कालिका टीम की साहसिक कार्रवाई, रेलवे ट्रैक पर फंसी महिला की बचाई जान.
जोधपुर की कालिका टीम ने बासनी में रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या की कोशिश कर रही एक महिला को ट्रेन की चपेट से बचा लिया। पुलिस मित्र प्रेम सिंह कुंपावत की सूचना पर अनुपम, ज्योति और माया ने तुरंत कार्रवाई की, महिला को सुरक्षित निकाला और अस्पताल पहुंचाया। गृह क्लेश से परेशान महिला का इलाज और काउंसलिंग जारी है।

जोधपुर, 13 अक्टूबर 2025: जोधपुर की सड़कों से लेकर रेल की पटरियों तक, पुलिस कमिश्नरेट की विशेष 'कालिका टीम' ने एक बार फिर अपनी मानवीय संवेदना और त्वरित कार्रवाई से एक महिला की जिंदगी को मौत के मुहाने से वापस खींच लिया। यह दिल दहला देने वाली घटना न केवल कालिका टीम की सजगता की कहानी है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सहायता के लिए गठित इस विशेष इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करती है।
घटना का पूरा ब्योरा
यह घटना जोधपुर के बासनी औद्योगिक क्षेत्र द्वितीय चरण के पास, ट्रांसपोर्ट नगर के निकट रेलवे ट्रैक पर सुबह करीब 7:30 बजे की है। हड्डी मिल इलाके की रहने वाली एक महिला (जिसका नाम गोपनीय रखा गया है) गृह क्लेश और पारिवारिक मारपीट से तंग आ चुकी थी। मानसिक और भावनात्मक रूप से टूटी हुई यह महिला सुबह-सुबह घर से निकल पड़ी और रेलवे ट्रैक के बीचों-बीच खड़ी हो गई। सामने से तेज रफ्तार में आ रही ट्रेन की गड़गड़ाहट के बीच वह अपनी जिंदगी को खत्म करने के इरादे से खड़ी थी।उसी समय, पास ही लोटस गम इंडस्ट्रीज में कार्यरत पुलिस मित्र प्रेम सिंह कुंपावत की नजर इस महिला पर पड़ी। प्रेम सिंह ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझा और बिना एक पल गंवाए अपने मोबाइल फोन से कालिका टीम को सूचित किया। उन्होंने कालिका टीम की सदस्य अनुपम को फोन पर बताया कि एक महिला रेलवे ट्रैक पर खड़ी है और ट्रेन की चपेट में आने का खतरा है। अनुपम ने तत्काल इस सूचना को कालिका टीम की अन्य सदस्यों—ज्योति और माया—तक पहुंचाया, जो उस समय सुबह की ड्यूटी पर तैनात थीं।
कालिका टीम का त्वरित एक्शन
कालिका टीम की सदस्य ज्योति और माया ने सूचना मिलते ही बासनी क्षेत्र की ओर दौड़ लगाई। कुछ ही मिनटों में वे घटनास्थल पर पहुंचीं, जहां का दृश्य किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाला था। रेलवे ट्रैक पर महिला खड़ी थी, और सामने से ट्रेन की चमकती लाइटें और तेज आवाज तेजी से नजदीक आ रही थी। माया ने बाद में बताया, "हमने देखा कि ट्रेन बस कुछ ही सेकंड दूर थी। हमने तुरंत दौड़कर महिला को पकड़ा और उसे ट्रैक से खींचकर सुरक्षित स्थान पर ले गए। अगर हम एक मिनट भी देर कर देते, तो वह जिंदा नहीं बचती।"ज्योति ने बताया कि महिला पूरी तरह से सहमी हुई थी और बार-बार अपनी पारिवारिक समस्याओं का जिक्र कर रही थी। दोनों सदस्यों ने न केवल उसे शारीरिक खतरे से बचाया, बल्कि मौके पर ही प्रारंभिक काउंसलिंग शुरू की। उन्होंने महिला को समझाया कि जिंदगी की हर समस्या का समाधान है और आत्महत्या कोई रास्ता नहीं। इस दौरान, कालिका टीम की प्रभारी अनुपम ने पूरे ऑपरेशन की निगरानी की और बासनी थाने को सूचित किया।
अस्पताल में इलाज और काउंसलिंग
महिला को तुरंत जोधपुर के एक नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार शुरू हुआ। डॉक्टरों के अनुसार, महिला शारीरिक रूप से स्थिर है, लेकिन मानसिक तनाव के कारण उसे गहन काउंसलिंग की जरूरत है। कालिका टीम ने महिला के परिजनों को सूचित किया और उन्हें पारिवारिक समस्याओं के समाधान के लिए सलाह दी। बासनी थाने में इस घटना को दर्ज किया गया, और महिला की गोपनीयता बनाए रखते हुए आगे की कार्रवाई की जा रही है।
कालिका टीम की भूमिका और प्रेरणा
पुलिस कमिश्नर राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में गठित कालिका टीम जोधपुर में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सहायता और जागरूकता के लिए समर्पित है। यह विशेष इकाई 24 घंटे सक्रिय रहती है और गृह क्लेश, यौन उत्पीड़न, या अन्य सामाजिक समस्याओं से जूझ रही महिलाओं की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती है। इस घटना की कमान संभालने वाले एडीसीपी सुनील कुमार पंवार ने कहा, "कालिका टीम का उद्देश्य केवल अपराध रोकना नहीं, बल्कि समाज में जरूरतमंद लोगों का सहारा बनना भी है। प्रेम सिंह की त्वरित सूचना और हमारी टीम की फुर्ती ने आज एक जिंदगी बचा ली।"
समाज के लिए संदेश
यह घटना न केवल कालिका टीम की बहादुरी की कहानी है, बल्कि समाज के लिए एक गहरा संदेश भी देती है। गृह क्लेश और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं कई बार लोगों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती हैं, लेकिन सही समय पर मदद और सहानुभूति किसी की जिंदगी बदल सकती है। प्रेम सिंह जैसे जागरूक नागरिक और कालिका टीम जैसी समर्पित इकाइयां इस बात का सबूत हैं कि एक छोटी-सी सूचना और त्वरित कार्रवाई किसी की जिंदगी को बचा सकती है।कालिका टीम की सदस्य अनुपम, ज्योति और माया की इस साहसिक कार्रवाई को जोधपुर पुलिस और शहरवासियों ने खूब सराहा है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि संकट के समय में एक-दूसरे का साथ देना ही असली मानवता है।