प्रकृति का प्रकोप: मॉनसून की तबाही का तांडव
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से मॉनसून का कहर जारी है। भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने दोनों राज्यों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। हिमाचल के मंडी जिले में चार स्थानों पर बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है, तो उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ ने सड़कों, घरों और बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया है। मौसम विभाग ने दोनों राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

बादल फटने से मची तबाही हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने दस्तक देते ही कहर बरपाना शुरू कर दिया है। मंडी जिले में सोमवार सुबह चार जगहों पर बादल फटने की घटनाएं सामने आईं। कुकलाह में एक पुल के साथ कई गाड़ियां तेज बहाव में बह गईं। मंडी शहर में नाले उफान पर हैं, और कई घरों की जगह अब सिर्फ मलबा नजर आ रहा है। वहीं ब्यास और सतलुज नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। खबरों के मुताबिक, अब तक इस आपदा में 3 लोगों की मौत हो चुकी है, और 10 से ज्यादा लोग लापता हैं। वहीं कुल्लू और कांगड़ा जैसे जिलों में भी हालात गंभीर हैं।
मनाली-मंडी फोरलेन हाईवे पर एक टनल के प्रवेश द्वार पर पहाड़ धंसने से मलबा जमा हो गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। सैंज घाटी के जीवा नाले में बादल फटने से कई घर, दुकानें और एक स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो गए। मौसम विभाग ने मंगलवार को मंडी, कांगड़ा, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य जिलों में ऑरेंज और येलो अलर्ट लागू हैं। प्रशासन ने लोगों को नदियों और नालों से दूर रहने की सख्त हिदायत दी है।
सोलन के डिप्टी कमिश्नर मनमोहन शर्मा ने स्कूलों को बंद न करने का फैसला लिया है, लेकिन अभिभावकों से अपील की है कि अगर बच्चों को नदी-नालों के रास्ते स्कूल जाना पड़ता है, तो उन्हें घर पर ही रखें।
उत्तराखंड जिले में सरयू नदी भी उफान पर है, और उत्तरकाशी के सिलाई बैंड के पास बादल फटने की घटना में 9 लोग हताहत हुए, जिनमें से दो के शव बरामद किए गए हैं, जबकि 7 अभी भी लापता हैं । NDRF , SDRF और ITBP की टीमें तीसरे दिन भी रेस्क्यू अभियान में जुटी हैं।
हेवी रैन के कारण चारों ओर कहर मचा हुआ है
रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में एक टेम्पो ट्रैवलर के गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई, और नौ लोग लापता हैं। बद्रीनाथ और यमुनोत्री नेशनल हाईवे कई जगहों पर भूस्खलन के कारण बंद हैं, जिसके चलते 700 से अधिक तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम में फंसे हुए हैं। चमोली में नंदप्रयाग-नंदा नगर मार्ग पर भूस्खलन से सड़क कीचड़ में तब्दील हो गई, और एक वाहन फंस गया, हालांकि चालक सुरक्षित बच गया।
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, और स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। बद्रीनाथ हाईवे पर गोचर बंदखंड के पास मलबे के कारण लंबा जाम लग गया है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राहत और बचाव कार्य हिमाचल और उत्तराखंड में प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में युद्धस्तर पर जुटा है। हिमाचल में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। कुल्लू के सैंज में रेस्क्यू अभियान जारी है, और प्रभावित इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मंडी में ब्यास नदी के किनारे बसे पंचवक्त्र मंदिर के जलमग्न होने की खबरें भी सामने आई हैं....
उत्तराखंड में भी रेस्क्यू टीमें लगातार काम कर रही हैं। यमुनोत्री हाईवे को खोलने की कोशिशें जारी हैं ताकि फंसे हुए तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सके। प्रशासन ने लोगों से संवेदनशील इलाकों से दूर रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है।
क्यों बार-बार होती हैं ऐसी घटनाएं?
हिमाचल और उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं मॉनसून के दौरान आम हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन राज्यों की भौगोलिक स्थिति और पर्यावरणीय बदलाव इन आपदाओं को और गंभीर बना रहे हैं। जंगलों की कटाई, अनियोजित निर्माण और जलवायु परिवर्तन ने इन प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता को बढ़ा दिया है। 2013 की केदारनाथ त्रासदी इसका एक भयावह उदाहरण है, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी।
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए दोनों राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। हिमाचल में 7 जिलों (चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन) में फ्लैश फ्लड का खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड में भी चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। सरकार और प्रशासन ने प्रभावितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है, लेकिन मौसम की अनिश्चितता ने लोगों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया है।