खींवसर में बाढ़ से फसल तबाही: एनएसयूआई के नेतृत्व में किसानों का भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन

खींवसर में बाढ़ से फसल तबाही के विरोध में एनएसयूआई के अनिल सारण के नेतृत्व में 13 अगस्त को एसडीएम कार्यालय के सामने भूख हड़ताल और धरना होगा। किसान 2023 के बकाया मुआवजे और तत्काल राहत की मांग करेंगे।

Aug 12, 2025 - 16:29
Aug 12, 2025 - 16:31
खींवसर में बाढ़ से फसल तबाही: एनएसयूआई के नेतृत्व में किसानों का भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन

राजस्थान के खींवसर क्षेत्र में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। धान, बाजरा, और अन्य खरीफ फसलों के डूबने से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस आपदा के विरोध में और 2023 के बकाया मुआवजे की मांग को लेकर, एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के प्रदेश महासचिव अनिल सारण के नेतृत्व में 13 अगस्त 2025 को खींवसर के एसडीएम कार्यालय के सामने भूख हड़ताल और विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।

बाढ़ से फसल तबाही: किसानों की स्थिति

खींवसर क्षेत्र में मानसून की अत्यधिक बारिश और जलभराव के कारण सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि खेतों में पानी जमा होने से धान और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। कई किसानों ने बताया कि जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण यह समस्या और गंभीर हो गई है।

किसान रामलाल ने कहा, "हमारी पूरी फसल पानी में डूब गई है। नहरों और नालों की सफाई न होने से पानी खेतों में जमा हो गया, और अब हमारे पास आय का कोई साधन नहीं बचा।" एक अन्य किसान, श्यामलाल, ने बताया कि बाढ़ ने न केवल उनकी फसलों को नष्ट किया, बल्कि उनके परिवार की आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है।

एनएसयूआई का नेतृत्व और प्रदर्शन की योजना

एनएसयूआई प्रदेश महासचिव अनिल सारण ने किसानों की इस दुर्दशा को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "खींवसर के किसानों को बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार की ओर से न तो समय पर मुआवजा दिया जा रहा है और न ही जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था की गई है। 2023 का बकाया मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है, जो सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।"

13 अगस्त को होने वाले इस धरना प्रदर्शन में सैकड़ों किसानों के शामिल होने की उम्मीद है। अनिल सारण ने बताया कि यह भूख हड़ताल और धरना सुबह 10 बजे से शुरू होगा और तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती। किसानों की प्रमुख मांगें हैं:

  1. बाढ़ से प्रभावित फसलों के नुकसान का तत्काल मुआवजा।

  2. 2023 के बकाया मुआवजे का भुगतान।

  3. क्षेत्र में जल निकासी की बेहतर व्यवस्था।

  4. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत त्वरित कार्रवाई और पारदर्शिता।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और मुआवजा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाता है। हाल के समाचारों के अनुसार, गैर-ऋणी किसानों के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 14 अगस्त 2025 तक बढ़ा दी गई है, जबकि ऋणी किसान 31 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत धान की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर ₹86,000 की बीमा राशि तय की गई है, जिसमें किसानों को 2% प्रीमियम देना होगा।

हालांकि, किसानों का कहना है कि बीमा योजना के तहत मुआवजे की प्रक्रिया धीमी और जटिल है, जिसके कारण उन्हें समय पर राहत नहीं मिल पाती। अनिल सारण ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा, "किसानों को 72 घंटे से 7 दिन के भीतर नुकसान की सूचना कृषि अधिकारियों को देनी होती है, लेकिन कई बार अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रक्रिया में देरी होती है।"

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस प्रदर्शन के संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, कुछ अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण शुरू किया गया है, और प्रभावित किसानों को जल्द ही राहत प्रदान की जाएगी। इसके बावजूद, किसानों का गुस्सा सरकार की कथित उदासीनता के खिलाफ बढ़ता जा रहा है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .