हॉस्टल में मुफ्त शिक्षा के नाम पर लालच देकर धर्म परिवर्तन का आरोप....
अलवर के गोलेटा गांव में पुलिस ने एक हॉस्टल पर छापा मारा, जहां ईसाई मिशनरी पर बच्चों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का आरोप था। बच्चों को हिंदू देवताओं का अपमान कर ईसाई धर्म अपनाने की बात सिखाई जा रही थी। पुलिस को देख 50+ बच्चे दीवार फांदकर भागे। दो लोग हिरासत में, धार्मिक सामग्री जब्त। मामला जांच के अधीन।

अलवर, राजस्थान के एमआईए थाना क्षेत्र के गांव गोलेटा में स्थित सैय्यद कॉलोनी में बुधवार शाम को पुलिस ने एक हॉस्टल पर छापेमारी की, जहां ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित संस्था पर बच्चों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का आरोप लगा था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल की शिकायत पर की गई इस कार्रवाई के दौरान हॉस्टल में मौजूद 50 से अधिक बच्चे 10 फीट ऊंची दीवार फांदकर भागने लगे, जिससे वहां भगदड़ मच गई। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया और ईसाई धर्म से संबंधित किताबें व धार्मिक सामग्री जब्त की।
छापेमारी की पृष्ठभूमि
पुलिस को मिली शिकायत के अनुसार, इस हॉस्टल में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और रहने की सुविधा के नाम पर लालच दिया जा रहा था। आरोप है कि बच्चों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया जाता था। बच्चों ने बताया कि उन्हें सिखाया जाता था कि "असली भगवान ईसा मसीह हैं" और हिंदू देवताओं की पूजा करने से "नर्क" मिलेगा। इसके अलावा, हॉस्टल में फादर द्वारा मूर्तियों को पानी की बाल्टी में डुबोकर यह दिखाया जाता था कि हिंदू देवताओं की मूर्तियां डूब जाती हैं, जबकि ईसाई क्रॉस नहीं डूबता, जिससे बच्चों को यह समझाने की कोशिश की जाती थी कि हिंदू धर्म के देवता कमजोर हैं।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तार
छापेमारी के दौरान पुलिस ने अहमदाबाद के रहने वाले अमृत और अलवर के रामगढ़ के रहने वाले सोनू रायसिख को हिरासत में लिया। पुलिस के अनुसार, अमृत पहले भी सीकर में धर्म परिवर्तन के एक मामले में शामिल था और वर्तमान में जमानत पर है। हॉस्टल से ईसाई धर्म से जुड़े धार्मिक ग्रंथ, किताबें और अन्य सामग्री बरामद की गई। बच्चों ने पुलिस को बताया कि उन्हें हॉस्टल में रहने के लिए प्रति वर्ष 3,000 रुपये देने होते थे, जबकि खाने-पीने और रहने का पूरा खर्च संस्था उठाती थी। यह हॉस्टल तमिलनाडु की "नया जीवन संस्था" द्वारा संचालित बताया जा रहा है, और अमृत का हाल ही में यहां तबादला हुआ था।
बच्चों की स्थिति
हॉस्टल में अलवर के अलावा हनुमानगढ़ और दिल्ली के बच्चे भी रहते थे, जो अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई करते थे। बच्चों ने बताया कि उन्हें नियमित रूप से ईसाई प्रार्थनाओं में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था। छापेमारी के दौरान बच्चों के बीच डर का माहौल था, और पुलिस को देखते ही वे दीवार फांदकर भागने लगे। पुलिस ने बच्चों को शांत कर स्थिति को नियंत्रित किया और मामले की जांच शुरू की।
अन्य विवरण
हॉस्टल की एक महिला कर्मचारी मारथा ने बताया कि यह संस्था तमिलनाडु से संचालित होती है और बच्चों को शिक्षा और आवास प्रदान करती है। हालांकि, शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यह सब धर्म परिवर्तन के लिए एक सुनियोजित योजना का हिस्सा था। पुलिस ने मामले में गहन जांच शुरू की है और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की गतिविधियां धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं और कमजोर वर्गों को निशाना बनाती हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग इस कार्रवाई को धार्मिक आधार पर पक्षपातपूर्ण मान रहे हैं।पुलिस ने इस मामले में निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है और कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह घटना राजस्थान में धर्म परिवर्तन से जुड़े विवादों को और गर्म कर सकती है।