सांजटा गांव में RCC कार्य के दौरान दो युवकों की दर्दनाक मौत से दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा.

बाड़मेर के सांजटा गांव में RCC कार्य के दौरान करंट की चपेट में आकर दो युवकों की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। हादसे के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा, और दूसरे दिन भी मोर्चरी के बाहर धरना जारी रहा। मृतकों के परिवार 1-1 करोड़ रुपये मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह चांदावत, DSP रमेश कुमार और तहसीलदार हुक्मीचंद मौके पर मौजूद हैं, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में उतरे। बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं, और प्रशासन ने जांच व मुआवजे का आश्वासन दिया है।

Oct 13, 2025 - 12:52
सांजटा गांव में RCC कार्य के दौरान दो युवकों की दर्दनाक मौत से दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा.

बाड़मेर, 13 अक्टूबर 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले के सांजटा गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। एक निर्माण स्थल पर आरसीसी (रिइन्फोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट) का काम करते हुए दो युवक अचानक करंट की चपेट में आ गए, जिससे मौके पर ही उनकी सांसें थम गईं। यह हादसा न केवल बिजली विभाग की लापरवाही का नंगा चेहरा उजागर करता है, बल्कि मजदूरों की जिंदगी की कीमत पर सवाल भी खड़े करता है। मृतक युवकों के परिजन न्याय की आस में दूसरे दिन भी मोर्चरी के बाहर धरना दे रहे हैं, जहां उनकी आवाजें गूंज रही हैं—एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दो!

घटना का पूरा विवरण: कैसे ले ली गईं दो जिंदगियां?

सांजटा गांव, जो बाड़मेर जिले के ग्रामीण इलाके में स्थित है, यहां एक निजी निर्माण परियोजना के तहत आरसीसी का कार्य चल रहा था। सूत्रों के अनुसार, मृतक युवक स्थानीय मजदूर थे, जो ऊंचाई पर काम कर रहे थे। अचानक ऊपर से गुजर रही हाई टेंशन बिजली लाइन के संपर्क में आने से करंट ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनों युवक बुरी तरह झुलस गए और इलाज का कोई मौका मिलने से पहले ही उनकी मौत हो गई। यह घटना शनिवार या रविवार को हुई, जिसकी पुष्टि स्थानीय रिपोर्ट्स से होती है।मृतकों के नाम अभी तक आधिकारिक रूप से जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन परिजनों का कहना है कि दोनों युवक परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। एक युवक की उम्र करीब 25-28 वर्ष बताई जा रही है, जबकि दूसरे की 30 वर्ष के आसपास। हादसे के बाद शवों को बाड़मेर के सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया, जहां से शुरू हुआ अब न्याय का सिलसिला। बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगे हैं कि निर्माण स्थल के पास हाई टेंशन तारों की दूरी का ध्यान नहीं रखा गया, न ही कोई सुरक्षा उपाय किए गए थे। मजदूरों को हेलमेट या इंसुलेटेड उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए गए,और भी दुखद बनाता है।

धरना: परिजनों का गुस्सा और प्रशासन की सौंपे गए वादे

मौत की खबर फैलते ही सांजटा गांव और आसपास के इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई। मृतकों के परिजन, रिश्तेदार और ग्रामीणों ने रविवार को मोर्चरी के बाहर धरना शुरू कर दिया, जो सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। धरना स्थल पर सैकड़ों लोग जमा हो गए, जो नारेबाजी कर रहे हैं और बैनर-स्लोगन के जरिए अपनी मांगें दोहरा रहे हैं।

मुख्य मांगें हैं:

प्रत्येक मृतक के परिवार को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा—यह राशि परिवार के भविष्य के लिए आर्थिक सहारा बनेगी। 

मृतकों के किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी—ताकि परिवार की आजीविका का कोई संकट न रहे।

परिजनों का आरोप है कि ठेकेदार और बिजली विभाग ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी की, जिसके चलते यह हादसा हुआ। एक परिजन ने भावुक होकर कहा, "हमारे लालों की जिंदगी की कीमत क्या है? वे तो बस परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत कर रहे थे। अब हमें न्याय चाहिए, वरना यह धरना और तेज होगा।"

प्रशासन की सक्रियता: अधिकारियों की मौजूदगी से बनी उम्मीद

धरना स्थल पर प्रशासन ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह चांदावत ने परिजनों से बातचीत की और मुआवजे व नौकरी की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया। डीएसपी रमेश कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली, जबकि तहसीलदार हुक्मीचंद ने स्थानीय स्तर पर समन्वय किया। इसके अलावा, सामाजिक कार्यकर्ता उदाराम मेघवाल भी धरना स्थल पर पहुंचे और परिजनों का साथ दिया। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक हादसा नहीं, सिस्टम की नाकामी है। हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हर मांग पूरी करवाएंगे।"प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, जिलाधिकारी स्तर पर बैठक बुलाई जा रही है, जहां बिजली विभाग के अधिकारियों को बुलाया जाएगा। मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करने और जांच समिति गठित करने की घोषणा भी होने वाली है। डीएसपी रमेश कुमार ने बताया कि हादसे की मजिस्ट्रेट जांच चल रही है, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

व्यापक प्रभाव: मजदूर सुरक्षा पर सवालों का दौर

यह घटना राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में निर्माण कार्यों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी जिले में बिजली लाइनों का विस्तार तो तेजी से हो रहा है, लेकिन सुरक्षा मानकों का पालन ढीला पड़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई टेंशन तारों के आसपास कम से कम 10-15 मीटर की दूरी रखनी चाहिए, और मजदूरों को प्रशिक्षण व उपकरण अनिवार्य होने चाहिए। पिछले कुछ महीनों में राजस्थान में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं, जहां करंट ने निर्दोष जिंदगियां लील लीं।सांजटा गांव के ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें जल्द पूरी न हुईं, तो धरना बड़े आंदोलन में बदल सकता है। फिलहाल, मोर्चरी के बाहर तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन न्याय की आस में परिजनों की आंखें नम हैं। बाड़मेर प्रशासन अब इस मामले को संवेदनशीलता से निपटाने की कोशिश में जुटा है।