आदिवासी समाज के प्रखर नेता और जनसेवक नंदलाल मीणा का निधन, प्रदेश की राजनीति को अपूरणीय क्षति
राजस्थान के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदलाल मीणा का शनिवार को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। सात बार विधायक और एक बार सांसद रहे मीणा ने आदिवासी समाज और ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके निधन से प्रदेश की राजनीति को गहरा आघात पहुंचा है।

राजस्थान के वरिष्ठ आदिवासी नेता, सात बार विधायक और एक बार सांसद रहे पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा का शनिवार को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 78 वर्षीय नंदलाल मीणा लंबे समय से अस्वस्थ थे और गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से राजस्थान की राजनीति और विशेषकर आदिवासी समाज में शोक की लहर छा गई है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नंदलाल मीणा का जन्म 25 जनवरी 1946 को प्रतापगढ़ जिले के अंबामाता का खेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता किशनलाल और माता देवी बाई थे। बचपन से ही सामाजिक और राजनीतिक चेतना से जुड़े नंदलाल ने उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। 20 जून 1968 को उनका विवाह सुमित्रा देवी से हुआ, जिन्होंने चित्तौड़गढ़ जिला प्रमुख के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके एक पुत्र, हेमंत मीणा, और पांच पुत्रियां हैं।
चार दशक का शानदार राजनीतिक सफर
नंदलाल मीणा का राजनीतिक जीवन चार दशकों से अधिक का रहा। उन्होंने 1977 में उदयपुर ग्रामीण (अ.ज.जा.) निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पहला विधानसभा चुनाव जीता, जिसमें उन्होंने 20,263 मत प्राप्त कर निकटतम प्रतिद्वंदी को 10,445 मतों से हराया। इसके बाद उन्होंने सात बार विधायक और 1989-1991 तक सलूंबर से लोकसभा सांसद के रूप में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने तीन बार राजस्थान सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया, जिसमें 1978-1980, 1993-1998 और 2013-2018 तक जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों का नेतृत्व शामिल है। इसके अलावा, वे अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति, विशेषाधिकार समिति और संसदीय परामर्शदात्री समिति में सक्रिय रहे। संगठन में भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश कार्यसमिति, जनजाति मोर्चा और प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद संभाले।
नंदलाल मीणा ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में एक भी चुनाव नहीं हारा, जो उनकी जनता के बीच गहरी पैठ और विश्वास को दर्शाता है। उनके पुत्र हेमंत मीणा वर्तमान में राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हैं, जबकि उनकी पुत्रवधु सारिका मीणा प्रतापगढ़ जिला प्रमुख रह चुकी हैं।
आदिवासी समाज और विकास के लिए योगदान
नंदलाल मीणा को एक जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने गांव-ढाणी स्तर पर विकास को बढ़ावा देने, आदिवासी युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के लिए कई पहल कीं। आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके अधिकारों के लिए उनकी आवाज हमेशा बुलंद रही। उनके प्रयासों ने न केवल आदिवासी समुदाय बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति में एक अलग पहचान बनाई।
स्वास्थ्य और अंतिम दिन
नंदलाल मीणा लंबे समय से अस्वस्थ थे और अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 26 सितंबर को उनके स्वास्थ्य की स्थिति को स्थिर बताया गया था, और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उनकी निगरानी कर रही थी। हालांकि, शनिवार को उनकी हालत बिगड़ गई, और उन्होंने अंतिम सांस ली।
नेताओं की श्रद्धांजलि
नंदलाल मीणा के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "कैबिनेट मंत्री श्री हेमंत मीणा जी के पूज्य पिताजी व राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री श्री नंदलाल मीणा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व शोक संतप्त परिवारजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।" विभिन्न दलों के नेताओं ने उन्हें एक संघर्षशील, ईमानदार और समाज के सच्चे प्रहरी के रूप में याद किया।
अंतिम संस्कार
सूत्रों के अनुसार, नंदलाल मीणा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव अंबामाता का खेड़ा, प्रतापगढ़ में होगा, जहां परिवार, समर्थक और स्थानीय लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे।
राजस्थान की राजनीति में अपूरणीय क्षति
नंदलाल मीणा का निधन राजस्थान की राजनीति और आदिवासी समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी राजनीतिक विरासत और समाजसेवा की भावना उनके पुत्र हेमंत मीणा और समर्थकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।