जैसलमेर बस हादसा थमा ही नहीं की बाड़मेर में स्कॉर्पियो-ट्रेलर की भिड़ंत से चार दोस्त जिंदा जले.....
जैसलमेर में बस अग्निकांड की त्रासदी का दर्द अभी ताजा था कि बाड़मेर के सिणधरी में एक और दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। मंगलवार देर रात मेगा हाईवे पर सड़ा गांव के पास स्कॉर्पियो और ट्रेलर की भीषण टक्कर के बाद आग लग गई। स्कॉर्पियो में सवार चार दोस्त—मोहनसिंह, शंभूसिंह, पांचाराम और प्रकाश जिंदा जल गए। चालक दिलीप सिंह गंभीर रूप से घायल होकर जोधपुर में जिंदगी-मौत से जूझ रहा है। दिवाली से पहले राजस्थान में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या ने सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तेज रफ्तार और लापरवाही को इस हादसे का कारण माना जा रहा है।

बाड़मेर 16 अक्टूबर 2025: राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में त्योहारों की खुशियों के बीच सड़क हादसों का काला साया मंडराता जा रहा है। महज दो दिन पहले जैसलमेर में एक चलती बस आग के गोले में बदल गई, जिसमें 20 से अधिक लोग जिंदा जल गए थे। उस दर्द की टीस अभी लोगों के दिलों में बसी भी न थी कि बाड़मेर जिले के सिणधरी थाना क्षेत्र में एक और दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। यहां बुधवार देर रात मेगा हाईवे पर एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो और ट्रेलर की आमने-सामने की भयंकर टक्कर हो गई, जिसमें स्कॉर्पियो में सवार चार युवा दोस्त आग की चपेट में आकर जिंदा जल गए। एकमात्र बचा युवक गंभीर रूप से झुलस गया और अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहा है। ये घटनाएं जैसे एक-दूसरे को चैलेंज दे रही हों, और जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सड़कों पर मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। क्या ये संयोग हैं या सड़क सुरक्षा की लापरवाही का नतीजा? सवाल गंभीर हैं।
जैसलमेर का दर्द अभी ठंडा भी न हुआ: 14 अक्टूबर को जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थैयत गांव के पास दोपहर करीब 3:30 बजे एक निजी एसी स्लीपर बस अचानक आग की लपटों में लिपट गई। बस में 57 यात्री सवार थे, जो जोधपुर की ओर जा रहे थे। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट या बस में रखे पटाखों के विस्फोट को आग का कारण बताया जा रहा है। बस मात्र 13 दिनों पुरानी थी, जिसे हाल ही में एसी में कन्वर्ट किया गया था। आग इतनी तेजी से फैली कि यात्रियों को बाहर निकलने का मौका ही न मिला। एक ही परिवार के पांच सदस्य, तीन बच्चे, चार महिलाएं और एक स्थानीय पत्रकार राजेंद्र सिंह चौहान समेत कम से कम 20 लोगों की जलकर मौत हो गई। 16 अन्य यात्री गंभीर रूप से झुलसे, जिनमें से कई के शरीर पर 70 प्रतिशत तक जलन हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये की सहायता राशि और घायलों को 50 हजार रुपये की घोषणा की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी दुख जताया। सीएम शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और घायलों से जोधपुर के एमजी अस्पताल में मुलाकात की। मृतकों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट चल रहे हैं, और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। यह हादसा न केवल सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि वाहनों की फिटनेस जांच और पटाखों के परिवहन पर भी बहस छेड़ रहा है।
