गुडिया चौधरी के नाम से फेक फेसबुक आईडी से होते है फोटो अपलोड: ग्रामीण महिलाओं की इज्जत पर बड़ा संकट
राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर और जालौर जिलों में 'गुडिया चौधरी' नाम की फेक फेसबुक आईडी ग्रामीण महिलाओं की तस्वीरें चुराकर अश्लील कैप्शन के साथ अपलोड कर रही है, जिससे पीड़ितों की इज्जत पर साया पड़ रहा है। यह साइबर बुलिंग का मामला है, जो IPC की धारा 354C, 509 और IT एक्ट की धारा 66E, 67 के दायरे में आता है। जागरूकता की कमी और शिकायत न करने से आरोपी की पहचान छिपी हुई है, जबकि पुलिस को सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
जोधपुर/बाड़मेर, 4 अक्टूबर 2025 राजस्थान के बाड़मेर,जोधपुर, जैसलमेर और जालौर जिले में सोशल मीडिया का एक काला चेहरा उभर रहा है। 'गुडिया चौधरी' नाम की एक फेक फेसबुक आईडी ने स्थानीय ग्रामीण महिलाओं और युवतियों की जिंदगी को नर्क बना दिया है। बिना अनुमति के अलग अलग सोशल मीडिया अकाउंट से ली गईं इन महिलाओं की तस्वीरें इस आईडी पर अपलोड की जा रही हैं, जिनके साथ अश्लील और अभद्र टाइटल लगाकर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि यह सब फॉलोअर्स और रीच बढ़ाने के लालच में हो रहा है, लेकिन आरोपी की पहचान अभी तक उजागर नहीं है। गुडिया चौधरी' नाम की यह फेक प्रोफाइल पिछले कई महीनों से सक्रिय है। इसमें बाड़मेर , बालोतरा, जैसलमेर जालौर और जोधपुर के ग्रामीण इलाकों की सैकड़ों महिलाओं की तस्वीरें चुराकर अपलोड की गई हैं। ये तस्वीरें ज्यादातर सामान्य हैं कभी शादी-ब्याह की,कोई पर्सनल पति पत्नी या भाई बहन के फोटो को सोशल मीडिया से चोरी की गईं। लेकिन इनके साथ लगाए गए कैप्शन और टाइटल इतने घिनौने हैं कि पढ़ने वाला शर्म से पानी-पानी हो जाए। एक पीड़ित (नाम गोपनीय) ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमारे गांव में एक लड़की की फोटो लगी तो पूरे मोहल्ले में हंगामा मच गया। लोग फोन पर ताने मारने लगे, लड़की घर से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं होती। ऐसी बदनामी से न सिर्फ परिवार टूटते हैं, बल्कि लड़कियां पढ़ाई-काम छोड़ देती हैं। यह आईडी 50 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स वाली है, जो साबित करता है कि लोग सस्ते सनसनीखेज कंटेंट के लिए शेयर करते रहते हैं।कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354C (voyeurism), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 66E (प्राइवेसी का उल्लंघन) तथा 67 (अश्लील सामग्री प्रसारित करना) के दायरे में आता है। अगर फोटो मार्फिंग या ब्लैकमेल शामिल हो, तो POCSO एक्ट या IPC की धारा 66A भी लागू हो सकती है। फेसबुक जैसी प्लेटफॉर्म्स पर फेक आईडी बनाना आसान है, लेकिन ट्रेस करना भी संभव है। IP एड्रेस, डिवाइस लोकेशन और लॉगिन हिस्ट्री से आरोपी तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि ज्यादातर पीड़ित शर्म या अनभिज्ञता के कारण शिकायत नहीं करते।" महिलाओं की बदनामी साइबर बुलिंग का रूप ले रही है, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
लेकिन यहां चुप्पी का राज क्या है?स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि ग्रामीण इलाकों में साइबर क्राइम सेल की कमी और जागरूकता की कमी बड़ी बाधा है। एक एनजीओ कार्यकर्ता ने कहा, "महिलाएं शिकायत करने से डरती हैं, क्योंकि समाज उन्हें ही दोषी ठहराता है। पुलिस को सक्रिय होकर ऐसे पेज रिपोर्ट करने चाहिए।" राजस्थान पुलिस के डीजीपी ने हाल ही में निर्देश जारी किए हैं कि साइबर क्राइम पर जीरो टॉलरेंस अपनाया जाए, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल धीमा लग रहा है।
सोशल मीडिया आजादी का प्रतीक है, लेकिन इसका दुरुपयोग महिलाओं के लिए खतरा बन गया है। 'गुडिया चौधरी' जैसी आईडी रीच बढ़ाने के चक्कर में सनसनी फैला रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे पेज अल्गोरिदम का फायदा उठाते हैं अश्लील कंटेंट ज्यादा व्यूज लाता है जिससे फॉलोअर्स बढ़ते हैं। भारत में हर साल 50 हजार से ज्यादा साइबर क्राइम केस दर्ज होते हैं, जिनमें 40% महिलाओं से जुड़े हैं।
एक सर्वे के अनुसार, राजस्थान जैसे राज्यों में 70% ग्रामीण महिलाएं सोशल मीडिया के खतरे से अनजान हैं। जालौर की एक महिला ने कहा, "हम फोन तो चलाते हैं, लेकिन प्राइवेसी सेटिंग्स नहीं जानते। फोटो चुरा ली जाती है,
यह मामला सिर्फ एक आईडी का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है। अगर समय रहते कदम न उठाए गए, तो ग्रामीण महिलाओं की मुस्कान हमेशा के लिए खो सकती है। सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों को अब जिम्मेदारी निभानी होगी। गुडिया चौधरी की आईडी का सच कब खुलता है? यह सवाल अब पूरे क्षेत्र में गूंज रहा है