जैसलमेर बस अग्निकांड हादसे में उजड़े परिवार को 10-25 लाख भजनलाल सरकार ने मुआवजा देने का किया ऐलान .

जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास एक प्राइवेट एसी स्लीपर बस में भीषण आग लगने से 21 लोगों की जान चली गई। चार घायल जोधपुर के अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं। आग का संभावित कारण शॉर्ट सर्किट या अनधिकृत एसी मॉडिफिकेशन बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राहत पैकेज की घोषणा की: तीन या अधिक सदस्य खोने वाले परिवारों को 25 लाख, अन्य मृतकों के परिजनों को 10 लाख और घायलों को 2 लाख रुपये। जांच शुरू, बस मालिक पर एफआईआर दर्ज, और पूरे राज्य में बसों की सुरक्षा जांच के आदेश। यह हादसा सड़क सुरक्षा की लापरवाही को उजागर करता है।

Oct 16, 2025 - 13:57
Oct 16, 2025 - 13:58
जैसलमेर बस अग्निकांड हादसे में उजड़े परिवार को 10-25 लाख भजनलाल सरकार ने मुआवजा देने का किया ऐलान .

जैसलमेर, 16 अक्टूबर 2025: राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास मंगलवार दोपहर एक भयावह हादसे ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। एक प्राइवेट एसी स्लीपर बस, जो जैसलमेर से जोधपुर की ओर 57 यात्रियों को लेकर जा रही थी, अचानक आग की लपटों में घिर गई। पलक झपकते ही बस आग के गोले में तब्दील हो गई, जिसमें अब तक 21 लोगों की जान चली गई है। चार घायल जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इस त्रासदी ने कई परिवारों को एक झटके में उजाड़ दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पीड़ितों के लिए तत्काल आर्थिक राहत की घोषणा की है, जिसमें तीन या अधिक सदस्य खोने वाले परिवारों को 25 लाख रुपये, अन्य मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।

हादसे की भयावहता: कैसे बनी बस कब्रगाह?

यह दिल दहलाने वाली घटना मंगलवार दोपहर को उस वक्त हुई, जब बस हाईवे पर तेजी से दौड़ रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस के पीछे से अचानक धुआं उठा। चालक ने बस को सड़क किनारे रोका, लेकिन इससे पहले कि यात्री कुछ समझ पाते, आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। खिड़कियों और दरवाजों से निकलने की कोशिश में लोग चीखते-चिल्लाते रहे, लेकिन ज्यादातर आग की लपटों में फंस गए। स्थानीय लोग और राहगीर मदद के लिए दौड़े, लेकिन आग इतनी भयंकर थी कि बस मिनटों में जलकर राख हो गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बस चित्तौड़गढ़ में नॉन-एसी कैटेगरी में रजिस्टर्ड थी, लेकिन मालिक ने इसे अवैध रूप से एसी में मॉडिफाई कर लिया था। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट या एसी के कंप्रेसर पाइप का फटना माना जा रहा है। कुछ स्थानीय लोगों ने अनुमान लगाया कि बस में दिवाली के लिए पटाखों का सामान ले जा रहे यात्रियों के बैग से चिंगारी भड़की हो सकती है, लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। परिवहन विभाग ने बस मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। 

टूटे परिवार, बिखरे सपने

इस हादसे ने कई परिवारों को एक झटके में उजाड़ दिया। सबसे दर्दनाक कहानी है बालेसर के लवारन गांव के सेना के जवान महेंद्र मेघवाल की। महेंद्र (35) अपनी पत्नी पार्वती (32), बेटियों खुशबू (8) और दीक्षा (5), और बेटे शौर्य (3) के साथ दिवाली मनाने गांव लौट रहे थे। जैसलमेर के इंद्रा कॉलोनी में रहने वाले महेंद्र सेना के गोला-बारूद डिपो में तैनात थे। पूरा परिवार आग में जिंदा जल गया। उनके पिता रामलाल और भाई भंवरलाल सदमे में हैं। गांव वालों ने बताया कि महेंद्र बेहद मिलनसार और मेहनती थे, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए बड़े सपने देखे थे। एक अन्य मार्मिक घटना में, जैसलमेर में प्री-वेडिंग शूट के लिए आए एक युवा जोड़े की भी इस हादसे में जान चली गई। उनकी शादी कुछ ही हफ्तों बाद होने वाली थी। स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान (42) भी इस बस में थे। वे पोकरण में एक मेडिकल स्टोर के उद्घाटन समारोह में जा रहे थे। आग में उनकी मौत हो गई, जबकि उनके साथी और केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्य मनोज भाटिया (38) किसी तरह बच निकले, लेकिन गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों में से 10 की लाशें इतनी जल चुकी हैं कि उनकी शिनाख्त नहीं हो पा रही है। प्रशासन ने डीएनए टेस्ट के लिए परिजनों से सैंपल लेना शुरू कर दिया है। जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में शुरू में घायलों को भर्ती किया गया, जहां से 16 गंभीर मरीजों को जोधपुर रेफर किया गया। चार मरीजों की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।  

सरकार का त्वरित एक्शन और राहत पैकेज

हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और प्रशासन मौके पर पहुंचा, लेकिन तब तक बस पूरी तरह जल चुकी थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा देर रात जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचे और घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह हादसा हृदयविदारक है। हम पीड़ित परिवारों के दुख में शामिल हैं और हर संभव मदद करेंगे।" सीएम ने तत्काल राहत पैकेज की घोषणा की:

25 लाख रुपये: उन परिवारों को, जिन्होंने तीन या अधिक सदस्य खोए हैं।

10 लाख रुपये: प्रत्येक मृतक के परिजनों को। 

2 लाख रुपये: प्रत्येक घायल व्यक्ति को।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स पर शोक जताते हुए लिखा, "जैसलमेर बस अग्निकांड अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुआवजे की घोषणा की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी जोधपुर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। परिवहन विभाग ने पूरे राज्य में बसों की सुरक्षा जांच के लिए विशेष अभियान शुरू करने का आदेश दिया है।

सुरक्षा नियमों की अनदेखी: एक बड़ा सवाल

यह हादसा सड़क सुरक्षा और परिवहन नियमों की घोर लापरवाही को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनधिकृत मॉडिफिकेशन, खराब मेंटेनेंस और ओवरलोडिंग ऐसी त्रासदियों का कारण बनती हैं। उसी दिन जयपुर में एक लो-फ्लोर बस में आग लगने की घटना भी सामने आई, सौभाग्य से उसमें कोई हताहत नहीं हुआ। जैसलमेर का यह अग्निकांड एक चेतावनी है कि बस ऑपरेटरों और परिवहन विभाग को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से लेनी होगी।