सेना की जिप्सी पलटने से मेजर शहीद, महिला मेजर समेत चार घायल, लोंगेवाला का सफर बना अंतिम यात्रा....
जैसलमेर के गमनेवाला गांव के पास रविवार शाम एक दर्दनाक हादसे में भारतीय सेना की जिप्सी पलट गई, जिसमें मेजर टीसी भारद्वाज शहीद हो गए। लोंगेवाला की ओर बढ़ रहे इस दल में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत राय, मेजर अमित, मेजर प्राची शुक्ला और ड्राइवर नसीरुद्दीन गंभीर रूप से घायल हुए। सड़क के तीखे मोड़ पर बेकाबू हुई जिप्सी ने एक वीर सैनिक की जान ले ली और चार अन्य को जख्मी कर दिया। मेजर भारद्वाज की शहादत ने देश को झकझोर दिया, जबकि घायलों के लिए प्रार्थनाएं जारी हैं। यह हादसा हमें सैनिकों के बलिदान और जोखिमों की याद दिलाता है।

जैसलमेर, राजस्थान: रेगिस्तान की सुनहरी धरती पर बसे जैसलमेर में रविवार की शाम एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसने भारतीय सेना और स्थानीय लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया। तनोट थाना क्षेत्र के गमनेवाला गांव के पास सेना की एक जिप्सी अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें एक मेजर की जान चली गई और चार अन्य, जिनमें एक महिला मेजर और ड्राइवर शामिल हैं, गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दल ऐतिहासिक लोंगेवाला की ओर जा रहा था, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है। लेकिन यह सफर उनके लिए अंतिम साबित हुआ।
हादसे का भयावह मंजर
हादसा रविवार, 12 अक्टूबर 2025 को शाम करीब 5 बजे रामगढ़ से लोंगेवाला जाने वाली सड़क पर गमनेवाला गांव के निकट हुआ। तनोट थाना पुलिस के एएसआई अचलराम ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि सड़क पर एक तीखा मोड़ था, जहां जिप्सी चालक नियंत्रण खो बैठा। तेज रफ्तार या सड़क की स्थिति इस हादसे का कारण हो सकती है, हालांकि पूरी जांच के बाद ही सटीक कारण स्पष्ट होगा। जिप्सी के पलटते ही धूल का गुबार उठा और वाहन सड़क किनारे क्षतिग्रस्त हो गया।जिप्सी में सवार थे चार वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और एक ड्राइवर। ये सभी आधिकारिक ड्यूटी के तहत लोंगेवाला जा रहे थे। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग और सेना की टीमें मौके पर पहुंचीं। घायलों को तुरंत सेना की एम्बुलेंस से रामगढ़ के सैन्य अस्पताल ले जाया गया।
शहीद और घायल:
हादसे में मेजर टीसी भारद्वाज (33 वर्ष) ने दम तोड़ दिया। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के निवासी मेजर भारद्वाज एक होनहार और समर्पित सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने कम उम्र में ही सेना में अपनी पहचान बनाई थी। उनकी शहादत की खबर ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे सैन्य समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया। पोस्टमॉर्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर सेना को सौंप दिया गया, और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।घायलों में शामिल हैं:
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत राय (32 वर्ष): उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन उनकी हालत अब स्थिर है।
मेजर अमित (30 वर्ष): उनकी आंख के पास गहरी चोट लगी है, जिसका इलाज चल रहा है।
मेजर प्राची शुक्ला: इस महिला अधिकारी के सिर में गंभीर चोटें हैं, जो हादसे की तीव्रता को दर्शाती हैं।
ड्राइवर नसीरुद्दीन: सबसे दर्दनाक चोट उन्हें लगी, उनका बायां कान पूरी तरह कट गया।
सभी घायलों को रामगढ़ में प्राथमिक उपचार के बाद जैसलमेर के सैन्य अस्पताल में भर्ती किया गया है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं और उनकी हालत स्थिर है।
जांच के दायरे में हादसा
तनोट और रामगढ़ थाना पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है। एएसआई अचलराम के अनुसार, सड़क का मोड़ और संभवतः जिप्सी की गति हादसे का कारण हो सकती है। इसके अलावा, वाहन की मैकेनिकल स्थिति, सड़क की बनावट, और मौसम की भूमिका की भी जांच की जा रही है। रेगिस्तानी इलाकों में सड़कें अक्सर रेत और धूल से प्रभावित होती हैं, जिससे वाहन चालकों के लिए चुनौतियां बढ़ जाती हैं। सेना और पुलिस संयुक्त रूप से इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रही हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
लोंगेवाला: वीरता की गाथा, आज शोक में
लोंगेवाला, जहां यह सैन्य दल जा रहा था, भारतीय सेना के लिए एक गौरवशाली स्थल है। 1971 के युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने सीमित संसाधनों के बावजूद पाकिस्तानी सेना के बड़े हमले को नाकाम किया था। आज भी यह स्थान सैन्य प्रशिक्षण और प्रेरणा का केंद्र है। लेकिन इस हादसे ने इस गौरवमयी स्थल की ओर बढ़ रहे सैनिकों के कदमों को रोक दिया।
सेना और समाज में शोक की लहर
मेजर टीसी भारद्वाज की शहादत ने सेना के जवानों और अधिकारियों में गहरा दुख पैदा किया है। सोशल मीडिया पर लोग उनके बलिदान को सलाम कर रहे हैं और घायल अधिकारियों के जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने भी इस घटना पर दुख जताया है, क्योंकि जैसलमेर में सेना और नागरिकों के बीच गहरा जुड़ाव है। सेना ने अपने बयान में कहा, “हम अपने शहीद जवान को श्रद्धांजलि देते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।”आगे की राहयह हादसा न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह सैन्य परिवहन और सड़क सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है। रेगिस्तानी इलाकों में सड़कों की स्थिति, वाहनों की रखरखाव, और चालकों के प्रशिक्षण जैसे पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। सेना ने इस दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
जैसलमेर का यह हादसा हमें याद दिलाता है कि देश की रक्षा में जुटे सैनिक न केवल सीमा पर, बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करते समय भी हर पल जोखिम उठाते हैं। मेजर टीसी भारद्वाज की शहादत और उनके साथियों की बहादुरी को देश हमेशा याद रखेगा।