सतीश पूनियां के पुस्तक विमोचन में सांप-सीढ़ी की सियासत पर नेताओं की चुहलबाजी ने बांधा समां.

जयपुर के कांस्टीट्यूशन क्लब में रविवार को बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ का भव्य विमोचन हुआ। मंच पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़, टीकाराम जूली, मदन राठौड़ और बरजी बाई भील मौजूद रहे। नेताओं ने सियासत को 'सांप-सीढ़ी' का खेल बताते हुए हल्की-फुल्की चुहलबाजी की, जिसमें हरियाणा चुनाव और सत्ता की 'अग्निपरीक्षा' पर तंज कसे गए। पूनियां ने किताब को अपने विधायक अनुभवों का संकलन बताया, जबकि कटारिया ने जनसेवा पर जोर दिया। बरजी बाई ने संविधान और शिक्षा की ताकत को अपनी प्रेरणादायक कहानी से रेखांकित किया। यह आयोजन सियासत, साहित्य और संवाद का अनोखा संगम बन गया।

Oct 12, 2025 - 17:49
सतीश पूनियां के पुस्तक विमोचन में सांप-सीढ़ी की सियासत पर नेताओं की चुहलबाजी ने बांधा समां.

जयपुर, 12 अक्टूबर 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर के कांस्टीट्यूशन क्लब में रविवार को एक अनूठा आयोजन हुआ, जहां बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां की पहली पुस्तक 'अग्निपथ नहीं जनपथ' का विमोचन धूमधाम से संपन्न हुआ। यह आयोजन केवल एक किताब का लोकार्पण नहीं था, बल्कि सियासत, संवाद, हास्य और गंभीर चिंतन का एक अनोखा मिश्रण बन गया। मंच पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और भीलवाड़ा जिला प्रमुख बरजी बाई भील की मौजूदगी ने इस अवसर को और भी खास बना दिया।

सियासत में 'सांप डसने' की चुहलबाजी

कार्यक्रम की शुरुआत में नेताओं ने सियासत को 'सांप-सीढ़ी' का खेल बताते हुए जमकर ठहाके लगवाए। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मजाकिया अंदाज में कहा, "सतीश जी और मुझे सत्ता में आने से पहले ही सांप ने डस लिया। सतीश जी ने तो किताब लिखकर अपना दर्द बयां कर दिया, मैं भी अपने आलेख तैयार कर रहा हूं। उम्मीद है, मेरी किताब के विमोचन में भी कटारिया जी पधारेंगे।" इस पर कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने तंज कसते हुए जवाब दिया, "राजस्थान में आजकल सांप बहुत डस रहे हैं। राठौड़ जी हरियाणा बॉर्डर से हैं और पूनियां जी हरियाणा प्रभारी, मैं तो यह जानने आया हूं कि हरियाणा में कांग्रेस की हार कैसे हुई!" जूली का यह कटाक्ष हालिया हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार पर था, जिसने सभागार में हंसी की लहर दौड़ा दी। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी इस हल्के-फुल्के माहौल में अपनी बात जोड़ी और कहा, "इस सांप-सीढ़ी के खेल में राठौड़, पूनियां और मेरा नाम भी शामिल कर लीजिए। हम तीनों ही सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते सांप के मुंह में फिसल गए।" इन चुहलबाजियों ने माहौल को जीवंत कर दिया, लेकिन जल्द ही चर्चा गंभीर मुद्दों की ओर मुड़ गई।

गुलाबचंद कटारिया का गंभीर संदेश

पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने अपने संबोधन में लोकतंत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में नेताओं को हर पल अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। हमारी पहचान किसी पद या कुर्सी से नहीं, बल्कि जनता के बीच एक कार्यकर्ता के रूप में होती है।" कटारिया ने जनप्रतिनिधियों की उस प्रवृत्ति पर कटाक्ष किया, जहां वे तबादलों की सिफारिशें लेकर सचिवालयों के चक्कर लगाते हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि नेताओं को जनसेवा पर ध्यान देना चाहिए, न कि व्यक्तिगत हितों पर।

'अग्निपथ नहीं जनपथ': पूनियां के अनुभवों का लेखा-जोखा

पुस्तक के लेखक डॉ. सतीश पूनियां ने बताया कि 'अग्निपथ नहीं जनपथ' उनके विधायक कार्यकाल के अनुभवों का संकलन है। इस किताब में राजनीति की कठिनाइयों, जनसेवा की चुनौतियों और संवाद की कला को बखूबी दर्शाया गया है। उन्होंने कहा, "राजनीति में सफलता के लिए ज्ञान, संवाद और संवेदना का समन्वय जरूरी है। यह किताब मेरे उन अनुभवों की कहानी है, जहां सत्ता का 'अग्निपथ' छोड़कर जनता के 'जनपथ' पर चलना ज्यादा कठिन लगा।" पूनियां ने यह भी घोषणा की कि उनकी अगली किताब जल्द ही पाठकों के सामने होगी, जिसमें उनकी राजनीतिक यात्रा और पर्दे के पीछे की अनकही कहानियां शामिल होंगी।

बरजी बाई भील की प्रेरणादायक बातें

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं भीलवाड़ा जिला प्रमुख बरजी बाई भील ने अपनी सादगी और प्रेरणादायक कहानी से सभी का दिल जीत लिया। एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से उभरकर जिला प्रमुख बनने वाली बरजी बाई ने कहा, "संविधान की किताब ने मुझे बकरियां चराने से जिला प्रमुख की कुर्सी तक पहुंचाया। किताबों के ताले खुलने से हम जैसी महिलाओं को आगे बढ़ने का रास्ता मिला।" उनकी यह बात न केवल महिलाओं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा बन गई।

सियासत और साहित्य का अनोखा संगम

इस आयोजन में विभिन्न दलों के नेताओं की मौजूदगी ने इसे और भी खास बना दिया। बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने एक मंच पर आकर न केवल सियासी तंज कसे, बल्कि लोकतंत्र और जनसेवा के महत्व पर भी विचार साझा किए। यह विमोचन समारोह साहित्य और सियासत के बीच एक सेतु बन गया, जहां हंसी-मजाक ने माहौल को हल्का रखा और गंभीर चर्चाओं ने लोकतंत्र की मजबूती पर जोर दिया।

डॉ. सतीश पूनियां की यह पुस्तक न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों का दस्तावेज है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो राजनीति को जनसेवा का माध्यम मानता है। इस आयोजन ने साबित कर दिया कि सियासत के 'सांप-सीढ़ी' खेल में हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है जनता के प्रति जवाबदेही और संवेदनशीलता।