बस बनी आग का गोला 20 यात्री आग में जल कर हुए खाक,डीएनए से होगी पहचान.....
राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर एक निजी बस में भीषण आग लगने से 20 यात्रियों की मौत हो गई और 16 गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रारंभिक जांच में संदेह है कि यात्रियों के पास मौजूद पटाखों ने आग को भड़काया, जिससे बस में विस्फोट जैसी स्थिति बनी। स्थानीय लोग, सेना और फायर ब्रिगेड ने बचाव कार्य किया। घायलों को जोधपुर रेफर किया गया, और मृतकों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट शुरू हुआ। पीएम मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता का ऐलान किया। सीएम भजनलाल शर्मा ने त्वरित राहत के निर्देश दिए। यह हादसा सड़क सुरक्षा और पटाखों के परिवहन पर सवाल उठाता है।

जैसलमेर, 15 अक्टूबर 2025: राजस्थान के सुनहरी रेतों वाले जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर एक ऐसी त्रासदी घटी, जिसने पूरे देश को सिहरा दिया। जैसलमेर से जोधपुर की ओर जा रही एक निजी एसी स्लीपर बस अचानक आग की चपेट में आ गई और महज कुछ मिनटों में आग के गोले में बदल गई। इस भयावह हादसे में कम से कम 20 यात्रियों की जिंदगी जलकर राख हो गई, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से झुलस गए। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बस में 57 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं, बच्चे और परिवार शामिल थे। जांच में संदेह जताया जा रहा है कि यात्रियों के पास मौजूद पटाखों ने आग को भयानक रूप दिया, जिससे बस में विस्फोट जैसी स्थिति पैदा हो गई। यह घटना न सिर्फ सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती है, बल्कि त्योहारों के मौसम में पटाखों की लापरवाही के खतरे को भी उजागर करती है।
हादसे की भयावह तस्वीर: धुएं की लकीर से आग की लपटों तक का सफर
हादसा जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थैयत गांव के पास दोपहर करीब 3:30 बजे हुआ, जो शहर से महज 20 किलोमीटर दूर है। बस, जो केके ट्रैवल्स की नई (1 अक्टूबर 2025 को रजिस्टर्ड) थी, दोपहर लगभग 3 बजे जैसलमेर से रवाना हुई थी। चालक ने बताया कि बस हाईवे पर जैसे ही गति पकड़ रही थी, पीछे के हिस्से से धुआं उठने लगा। कोशिश की गई कि बस को रोका जाए, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कुछ ही पलों में पूरी बस धू-धूकर जलने लगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यात्रियों में भगदड़ मच गई—कई लोग खिड़कियों और दरवाजों से कूदकर बाहर निकले, लेकिन पीछे के डिब्बे में फंसे लोग आग की चपेट में आ गए। जांच एजेंसियां अब बस के अंदर मौजूद सामान पर फोकस कर रही हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि कुछ यात्री दीवाली के पटाखों को लेकर यात्रा कर रहे थे। इन पटाखों के कारण आग तेजी से फैली और संभवतः विस्फोट हुआ, जिससे बस का पिछला हिस्सा पूरी तरह तबाह हो गया। बस का इंजन, सीटें और सामान राख के ढेर में बदल चुके हैं। फॉरेंसिक टीम घटनास्थल पर साक्ष्य इकट्ठा कर रही है, ताकि आग का सटीक कारण—चाहे तकनीकी खराबी हो या पटाखों की लापरवाही—पता चल सके।
दिल दहला देने वाली कहानियां: एक परिवार के 5 सदस्यों की विदाई,
प्री-वेडिंग का सपना चूरइस हादसे की त्रासदी सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं। मरने वालों में एक ही परिवार के 5 सदस्य शामिल हैं, जो छुट्टियां मनाने जैसलमेर घूमने आए थे। एक घायल यात्री आशीष दवे ने बताया कि वह अपनी मंगेतर के साथ प्री-वेडिंग शूट के लिए आया था—उनकी शादी 11 नवंबर को तय थी। बस के आगे वाले हिस्से में बैठे होने के कारण वे समय रहते बाहर निकल पाए, लेकिन आशीष की आंखों की रोशनी बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है। एक अन्य घायल ने बताया कि बस में महिलाओं के जले हुए कपड़े और एक-दूसरे पर लाशें बिखरी हुईं थीं—दृश्य इतना भयानक था कि कोई कल्पना भी न कर सके। कुल 19 लोग बस में ही जिंदा जल गए, जबकि एक घायल ने जोधपुर जाते वक्त दम तोड़ा।स्थानीय लोग, राहगीर और सेना के जवान तुरंत बचाव में जुट गए। उन्होंने पानी और रेत फेंककर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फायर ब्रिगेड की टीम 10 मिनट में पहुंची, पर आग पर काबू पाने में आधा घंटा लग गया।
इलाज और पहचान की चुनौतियां: डीएनए टेस्ट बनेगा अंतिम सहारा
घायलों को सबसे पहले जैसलमेर के जवाहर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से 16 गंभीर मामलों को जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में शिफ्ट किया गया। परिजनों ने एंबुलेंस की सुविधाओं पर नाराजगी जताई—कई एंबुलेंस पुरानी और धीमी बताई गईं, जिससे इलाज में देरी हुई। कलेक्टर प्रताप सिंह ने डॉक्टरों को त्वरित इलाज के सख्त निर्देश दिए हैं। मृतकों की पहचान सबसे बड़ी चुनौती है। शव इतने जले हुए हैं कि चेहरा या कपड़े पहचानने योग्य नहीं बचे। जिला प्रशासन ने डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी है—परिवारों के सैंपल लिए जा रहे हैं, ताकि शव सौंपने से पहले मैचिंग हो सके। हेल्पलाइन नंबर (02992-252203) जारी किए गए हैं, जिससे प्रभावित परिवार संपर्क कर सकें।
नेताओं की संवेदना और राहत: पीएम का 2 लाख का ऐलान, सीएम ने संभाला मोर्चा
इस दुखद घटना पर पूरे देश से संवेदनाएं उमड़ीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहन शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के परिजनों के लिए 2-2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000-50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "यह हादसा अत्यंत दुखद है। प्रभावित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।"राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंगलवार शाम ही जैसलमेर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया, घायलों से मुलाकात की और अधिकारियों को हर संभव मदद के निर्देश दिए। सीएम ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "जैसलमेर में बस में आग लगने की घटना अत्यंत दुःखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएँ हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि घायल यात्रियों का सही इलाज हो और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जाए।" पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी शोक व्यक्त किया और तत्काल राहत की मांग की।
सबक और चेतावनी: पटाखों की लापरवाही न बने नई त्रासदी का कारण
यह हादसा नई बसों की सुरक्षा मानकों, सड़क परिवहन की निगरानी और त्योहारों में पटाखों के सुरक्षित परिवहन पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बसों में ज्वलनशील सामान ले जाना खतरनाक है, खासकर जब तकनीकी खराबी आग को ट्रिगर कर दे। प्रशासन ने जांच पूरी होने तक बस ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान किया है। जैसलमेर की यह घटना हमें याद दिलाती है कि सुरक्षा में थोड़ी सी लापरवाही पूरी जिंदगियां लील सकती है। प्रभावित परिवारों के लिए प्रार्थनाएं, और ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए कड़े कदमों की उम्मीद।