भारतीय प्रोफेशनल्स पर भारी पड़ी H-1B फीस वृद्धि, कांग्रेस ने मोदी पर किया तीखा प्रहार
अमेरिका ने H-1B वीजा फीस को 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख रुपये किया, जिसे लेकर कांग्रेस ने पीएम मोदी की विदेश नीति को कमजोर बताते हुए तीखी आलोचना की। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे भारतीय टेक पेशेवरों के लिए झटका करार दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा की सालाना फीस को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 88 लाख रुपये (USD 100,000) करने का ऐलान किया। इस फैसले ने भारतीय टेक प्रोफेशनल्स और कंपनियों पर गहरा असर डाला है, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 70% से अधिक भारतीय हैं। इस कदम के बाद भारत में सियासी घमासान मच गया है, जिसमें कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को "कमजोर" और "खोखला" बताते हुए तीखा हमला बोला है।
राहुल गांधी का तंज: "भारत के पास कमजोर पीएम"
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी को "कमजोर प्रधानमंत्री" करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी 2017 की एक पोस्ट को दोबारा साझा करते हुए लिखा, "मैं दोहराता हूं, भारत के पास एक कमजोर पीएम है।" राहुल ने 2017 में भी दावा किया था कि पीएम मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ H-1B वीजा के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं की थी। उन्होंने इस बार भी यही आरोप दोहराया, जिसमें कहा गया कि मोदी की विदेश नीति भारतीय हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है।
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में समाचार लेखों का हवाला देते हुए कहा कि यह फैसला भारतीय टेक प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक नाकामी का सबूत बताया।
खड़गे का हमला: "मोदी-मोदी का नारा विदेश नीति नहीं"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे पर पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने इसे ट्रंप द्वारा मोदी को "जन्मदिन का रिटर्न गिफ्ट" करार दिया, जो हाल ही में पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर हुई उनकी टेलीफोन बातचीत के बाद आया। खड़गे ने X पर लिखा, "मोदी जी, आपके 'अबकी बार, ट्रंप सरकार' से मिले जन्मदिन के रिटर्न गिफ्ट से भारतीय दुखी हैं। H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर की सालाना फीस भारतीय टेक कर्मचारियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी।"
खड़गे ने आगे कहा कि विदेश नीति का मतलब "भारत को पहले रखना" और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है, न कि "भालू की तरह गले लगना, खोखले नारे लगाना, और कॉन्सर्ट आयोजित करना।" उन्होंने हाल के अमेरिकी कदमों, जैसे HIRE एक्ट और भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ, का हवाला देते हुए दावा किया कि इनसे भारत को 2.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया: विदेश नीति पर सवाल
कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ कूटनीतिक तनाव के दौरान साहसिक रुख अपनाया था, जबकि मोदी का "रणनीतिक चुप्पी और शोरगुल भरा प्रदर्शन" भारत के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने 2017 में ही इस तरह के कदम की चेतावनी दी थी, लेकिन पीएम मोदी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। खेड़ा ने X पर लिखा, "आठ साल बाद, राहुल गांधी एक बार फिर सही साबित हुए।"
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की विदेश नीति को कमजोर बताते हुए कहा कि यह भारत को अन्य देशों पर निर्भर बना रहा है। उन्होंने इस फैसले को भारतीय टेक कर्मचारियों के लिए हानिकारक बताया।
H-1B वीजा फीस वृद्धि का असर
H-1B वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। भारतीय आईटी पेशेवर इस वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी समूह हैं। नई फीस नीति के तहत, नियोक्ताओं को प्रत्येक H-1B वीजा आवेदन के लिए USD 100,000 का भुगतान करना होगा, जो पहले की तुलना में कई गुना अधिक है। यह नीति भारतीय आईटी कंपनियों और अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए लागत को काफी बढ़ा देगी।
कांग्रेस नेता प्रियंक खड़गे ने इसे "मोदी-डोलांड (डोनाल्ड ट्रंप) दोस्ती" का महंगा परिणाम बताया और कहा कि यह भारतीय टेक कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह नीति HIRE एक्ट और चाबहार बंदरगाह छूट समाप्त करने जैसे अन्य अमेरिकी कदमों के साथ मिलकर भारत के हितों को नुकसान पहुंचा रही है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क
ट्रंप प्रशासन ने इस फीस वृद्धि को राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिकी श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी बताया है। उनका दावा है कि H-1B वीजा का दुरुपयोग अमेरिकी श्रमिकों के अवसरों को कम करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, इस कदम से अमेरिकी कंपनियों को भी उच्च लागत का सामना करना पड़ेगा, जो कुशल विदेशी कर्मचारियों पर निर्भर हैं।
भारत के लिए चुनौतियां और भविष्य
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस फीस वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों को भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। हालांकि, अल्पकालिक रूप से, यह भारतीय पेशेवरों और कंपनियों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ाएगा।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है, और इसे पीएम मोदी की कथित "कमजोर" विदेश नीति का सबूत बताया है। पार्टी ने मांग की है कि सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत करे ताकि भारतीय हितों की रक्षा की जा सके।