सिगरेट का कश लेते ही उड़ी नौकरी, जालौर आयुक्त माथुर पर भ्रष्टाचार के 7 केस, फिर भी फील्ड पोस्टिंग... वायरल वीडियो ने तोड़ा सब्र,विभाग ने किया सस्पेंड .
जालौर नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त दिलीप माथुर को ज्ञापन लेते वक्त सिगरेट पीना महंगा पड़ा। वायरल वीडियो के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया। माथुर पर पहले से 7 केस दर्ज हैं, जिनमें 3 भ्रष्टाचार और 4 धोखाधड़ी से जुड़े हैं। यह घटना सरकारी अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उजागर करती है। जनता और सोशल मीडिया पर हंगामा, विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग।

जालौर, 12 अक्टूबर 2025: राजस्थान के जालौर शहर में एक छोटी सी लापरवाही ने वरिष्ठ अधिकारी की नौकरी पर भारी संकट ला दिया। नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त दिलीप सिंह माथुर को सरेआम सिगरेट पीने की आदत ने महंगा पड़ गया। एक वायरल वीडियो में वे जनता के बीच ज्ञापन लेते हुए बेझिझक धूम्रपान करते नजर आ रहे हैं, जिसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने फौरन उन्हें निलंबित कर दिया। यह घटना न सिर्फ सरकारी नौकरशाही की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि माथुर पर पहले से दर्ज सात आपराधिक मामलों की पृष्ठभूमि में कई सवाल भी खड़े कर रही है। आखिर इतने गंभीर आरोपों के बावजूद उन्हें फील्ड पोस्टिंग कैसे मिली? विभाग की यह कार्रवाई क्या महज दिखावा है या वाकई सुधार की दिशा में कदम?
घटना का पूरा विवरण: ज्ञापन लेते-लेते सिगरेट का कश, वीडियो ने मचाया हंगामा
जानकारी के अनुसार, यह घटना हाल ही में जालौर नगर परिषद कार्यालय के बाहर घटी। कुछ स्थानीय निवासियों और संगठनों के प्रतिनिधि एक ज्ञापन सौंपने पहुंचे थे, जिसमें शहर की सफाई, जल निकासी और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी शिकायतें दर्ज थीं। आयुक्त दिलीप माथुर खुद ज्ञापन लेने के लिए बाहर आए, लेकिन इस दौरान वे सिगरेट सुलगाते हुए नजर आए। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वे बिना किसी हिचकिचाहट के सिगरेट का कश ले रहे हैं, जबकि आसपास ग्रामीणों और बच्चों की मौजूदगी थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसे अनुशासनहीनता का प्रतीक बताते हुए विभाग से शिकायत की।वीडियो की शूटिंग एक आम नागरिक ने की, जो ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल था। इसमें माथुर न सिर्फ धूम्रपान कर रहे हैं, बल्कि वे हंसते-बोलते हुए ज्ञापन की बातें भी कर रहे हैं। वायरल होने के चंद घंटों बाद ही स्वायत्त शासन विभाग को इसकी सूचना मिल गई। विभाग ने इसे सरकारी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए तत्काल निलंबन का आदेश जारी कर दिया। निलंबन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यह कार्रवाई 'अनुशासनिक उल्लंघन' के आधार पर की गई है। फिलहाल, माथुर को विभागीय मुख्यालय भेज दिया गया है, और जांच जारी है।
पहले से 7 केस: 3 एसीबी में भ्रष्टाचार, 4 धोखाधड़ी के... फिर भी पोस्टिंग?
यह निलंबन माथुर के लिए पहली सजा नहीं है। उनके खिलाफ पहले से ही सात आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो उनकी छवि को और काला करते हैं। इनमें से तीन मामले राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में भ्रष्टाचार से जुड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, 2024 में जालौर में ही एक रिश्वतखोरी का केस दर्ज हुआ था, जिसमें माथुर पर निर्माण कार्यों में अनियमितताओं और रिश्वत लेने का आरोप लगा। एसीबी की जांच में पाया गया कि उन्होंने कुछ ठेकेदारों से अनुचित लाभ लिया, जिसके चलते विभागीय जांच भी चल रही है।बाकी चार मामले धोखाधड़ी से संबंधित हैं, जो विभिन्न थानों में दर्ज हैं। इनमें मुख्य रूप से सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी, फर्जी बिल पास कराने और संपत्ति घोटालों का आरोप है। एक मामले में तो कोर्ट ने भी नोटिस जारी किया था। आश्चर्यजनक बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद उन्हें जून 2025 में जालौर नगर परिषद में कार्यवाहक आयुक्त की फील्ड पोस्टिंग दी गई। स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह 'सत्ता के गलियारों में सेटिंग' का नतीजा हो सकता है। एक पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "माथुर जैसे अफसरों को डेस्क जॉब देने की बजाय फील्ड में भेजना विभाग की बड़ी चूक है। यह जनता के भरोसे को और तोड़ता है।"
सोशल मीडिया पर बवाल: मीम्स से लेकर सवालों तक, ट्रेंडिंग बना मुद्दा
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। ट्विटर (अब एक्स) पर#JaloreCommissionerSuspend जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने इसे 'धूम्रपान निषेध दिवस' से जोड़ते हुए व्यंग्य कसा, तो कुछ ने माथुर के पुराने केसों को खंगालते हुए सरकार पर सवाल उठाए। पत्रकार दिनेश बोहरा ने पोस्ट किया, "सिगरेट का कश लेते ही नौकरी गई, लेकिन भ्रष्टाचार के 7 केस पर चुप्पी क्यों?" वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "अफसर साहब जनता के बीच सिगरेट, जनता के पैसे में भ्रष्टाचार—कब सुधरेगा सिस्टम?"स्थानीय संगठनों ने भी स्वागत किया इस कार्रवाई का, लेकिन मांग की है कि पुराने केसों पर भी तेजी से एक्शन हो। जालौर जिला कलेक्टर ने कहा, "विभाग की कार्रवाई पारदर्शी है, आगे जांच पूरी होने पर और फैसला होगा।"
क्या कहते हैं विशेषज्ञ: अनुशासन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जरूरत
राजस्थान के प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं सरकारी तंत्र की कमजोर कड़ियों को उजागर करती हैं। पूर्व मुख्य सचिव सी.के. माथुर (कोई संबंध नहीं) ने कहा, "धूम्रपान जैसे छोटे उल्लंघन पर त्वरित कार्रवाई अच्छी है, लेकिन भ्रष्टाचार जैसे बड़े मुद्दों पर भी वैसी ही सख्ती होनी चाहिए। इसके अलावा, सिगरेट पीने को सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंधित सिगरेट एक्ट 2003 के तहत अपराध माना जाता है, जिसके चलते यह मामला और गंभीर हो जाता है।
जांच जारी, जनता की नजरें विभाग परमाथुर का निलंबन अस्थायी है, लेकिन एसीबी केसों की वजह से स्थायी कार्रवाई की संभावना है। जालौर नगर परिषद में अब एक आईएएस अधिकारी को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। स्थानीय निवासी उम्मीद कर रहे हैं कि यह घटना अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी बनेगी।