसे हॉस्टल आवंटन में भेदभाव, फीस वृद्धि पर असर न डालने वाली छूट, और लैब सुविधाओं की कमी को पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं। एक महिला कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "डीन साहब केवल उन छात्रों की सुनते हैं जो उनके करीब हैं। बाकी सबको धमकाया जाता है। इससे विश्वविद्यालय का वातावरण विषाक्त हो गया है।"एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष ने भी मंच से कहा कि डीन के कार्यकाल में छात्रों के बीच असंतोष चरम पर पहुंच गया है। उन्होंने दावा किया कि यदि मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा, जिसमें विश्वविद्यालय के सभी विभागों को शामिल किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने डीन के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए और प्रशासनिक भवन के बाहर धरना देने की चेतावनी दी।

विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया: चुप्पी या कार्रवाई? विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। कुलपति कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदर्शन के बारे में सूचना दी गई है, लेकिन डीन राठौड़ ने व्यक्तिगत रूप से कोई टिप्पणी नहीं की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह केवल प्रारंभिक स्तर पर है। छात्र संगठनों का कहना है कि ऐसी घोषणाएं केवल आंदोलन को शांत करने के लिए की जाती हैं, जबकि वास्तविक बदलाव कभी नहीं आता।

पृष्ठभूमि: एमएलएसयू में बढ़ते विवाद मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, जो उदयपुर का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है, पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न विवादों में घिरा रहा है। 2023 में परीक्षा पेपर लीक का मामला सामने आया था, जबकि 2024 में छात्रवृत्ति घोटाले ने सुर्खियां बटोरीं। एनएसयूआई का यह प्रदर्शन इन पुरानी समस्याओं को फिर से उजागर करता है। संगठन ने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक स्तर बरकरार रहे।