बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ताजा मास्टरस्ट्रोक से सियासी समीकरणों को हिलाकर रख दिया है। पिछले 60 दिनों में नीतीश ने 10 बड़े ऐलान किए, जिनसे राज्य के साढ़े 7 करोड़ वोटरों में से करीब सवा 5 करोड़ को सीधा फायदा पहुंचने की उम्मीद है। इन घोषणाओं को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का ‘विनिंग फॉर्मूला’ माना जा रहा है, जो महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
नीतीश के 10 बड़े ऐलान
नीतीश कुमार ने 8 जुलाई 2025 को कैबिनेट बैठक में 43 प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें से 10 ऐलान युवाओं, महिलाओं, किसानों और कमजोर वर्गों को लक्षित करते हैं। इनमें 12 लाख सरकारी नौकरियों और 38 लाख रोजगार के अवसर, महिलाओं के लिए 35% आरक्षण, किसानों के लिए डीजल सब्सिडी, युवा आयोग का गठन, और पेंशन में तीन गुना वृद्धि जैसे कदम शामिल हैं। ये फैसले बिहार के 3.64 करोड़ महिला वोटरों और युवाओं को साधने की रणनीति का हिस्सा हैं।
महागठबंधन पर दबाव
महागठबंधन, जिसका नेतृत्व तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) कर रही है, के लिए नीतीश की ये घोषणाएं मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। 2020 के चुनाव में RJD ने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल किया था, लेकिन नीतीश की सामाजिक न्याय और विकास की रणनीति ने उनके वोट बैंक में सेंध लगाई है। खासकर, नीतीश की जातिगत जनगणना और अति पिछड़े वर्गों को साधने की नीति ने महागठबंधन के समीकरण को कमजोर किया है।
सवा 5 करोड़ वोटर्स पर नजर
नीतीश के ऐलान सवा 5 करोड़ वोटरों को सीधे प्रभावित करते हैं, जिनमें महिलाएं, युवा, किसान और पेंशनभोगी शामिल हैं। बिहार में कुल 7.63 करोड़ मतदाता हैं, और नीतीश की योजनाएं इनमें से 65% से अधिक को लाभ पहुंचाती हैं। विशेष रूप से, 35% महिला आरक्षण और पेंशन वृद्धि जैसे कदमों ने ग्रामीण और शहरी वोटरों में उनकी ‘सुशासन बाबू’ की छवि को और मजबूत किया है।
NDA का विनिंग फॉर्मूला
NDA, जिसमें जद(यू) और भाजपा मुख्य साझेदार हैं, नीतीश कुमार के चेहरे पर 2025 का चुनाव लड़ रही है। नीतीश ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए गठबंधन के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई है। उनकी रणनीति में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गई है। विश्लेषकों का मानना है कि ये ऐलान महागठबंधन के युवा और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को तोड़ सकते हैं।
महागठबंधन की चुनौतियां
महागठबंधन में RJD, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर तनाव है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की बात चल रही है, लेकिन AIMIM जैसी पार्टियों की संभावित एंट्री और सीमांचल में मुस्लिम वोटों का बंटवारा उनके लिए खतरा बन सकता है। नीतीश की योजनाओं ने उनके सामाजिक न्याय के दावे को कमजोर किया है, जिससे गठबंधन को नई रणनीति बनानी होगी।