जोधपुर:बावड़ी में बारिश के गड्ढे ने छीनी मासूम की जिंदगी, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
जोधपुर के बावड़ी क्षेत्र के गोविंदपुरा में 14 वर्षीय रवि बंजारा की बारिश के पानी से भरे गड्ढे में डूबने से दुखद मौत हो गई। पैर फिसलने के कारण यह हादसा हुआ। पुलिस ने शव को सीएचसी बावड़ी की मोर्चरी में रखवाया और जांच शुरू की। जलभराव और सड़क के गड्ढों ने एक मासूम की जान ले ली।

जोधपुर के बावड़ी क्षेत्र के गोविंदपुरा गांव में मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। महज 14 साल का मासूम रवि बंजारा, जो अपने परिवार का लाडला और भविष्य का सपना था, बारिश के पानी से भरे एक गड्ढे में डूबकर इस दुनिया को अलविदा कह गया। यह हादसा नन्हे रवि के परिवार के लिए एक ऐसी चोट बनकर आया, जिसका दर्द शायद ही कभी कम हो।
गोविंदपुरा गांव में भारी बारिश ने सड़कों को तालाब में तब्दील कर दिया था। गड्ढों में भरा पानी मासूम बच्चों के लिए खेल का मैदान नहीं, बल्कि मौत का जाल बन गया। रवि, बाबूराम बंजारा का इकलौता बेटा, उस दिन सड़क पर जमा पानी के गड्ढे को कौतूहल भरी नजरों से देख रहा था। मासूमियत भरी उसकी आंखें शायद बारिश की बूंदों में सपने बुन रही थीं, लेकिन किसे पता था कि यही गड्ढा उसकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन जाएगा। अचानक उसका पैर फिसला, और देखते ही देखते वह गहरे पानी में समा गया।
जैसे ही हादसे की खबर गांव में फैली, हर आंख नम हो गई। रवि के माता-पिता और परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। उनकी दुनिया का एकमात्र सहारा, उनका लाडला, अब उनके बीच नहीं था। सूचना मिलते ही खेड़ापा पुलिस चौकी के एएसआई किशनाराम अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। स्थानीय लोगों की मदद से रवि के नन्हे शरीर को पानी से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक वह अपनी आखिरी सांस ले चुका था। शव को पोस्टमार्टम के लिए बावड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की मोर्चरी में रखवाया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस हादसे ने एक सवाल छोड़ दिया—आखिर कब तक मासूम जिंदगियां ऐसे जलभराव और लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेंगी?
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। बारिश के मौसम में सड़कों पर गड्ढों और जलभराव की समस्या हर साल जानलेवा बन रही है। स्थानीय लोग प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि सड़कों की मरम्मत और जल निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, ताकि कोई और रवि इस तरह असमय काल के गाल में न समाए। रवि की मासूम हंसी अब सिर्फ यादों में बची है, और उसका परिवार उस दर्द के साथ जी रहा है, जो शायद कभी खत्म न हो।