"बालोतरा में मेवाराम जैन के पोस्टर विवाद: सात संदिग्धों के नाम उजागर, न्यू मारवाड़ प्रिंटिंग प्रेस से छपे बैनर"
बालोतरा पोस्टर विवाद: पूर्व विधायक मेवाराम जैन के समर्थन में लगे बैनरों की जांच में पुलिस को मिली अहम सफलताराजस्थान के बाड़मेर जिले में हाल ही में छिड़े राजनीतिक विवाद के केंद्र में रहे पूर्व विधायक मेवाराम जैन के नाम से जुड़े पोस्टरों और बैनरों की पुलिस जांच ने अब नया मोड़ ले लिया है। अधिकारियों ने इस मामले में सात संदिग्धों के नाम उजागर किए हैं, जो कथित तौर पर इन प्रचार सामग्रियों को छपवाने के पीछे मुख्य भूमिका निभाने वाले हैं। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि ये सामग्री स्थानीय स्तर पर ही तैयार की गई थी, जिससे स्थानीय स्तर पर ही साजिश रचने का संकेत मिलता है।घटना का पृष्ठभूमियह मामला बालोतरा क्षेत्र से जुड़ा है, जहां हाल के दिनों में विभिन्न स्थानों पर मेवाराम जैन के नाम के साथ बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर लगाए गए थे। इनमें जैन को पूर्व विधायक के रूप में चित्रित करते हुए उनकी उपलब्धियों और राजनीतिक महत्व का प्रचार किया गया था। हालांकि, इनके लगाए जाने का समय और तरीका संदिग्ध पाया गया, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ गया। कुछ लोगों ने इन्हें अनधिकृत प्रचार का हिस्सा बताते हुए शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत संज्ञान लिया।पुलिस के अनुसार, ये पोस्टर मुख्य रूप से बाड़मेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते बालोतरा उपमंडल में वितरित किए गए थे। इन्हें रात्रि के समय चुपके से लगाया गया, ताकि सुबह होते ही लोगों की नजरों में आ जाएं। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो गया कि ये सामग्री किसी बड़े राजनीतिक अभियान का हिस्सा नहीं थी, बल्कि कुछ व्यक्तियों द्वारा सुनियोजित तरीके से तैयार की गई थी।पुलिस जांच की प्रक्रिया और खुलासेबालोतरा पुलिस स्टेशन की एक विशेष टीम ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल छानबीन शुरू की। टीम ने संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की, गवाहों से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध प्रिंटिंग प्रेसों की सूची तैयार कर उन पर नजर रखी गई। लगभग 48 घंटों की मेहनत के बाद पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग मिला – ये सभी पोस्टर और बैनर स्थानीय 'न्यू मारवाड़ प्रिंटिंग प्रेस' में ही छपवाए गए थे।प्रेस के मालिक और कर्मचारियों की पूछताछ से सात नाम सामने आए, जो इस गतिविधि में शामिल बताए जा रहे हैं। इनमें से कुछ स्थानीय व्यवसायी हैं, जबकि अन्य राजनीतिक समर्थक के रूप में पहचाने गए। पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (सार्वजनिक शांति भंग करने की कोशिश) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन सभी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जांच अधिकारी ने बताया कि प्रेस से बरामद रिकॉर्ड से यह साबित हो गया कि ऑर्डर एक ही व्यक्ति के माध्यम से दिया गया था, जो बाद में अन्य सहयोगियों को सौंपा गया।आरोपी और उनकी भूमिकापुलिस द्वारा नामित सात व्यक्तियों में मुख्य रूप से निम्नलिखित भूमिकाएं सामने आई हैं:प्रमुख संदिग्ध: एक स्थानीय ठेकेदार, जिन्होंने प्रिंटिंग का ऑर्डर दिया और वितरण की व्यवस्था की।
सहयोगी: दो प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारी, जो डिजाइन और छपाई में शामिल थे।
वितरणकर्ता: तीन अन्य व्यक्ति, जो पोस्टरों को विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिए जिम्मेदार थे।
समन्वयक: एक पूर्व कार्यकर्ता, जो समूची योजना का सूत्रधार माना जा रहा है।
इन सभी के मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं, ताकि और गहराई से जांच हो सके। प्रारंभिक पूछताछ में कुछ ने इसे 'समर्थन अभियान' बताया, लेकिन पुलिस इसे राजनीतिक साजिश के रूप में देख रही है।राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रभावइस खबर के बाद स्थानीय राजनीतिक हल में हलचल मच गई है। मेवाराम जैन के समर्थकों ने इसे 'राजनीतिक साजिश' करार दिया, जबकि विपक्षी दलों ने इसे अनुशासनहीनता का उदाहरण बताया। जिला प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी अनधिकृत प्रचार सामग्री तुरंत हटाई जाए, वरना सख्त कार्रवाई होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना आगामी चुनावी माहौल को और गरमा सकती है, खासकर बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में।पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने पर सभी तथ्य सार्वजनिक किए जाएंगे, और यदि कोई बड़ा नाम जुड़ा पाया गया तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल, बालोतरा में शांति बनी हुई है, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य की राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है, जो प्रचार के नए-नए तरीकों पर सवाल खड़े कर रहा है।