RAS अधिकारी की प्रोफेसर पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 40 लाख रुपये ठगे...

अजमेर में एक आरएएस अधिकारी की प्रोफेसर पत्नी को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 40 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने फर्जी कॉल के जरिए दावा किया कि उनके नाम से रजिस्टर्ड सिम से यौन उत्पीड़न के मैसेज भेजे जा रहे हैं। चार दिन तक दंपति को धमकाकर और वीडियो कॉल से निगरानी में रखकर ठगी की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की, जिसमें विदेशी सर्वर की भूमिका सामने आई। यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करती है।

Sep 4, 2025 - 16:42
RAS अधिकारी की प्रोफेसर पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 40 लाख रुपये ठगे...

अजमेर में एक सनसनीखेज डिजिटल अपराध का मामला सामने आया है, जिसमें एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) अधिकारी की पत्नी, जो पेशे से प्रोफेसर हैं, को साइबर ठगों ने निशाना बनाया। ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे लाखों रुपये ठग लिए। इस मामले में ठगों ने दावा किया कि उनके नाम से रजिस्टर्ड सिम कार्ड का उपयोग यौन उत्पीड़न (सेक्शुअल हैरेसमेंट) से संबंधित मैसेज भेजने के लिए किया जा रहा है। यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करती है, जिसमें ठग सरकारी अधिकारियों और शिक्षित लोगों को भी आसानी से निशाना बना रहे हैं।

घटना का विवरण

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह घटना अजमेर के सरस्वती नगर, धोलाभाटा क्षेत्र में रहने वाले 59 वर्षीय व्यवसायी एल्विस माइकल और उनकी 57 वर्षीय पत्नी पैगी माइकल के साथ हुई, जिनमें से पत्नी एक प्रोफेसर हैं। 15 जुलाई को पैगी के मोबाइल पर एक वीडियो कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी जैसे गंभीर आरोपों में जांच चल रही है। ठग ने उन्हें सहयोग करने और किसी से संपर्क न करने या घर से बाहर न निकलने की सख्त हिदायत दी।इसके बाद, एक अन्य नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को साइबर क्राइम विंग और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का अधिकारी बताया। इस कॉलर ने दावा किया कि उनके नाम से रजिस्टर्ड सिम कार्ड का उपयोग यौन उत्पीड़न से संबंधित मैसेज भेजने और अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। ठगों ने दंपति को डराने के लिए कहा कि यदि वे जांच में सहयोग नहीं करेंगे, तो मुंबई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अजमेर पहुंच जाएगी और उनके पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।

ठगी का तरीका

ठगों ने दंपति को चार दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। इस दौरान उन्हें लगातार वीडियो कॉल के जरिए निगरानी में रखा गया और धमकी दी गई कि यदि उन्होंने निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उनके परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा। ठगों ने पहले दंपति से जमीन खरीद के लिए 14 लाख रुपये ऑनलाइन जमा करने को कहा, यह दावा करते हुए कि यह राशि उनकी सुरक्षा के लिए है। इसके बाद, 18 जुलाई को ठगों ने उनसे उनके फिक्स्ड डिपॉजिट से 26 लाख रुपये एक निर्दिष्ट खाते में ट्रांसफर करने को कहा। इस तरह, कुल 40 लाख रुपये की राशि ठगों के खातों में स्थानांतरित कर दी गई।

पुलिस कार्रवाई

23 जुलाई को दंपति को अपने परिचितों से बात करने के बाद ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। अजमेर के साइबर पुलिस स्टेशन के सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) छोटू सिंह ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, विश्वासघात और जालसाजी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और ठगों के बैंक खातों की जानकारी जुटाने के लिए बैंकों से संपर्क किया गया है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ठगों ने विदेशी सर्वर, संभवतः हांगकांग से, कॉल किए थे, जो इस तरह के साइबर अपराधों में आम बात है।

डिजिटल अरेस्ट का बढ़ता खतरा

यह घटना डिजिटल अरेस्ट घोटालों की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, या अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वे फर्जी दस्तावेज, वीडियो कॉल, और धमकियों का उपयोग करके受害ियों को अपने जाल में फंसाते हैं। इस मामले में ठगों ने प्रोफेसर को यह विश्वास दिलाया कि उनके नाम से रजिस्टर्ड सिम कार्ड का दुरुपयोग हो रहा है, जिसके कारण उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी कॉल्स पर भरोसा न करें और तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षित और उच्च पदों पर आसीन लोग भी इन ठगों का शिकार बन रहे हैं, क्योंकि ये अपराधी मनोवैज्ञानिक दबाव और तकनीकी चालबाजियों का उपयोग करते हैं।

यह मामला न केवल साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे ठग उच्च शिक्षित और जागरूक लोगों को भी निशाना बना सकते हैं। पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है और ठगों को पकड़ने के लिए तकनीकी और बैंकिंग डेटा का विश्लेषण कर रही है। जनता को सलाह दी जाती है कि वे अनजान कॉल्स और मैसेज पर भरोसा न करें और किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।