शोकाकुल परिवारों के दर्द में डूबा जयपुर,SMS अस्पताल अग्निकांड में 8 मासूम जिंदगियां खाक, पूर्व CM गहलोत ने लगाई न्यायिक जांच की मांग.

जयपुर के SMS अस्पताल में सोमवार तड़के ट्रॉमा सेंटर के ICU में भीषण आग लगने से 7 मरीजों की मौत हो गई। शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई इस त्रासदी में कई घायल भी हुए। पूर्व CM अशोक गहलोत ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न्यायिक जांच की मांग की। परिवारों का गुस्सा फूटा, क्योंकि उन्हें शवों की जानकारी तक नहीं दी गई। सरकार ने जांच कमिटी बनाई और मुआवजे की घोषणा की, लेकिन सवाल बरकरार है—क्या होगी सख्त कार्रवाई?

Oct 6, 2025 - 14:29
Oct 6, 2025 - 14:29
शोकाकुल परिवारों के दर्द में डूबा जयपुर,SMS अस्पताल अग्निकांड में 8 मासूम जिंदगियां खाक, पूर्व CM गहलोत ने लगाई न्यायिक जांच की मांग.

जयपुर, 6 अक्टूबर 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर में सोमवार की सुबह एक दिल दहला देने वाली त्रासदी ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया। SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड में अचानक लगी भयानक आग ने 8 मरीजों की जिंदगी छीन ली, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से झुलस गए। यह हादसा अस्पताल प्रशासन की कथित लापरवाही का नंगा चेहरा उजागर करता नजर आ रहा है, जहां शॉर्ट सर्किट या इलेक्ट्रिकल फॉल्ट से आग की शुरुआत बताई जा रही है। पीड़ित परिवारों का गुस्सा फूट पड़ा है—वह भी तब जब उन्हें शवों की जानकारी तक नहीं दी जा रही। इसी बीच, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अस्पताल पहुंचकर शोक संतप्त परिवारों का दर्द साझा किया और सरकार से इस घटना की तत्काल उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की।

हादसे की भयावह तस्वीर: आग ने लील लीं 8 जिंदगियां

सोमवार तड़के करीब 4 बजे SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू-1 वार्ड में अचानक धुआं उड़ने लगा। शुरुआत में इसे मामूली शॉर्ट सर्किट समझा गया, लेकिन पलक झपकते ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। वेंटिलेटर पर जीवन रक्षक यंत्रों से जुड़े मरीजों को बचाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। जयपुर पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने पुष्टि की कि हादसे में 6 शवों को तुरंत बरामद किया गया, जबकि एक और मौत ने आंकड़े को 8 तक पहुंचा दिया। घायलों को नजदीकी वार्डों में शिफ्ट किया गया, लेकिन कई की हालत नाजुक बनी हुई है।अस्पताल के बाहर सन्नाटा पसरा था, जो जल्द ही पीड़ित परिवारों के चीख-चिल्लाहट से गूंजने लगा। एक परिजन ने रोते हुए कहा, "हमारे मरीज को बचाने की कोई कोशिश ही नहीं हुई। आग लगने के बाद भी स्टाफ गायब हो गया!" पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर, जो खुद अस्पताल में भर्ती हैं, ने भी इस लापरवाही पर सवाल उठाए। प्रारंभिक जांच में पता चला कि वार्ड में फायर सेफ्टी उपकरण अपर्याप्त थे और नियमित मेंटेनेंस की कमी ने हादसे को आमंत्रित किया। राज्य सरकार ने तुरंत एक उच्च स्तरीय कमिटी गठित की है, लेकिन पीड़ितों को अब भी न्याय का इंतजार है।

गहलोत का भावुक दौरा: 'पीड़ितों को बॉडी की जानकारी तक नहीं, ये अमानवीय है!'

सुबह होते ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत SMS अस्पताल पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले शोकग्रस्त परिवारों से गहन बातचीत की, उनके आंसू पोंछे और दर्द को अपना दर्द बताया। गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह घटना बेहद दुखद और हृदय विदारक है। ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में आग लगने से 8 लोगों की मौत ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को शांति मिले और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो।" गहलोत ने अस्पताल प्रशासन पर सीधी चोट की और कहा, "पीड़ित परिवारों को यह तक नहीं बता रहे कि उनके प्रियजनों के शव कहां रखे गए हैं और कब मिलेंगे। यह अमानवीय व्यवहार है! कम से कम इतनी जानकारी तो दी जानी चाहिए।" उन्होंने तुरंत चीफ सेक्रेटरी और मुख्यमंत्री को फोन किया तथा उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग दोहराई। गहलोत ने कहा, "मैंने सीएम से कहा है कि मैं उनसे विस्तार से बात करना चाहता हूं। इस हादसे की पारदर्शी जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराए।" उनका यह दौरा न केवल राजनीतिक था, बल्कि मानवीय संवेदना का प्रतीक बना। सोशल मीडिया पर भी गहलोत ने पोस्ट कर शोक जताया और सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की। विपक्ष के नेता के रूप में उनका यह कदम परिवारों को न्याय की उम्मीद जगाने वाला साबित हो रहा है।

परिवारों का आक्रोश: प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप

अस्पताल के बाहर धरना दे रहे पीड़ित परिवारों ने प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। एक महिला ने बताया, "हमारे रिश्तेदार को वेंटिलेटर पर रखा था, लेकिन आग लगने पर कोई अलार्म तक नहीं बजा। स्टाफ ने हमें बाहर धकेल दिया और खुद भाग गए।" परिवारों का कहना है कि फायर एक्सटिंग्विशर खराब थे और इमरजेंसी एक्जिट ब्लॉक थे। वे मांग कर रहे हैं कि शवों की तत्काल डिलीवरी हो और मुआवजे के साथ-साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी परिवारों का साथ दिया, जबकि भाजपा सरकार ने बचाव में कहा कि प्रारंभिक जांच चल रही है। राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, लेकिन परिवारों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट की कमी लंबे समय से एक समस्या रही है, जो अब घातक साबित हो रही है।

आगे की राह: जांच और सुधार की मांग

यह हादसा न केवल SMS अस्पताल, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलता है। पूर्व CM गहलोत की न्यायिक जांच की मांग को विपक्ष ने समर्थन दिया है, जबकि सरकार ने कमिटी गठित कर जांच का भरोसा दिलाया है। पीड़ित परिवारों के लिए अस्थायी राहत के तौर पर 5-5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गई है, लेकिन सवाल वही है—क्या यह पर्याप्त है? आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट तय करेगी कि लापरवाही के कितने चेहरे बेनकाब होंगे। फिलहाल, जयपुर का मौसम शोकमय है, जहां हर तरफ सवाल गूंज रहे हैं: आखिर कब सुधरेगा हमारा स्वास्थ्य व्यवस्था?