भरतपुर में स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर अवैध वसूली: ग्रामीणों का गुस्सा भड़का, निशुल्क बदलाव पर 600-1000 रुपये वसूलने का आरोप
भरतपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क बताए जा रहे स्मार्ट मीटर बदलने के नाम पर वेंडर कंपनी के कर्मचारी 600 से 1000 रुपये तक वसूल रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पैसे नहीं देने पर मीटर नहीं बदला जा रहा। विभाग ने इसे पूरी तरह मुफ्त बताया है और शिकायत मिलने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
भरतपुर (राजस्थान), 6 दिसंबर 2025: राजस्थान के भरतपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में बिजली विभाग की 'स्मार्ट सिटी' परियोजना के तहत स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान तेज हो गया है। लेकिन यह अभियान ग्रामीणों के लिए किसी 'बोझ' से कम नहीं साबित हो रहा। स्मार्ट मीटर बदलने के नाम पर जीनम कंपनी की वेंडर फर्म 'स्टार एग्री' के कर्मचारियों पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि निशुल्क बताए जा रहे मीटर बदलाव के लिए उनसे 600 से 1000 रुपये तक की मनमानी राशि वसूली जा रही है। विभाग का दावा है कि मीटर लगाने का कोई शुल्क नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा, "पैसे नहीं तो मीटर नहीं लगेगा"।
ग्रामीण इलाकों में फैला आक्रोश: क्या है पूरा मामला? भरतपुर जिले के नदबई, वैर, कामां और गोवर्धन जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले एक सप्ताह से स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। बिजली वितरण निगम (एवेवीएनएल) ने 'उज्ज्वल भारत' अभियान के तहत पुराने मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने का लक्ष्य रखा है, जो उपभोक्ताओं को रीयल-टाइम बिजली खपत की जानकारी देगा और चोरी रोकने में मदद करेगा। लेकिन इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया है।स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, जीनम कंपनी (Genus Power Infrastructure) की सब-कॉन्ट्रैक्टर फर्म 'स्टार एग्री' के कर्मचारी घर-घर जाकर मीटर बदलने का कार्य कर रहे हैं। लेकिन वे मीटर बदलने से पहले 600 से 1000 रुपये तक की 'सुरक्षा जमा' या 'सेवा शुल्क' के नाम पर पैसे मांग रहे हैं। यदि ग्रामीण पैसे देने से इनकार करते हैं, तो मीटर नहीं बदला जाता। यह अवैध वसूली न केवल गरीब परिवारों के लिए आर्थिक बोझ बनी हुई है, बल्कि विभाग की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रही है।नदबई तहसील के एक गांव, खैरेया के निवासी ने बताया, "हमारे पुराने मीटर को स्मार्ट मीटर से बदलने आए तो कर्मचारियों ने कहा कि 800 रुपये लगेंगे, वरना मीटर नहीं लगेगा। हम किसान हैं, जहां पैसे की तंगी है, वहां यह वसूली कैसे बर्दाश्त करें? विभाग कहता है निशुल्क है, लेकिन ये लोग जबरन पैसे ले रहे हैं।" इसी तरह, वैर क्षेत्र की एक महिला ने शिकायत की, "मेरे घर पर 600 रुपये मांगे गए। जब मैंने मना किया तो उन्होंने मीटर छोड़ दिया। अब बिजली बिल में दिक्कत हो रही है।"
विभाग का पक्ष: 'कोई शुल्क नहीं, शिकायत पर कार्रवाई' बिजली विभाग के अधिकारियों ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया है। एवेवीएनएल के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कहा, "स्मार्ट मीटर लगाना पूरी तरह निशुल्क है। न तो कोई जमा राशि है और न ही कोई सेवा शुल्क। जीनम कंपनी और उसके वेंडर्स को साफ निर्देश दिए गए हैं कि कोई अतिरिक्त राशि न वसूली जाए। यदि कहीं अवैध वसूली की शिकायत मिलती है, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। हमने हेल्पलाइन नंबर 1912 भी जारी किया है, जहां ग्रामीण सीधे शिकायत दर्ज करा सकते हैं।"विभाग के अनुसार, भरतपुर सर्कल में अब तक 50 हजार से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, और लक्ष्य 2 लाख मीटरों का है। लेकिन वसूली के आरोपों से अभियान पर ब्रेक लग सकता है। अधिकारियों ने जीनम कंपनी को नोटिस जारी करने की बात कही है, जबकि स्टार एग्री फर्म के कर्मचारियों की जांच शुरू हो गई है।
ग्रामीणों का विरोध: 'पैसे नहीं तो मीटर नहीं' ग्रामीणों का आक्रोश इतना बढ़ गया है कि कई गांवों में मीटर बदलाव का कार्य ठप हो गया है। खैरेया और आसपास के गांवों में सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बैनर लगाए, जिन पर लिखा था: "निशुल्क मीटर या कोई मीटर नहीं!" एक ग्रामीण नेता ने कहा, "यह स्मार्ट मीटर नहीं, स्मार्ट ठगी है। हम विभाग से मांग करते हैं कि वसूली करने वालों पर एफआईआर दर्ज हो और मीटर बिना पैसे के लगें। अन्यथा हम बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।"स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन ने भी मामले को संज्ञान में लिया है। भरतपुर कलेक्टर ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें वेंडर्स की जवाबदेही तय करने पर चर्चा होगी।
स्मार्ट मीटर योजना: फायदे और चुनौतियां स्मार्ट मीटर योजना केंद्र सरकार की 'सौभाग्य' और 'उज्ज्वल डिस्कॉम' योजनाओं का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बिजली वितरण को पारदर्शी बनाना है। राजस्थान में 1 करोड़ से अधिक मीटर लगाने का लक्ष्य है, लेकिन जमीनी स्तर पर वेंडर्स की मनमानी और जागरूकता की कमी बड़ी चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी शिकायतें बढ़ीं, तो योजना की सफलता पर असर पड़ेगा।