20 साल पहले लगाया पीपल, बेटे सा प्यार दिया, कटते ही 90 साल की माँ ऐसी रोई मानो जवान बेटा बिछड़ गया
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के सर्रागोंदी गांव में 90 वर्षीय देवला बाई का 20 साल पुराना पीपल का पेड़, जिसे वह बेटे की तरह मानती थीं, एक जमीन व्यापारी द्वारा काटे जाने पर वह फूट-फूटकर रो पड़ीं। यह मार्मिक वीडियो वायरल हो गया। ग्रामीणों ने थाने पर प्रदर्शन कर इमरान मेमन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह घटना प्रकृति, आस्था और मानवीय भावनाओं के गहरे रिश्ते को दर्शाती है।

रायपुर, 12 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ तहसील अंतर्गत सर्रागोंदी गांव में एक ऐसी घटना घटी, जिसने न सिर्फ एक बुजुर्ग महिला का दिल तोड़ दिया, बल्कि पूरे गांव की आस्था को भी झकझोर कर रख दिया। 20 साल पहले अपने हाथों से लगाए गए एक विशाल पीपल के पेड़ को काटे जाने पर 90 वर्षीय देवला बाई पटेल फूट-फूटकर रो पड़ीं। वीडियो में वह कटे हुए पेड़ के ठूंठ को सीने से लगाए नम आंखों से अगरबत्ती जलाकर विदाई देती नजर आ रही हैं। यह दिल दहला देने वाला दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जहां लाखों लोग इसे प्रकृति के प्रति मानवीय लगाव और भावनाओं का प्रतीक बता रहे हैं।
घटना का पूरा विवरण: आस्था और ममता का प्रतीक था वह पीपल
यह घटना 10 अक्टूबर 2025 को दोपहर के आसपास घटी। सर्रागोंदी गांव की सरकारी जमीन पर स्थित यह पीपल का पेड़ करीब 20 साल पुराना था। देवला बाई ने इसे अपने आंगन के पास ही लगाया था और तब से हर रोज इसकी देखभाल करती रहीं। ग्रामीणों के अनुसार, वह पेड़ को अपने बेटे की तरह मानती थीं। सुबह-शाम पानी देना, त्योहारों पर पूजा-अर्चना करना, और पक्षियों को दाना चुराना—यह सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। पेड़ इतना विशाल हो चुका था कि गांववासी इसे 'देव वृक्ष' कहते थे। हर सोमवार को परिक्रमा की जाती, और विवाह-मुंडन जैसे संस्कारों में भी इसकी छत्रछाया ली जाती।लेकिन सदमे की बात यह है कि यह पेड़ एक जमीन व्यापारी के इशारे पर काट दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि खैरागढ़ निवासी इमरान मेमन नामक व्यापारी ने अपने साथी प्रकाश कोसरे के माध्यम से यह कटाई कराई। कारण? कथित तौर पर जमीन पर अतिक्रमण या सड़क चौड़ीकरण का बहाना बनाकर। ग्रामीणों का कहना है कि पेड़ सरकारी भूमि पर था और कटाई के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई। जब कटाई की मशीनें चलीं, तो देवला बाई दौड़कर पहुंचीं। पेड़ धड़ाम से गिरा, तो उनकी चीखें गांव की गलियों में गूंज उठीं। "ये मेरा बच्चा था... इसे क्यों मार दिया?"—यह उनकी उदासी भरी पुकार थी, जो वीडियो में कैद हो गई। आसपास के लोग भी भावुक हो गए; कईयों की आंखें नम हो गईं।
वायरल वीडियो: आंसुओं की यह विदाई ने दुनिया को रुला दिया
सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से फैल गया। X (पूर्व ट्विटर) पर #PeepalTreeViral और #ChhattisgarhEmotional जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "प्रकृति भी मां है, उसके गोद को काटने वाले कभी सुखी नहीं रहते।" दूसरे ने कहा, "यह सिर्फ पेड़ नहीं, 20 साल की यादों का अंबार था।" वीडियो में देवला बाई जमीन पर बैठी पेड़ के तने को सहलाती हैं, अगरबत्ती जलाती हैं और रोते हुए कहती हैं, "तू चला गया, अब कौन मेरी रक्षा करेगा?" यह दृश्य इतना मार्मिक है कि इसे देखकर लोग पर्यावरण संरक्षण के संकल्प ले रहे हैं। X पर 10 से अधिक पोस्ट्स में यह वीडियो शेयर हो चुका है, जिनमें से कई में ग्रामीणों के प्रदर्शन के फुटेज भी हैं।
ग्रामीणों का आक्रोश: थाने पर धरना, न्याय की गुहार
पेड़ कटने की खबर फैलते ही गांव में सन्नाटा छा गया। ग्रामीणों ने इसे धार्मिक आस्था पर हमला माना। प्रमोद पटेल नामक एक ग्रामीण ने तुरंत खैरागढ़ थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। अगले ही दिन, दर्जनों ग्रामीण थाने के बाहर उग्र प्रदर्शन करने पहुंचे। नारों से गूंजा थाना क्षेत्र: "पेड़ काटने वालों को सजा दो!", "आस्था की रक्षा करो!"। उन्होंने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा, जिसमें सख्त कार्रवाई की मांग की गई। ग्रामीणों का कहना है कि इमरान मेमन जैसे व्यापारी गांव की जमीनों पर कब्जा करने की फिराक में हैं, और यह घटना उसका हिस्सा है। एक ग्रामीण ने बताया, "जैसे कोई अपना मर गया हो, वैसा माहौल था। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।"
पुलिस कार्रवाई: आरोपी हिरासत में, गांव को न्याय का भरोसा
खबर के वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया। खैरागढ़ पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी इमरान मेमन और उसके साथी प्रकाश कोसरे को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को जेल भेज दिया गया है। एसपी राजनांदगांव ने बताया कि मामला धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और पर्यावरण संरक्षण कानूनों के उल्लंघन का है। वन विभाग की टीम भी जांच में जुड़ गई है। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा और नए पौधरोपण की योजना पर काम होगा। फिलहाल, गांव में शांति है, लेकिन लोग कहते हैं कि "एक पेड़ चला गया, लेकिन इसकी यादें और सबक हमेशा रहेंगी।"
पर्यावरण और आस्था का संदेश: एक पेड़, अनगिनत सबक
यह घटना सिर्फ एक पेड़ की कहानी नहीं, बल्कि मानव-प्रकृति के गहरे बंधन की है। देवला बाई जैसे लोग हमें याद दिलाते हैं कि पेड़ सिर्फ हरे-भरे नहीं, बल्कि भावनाओं के सहारा भी होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पीपल जैसे वृक्ष ऑक्सीजन के अलावा सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। हिंदू मान्यताओं में इसे ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। इस घटना ने सोशल मीडिया पर पर्यावरण जागरूकता अभियान छेड़ दिया है, जहां लोग #SaveTrees जैसे कैंपेन चला रहे हैं।देवला बाई आज भी अपने आंगन में बैठी उस खाली जगह को निहारती हैं। उनका कहना है, "नया पेड़ लगाऊंगी, लेकिन यह दर्द कभी न भरेगा।" यह कहानी हमें सिखाती है—विकास के नाम पर आस्था और प्रकृति को कुर्बान न करें।