बाड़मेर में नया सैलाब दोस्ती की शाम बनी अंतिम सफर: जैसलमेर के इस दर्द से उबरते ही बाड़मेर में एक नया सड़क कांड ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। बालोतरा के सिणधरी थाना क्षेत्र के सड़ा सरहद गांव के निकट बुधवार रात करीब 11 बजे डाबड़ गांव के पांच दोस्त स्कॉर्पियो में सवार होकर सिणधरी एक होटल में रात्रि भोजन करने पहुंचे थे। भोजन के बाद वे अपने गांव लौट रहे थे, जब हाईवे पर सामने से आ रहे एक ट्रेलर से स्कॉर्पियो की जबरदस्त टक्कर हो गई। टक्कर की तीव्रता ऐसी थी कि स्कॉर्पियो का अगला हिस्सा चूरन हो गया, ईंधन टैंक फट गया और दोनों वाहनों में तुरंत आग भड़क उठी। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया, और स्कॉर्पियो में सवार चार युवक लपटों की चपेट में फंस गए। उन्हें बाहर निकालने का कोई मौका न मिला, और वे मौके पर ही जिंदा जल गए। ट्रेलर में आग फैली, लेकिन उसका चालक बाल-बाल बच गया। स्थानीय लोग और राहगीरों ने किसी तरह स्कॉर्पियो के चालक को बाहर खींचा, जो गंभीर रूप से झुलसा हुआ है।मृतकों की प्रारंभिक पहचान डाबड़ गांव के निवासियों मोहनसिंह (35 वर्ष) पुत्र धूड़सिंह, शंभूसिंह (20 वर्ष) पुत्र दीपसिंह, पांचाराम (22 वर्ष) पुत्र लुम्बाराम और प्रकाश (28 वर्ष) पुत्र सांपाराम के रूप में की गई है। ये सभी दोस्त थे और रोजगार के सिलसिले में सिणधरी आए थे। शवों की हालत इतनी खराब है कि डीएनए टेस्ट से ही पुष्टि होगी। घायल चालक दिलीप सिंह को स्थानीय लोगों की मदद से पहले सिणधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर के एमडीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार, उसके शरीर पर गंभीर जलन के निशान हैं और हालत नाजुक बनी हुई है। ट्रेलर चालक ने हादसे के तुरंत बाद दिलीप को बचाने की बहादुरी दिखाई, जिसके चलते एक जान बच सकी। उसे मामूली चोटें आई हैं। सिणधरी थानाधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में तेज रफ्तार, अंधेरा और लापरवाही मुख्य कारण लग रहे हैं। पुलिस ने वाहनों के मलबे को हटाने के लिए फायर ब्रिगेड और क्रेन बुलाई, और यातायात सामान्य कर दिया। मामला दर्ज कर सीसीटीवी फुटेज, चालकों की मेडिकल रिपोर्ट और वाहनों की फिटनेस की जांच चल रही है।
दोनों हादसों से उजागर सड़क सुरक्षा की पोल: जैसलमेर बस अग्निकांड और बाड़मेर स्कॉर्पियो हादसा—दोनों घटनाओं में आग ने जिंदगियां लील लीं, और दोनों ही मामलों में लापरवाही की बू आ रही है। जैसलमेर में नई बस का शॉर्ट सर्किट या पटाखे, तो बाड़मेर में तेज रफ्तार और खराब लाइटिंग। राजस्थान में अक्टूबर 2025 में ही सड़क हादसों में दर्जनों मौतें हो चुकी हैं, और दिवाली से पहले ट्रैफिक का बोझ बढ़ने से खतरा और ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों के दौरान थकान, नशा और स्पीड लिमिट की अनदेखी ऐसे हादसों को न्योता देती है। प्रशासन ने चेतावनी जारी की है—हाईवे पर स्पीड लिमिट का पालन करें, नशे में वाहन न चलाएं। सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान तेज करने और वाहनों की सख्त जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
शोक की लहर और सबक: डाबड़ गांव में चारों मृतकों के परिवारों पर दु:ख का पहाड़ टूट पड़ा है। रिश्तेदार रो-रोकर बेहाल हैं, और पूरा इलाका शोकमग्न है। डीएनए टेस्ट में देरी से परिजन व्याकुल हैं। जैसलमेर में भी परिवारों का बुरा हाल है—एक सेना जवान का पूरा परिवार मिट्टी में मिल गया। ये हादसे न केवल व्यक्तिगत नुकसान हैं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी हैं। क्या हम दिवाली की रोशनी में इन जिंदगियों की चिंगारियां भूल जाएंगे? पुलिस और प्रशासन से अपेक्षा है कि कड़े कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाले त्योहार सुरक्षित रहें।