भेड़ियों का कहर: मंदिर जा रहे व्यक्ति पर 15 मिनट तक हमला, दहशत में लूणी क्षेत्र....

जोधपुर के लूणी क्षेत्र में भेड़ियों ने दहशत मचा दी है। सोमवार सुबह 7 बजे, शिकारपुरा मार्ग पर मंदिर जा रहे हेमाराम पटेल पर भेड़िये ने 15 मिनट तक हमला किया, जिसका वीडियो वायरल है। मेटिंग सीजन में आक्रामक भेड़ियों ने दो दिन में 10 से अधिक लोगों को घायल किया। वन विभाग रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है, लेकिन भारतीय भेड़िया प्रजाति का घटता आवास चिंता का विषय है।

Aug 18, 2025 - 15:07
भेड़ियों का कहर: मंदिर जा रहे व्यक्ति पर 15 मिनट तक हमला, दहशत में लूणी क्षेत्र....

जोधपुर के लूणी क्षेत्र में भारतीय भेड़ियों के लगातार हमलों ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है। सोमवार सुबह 7 बजे, शिकारपुरा मार्ग पर एक खौफनाक घटना हुई, जब एक भेड़िये ने मंदिर दर्शन के लिए जा रहे व्यक्ति पर हमला कर दिया। यह हमला लूणी नदी के पास हुआ, जहां भेड़िये ने अचानक व्यक्ति को निशाना बनाया और करीब 15 मिनट तक अपने नुकीले पंजों और दांतों से वार करता रहा। पीड़ित ने हिम्मत दिखाते हुए भेड़िये को पकड़ा, जिसके बाद वह भाग गया। इस पूरी घटना का वीडियो भी पीड़ित ने बनाया, जो अब क्षेत्र में चर्चा का विषय है। पिछले दो दिनों में लूणी क्षेत्र में भेड़ियों ने 10 से अधिक लोगों को घायल किया है, जिससे इलाके में भय का माहौल है।

हमले की भयावह घटना

हमले का शिकार बने लूणी के किसान हेमाराम पटेल (40) ने बताया कि वह सुबह सुरजाराम महाराज के दर्शन के लिए निकले थे। पहले से ही क्षेत्र में जंगली जानवरों की चेतावनी थी, लेकिन वह समय पर निकलने में देरी कर बैठे। लूणी नदी के पास पैदल जाते समय एक भेड़िये ने अचानक उन पर हमला कर दिया। भेड़िये के नुकीले पंजों और दांतों ने उनकी नाक और शरीर के कई हिस्सों को जख्मी कर दिया। हेमाराम ने बताया कि यह 15 मिनट का संघर्ष उनकी जिंदगी का सबसे डरावना अनुभव था। संकट के समय उन्होंने संत सुरजाराम महाराज को याद किया और हिम्मत जुटाकर भेड़िये को पकड़ लिया, जिसके बाद वह भाग निकला। इस दौरान हेमाराम ने हमले का वीडियो बनाने में भी कामयाबी हासिल की।

लूणी में भेड़ियों का आतंक

पिछले दो दिनों में लूणी क्षेत्र में भेड़ियों के हमलों ने लोगों को सहमा दिया है। शनिवार को चेनपुरा भाटान में तीन लोग और करनियाली में दो लोग भेड़ियों का शिकार बने। रविवार को शिकारपुरा में चार और लोगों पर हमला हुआ। कुल मिलाकर 10 से अधिक लोग इन हमलों में घायल हो चुके हैं। रविवार रात काकाणी हाईवे पर एक भेड़िया मृत पाया गया, जिससे कुछ समय के लिए लगा कि हमलावर जानवर की मौत हो गई। लेकिन सोमवार को हेमाराम पर हुए हमले ने साफ कर दिया कि खतरा अभी बरकरार है।

मेटिंग सीजन में भेड़ियों की आक्रामकता

वन विभाग की उड़नदस्ता टीम के गणपतसिंह ने बताया कि हमलावर जानवर भारतीय भेड़िया है, जो मेटिंग सीजन के कारण इन दिनों आक्रामक हो रहा है। इस दौरान भेड़िये अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए या शिकार की तलाश में इंसानों पर हमला कर सकते हैं। विभाग ने इस भेड़िये को पकड़ने के लिए लूणी नदी क्षेत्र के जंगलों में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। अब तक तीन जानवर मृत मिले हैं, जिनमें दो की पहचान भेड़ियों के रूप में हुई है, जबकि एक की प्रजाति की जांच जारी है। स्थानीय पुलिस, ग्रामीण और वन्यजीव बचाव दल मिलकर इस खतरे को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।

खतरे में भारतीय भेड़िया प्रजाति

पर्यावरणविद् शरद पुरोहित के अनुसार, भारतीय भेड़िया एक दुर्लभ प्रजाति है, जिसका अस्तित्व खतरे में है। देश में इनकी संख्या महज 2,500 से 3,000 के बीच रह गई है। शेर, चीता या पैंथर के मुकाबले भारतीय भेड़िया को देखना बेहद मुश्किल है। कुछ समय पहले तक लूणी बेल्ट, जाजीवाल धोरा, बालेसर और सरदारसमंद जैसे क्षेत्रों में ये भेड़िये आसानी से दिखाई देते थे। स्थानीय कथाओं में अरना-झरना, बड़ा भाकर और बड़ली तक में इनका जिक्र मिलता है। लेकिन प्राकृतिक आवासों का तेजी से सिकुड़ना और मानव अतिक्रमण ने इनके अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। दो महीने पहले जोधपुर में तीन भेड़ियों के दिखने की खबर आई थी, जो इस प्रजाति की दुर्लभता को दर्शाता है।

रेस्क्यू ऑपरेशन और सतर्कता

लूणी नदी क्षेत्र में भेड़ियों के हमलों को रोकने के लिए वन विभाग, पुलिस और स्थानीय लोग मिलकर काम कर रहे हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने और अकेले जंगल या नदी क्षेत्र में न जाने की सलाह दी गई है। वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे रात के समय और सुबह-सुबह सावधानी बरतें, क्योंकि मेटिंग सीजन में भेड़िये अधिक सक्रिय और आक्रामक होते हैं।जोधपुर के लूणी क्षेत्र में भेड़ियों के हमलों ने न केवल स्थानीय लोगों में डर पैदा किया है, बल्कि भारतीय भेड़िया जैसी दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की जरूरत को भी उजागर किया है। हेमाराम पटेल जैसे लोगों की हिम्मत और वन विभाग के प्रयासों के बावजूद, यह स्पष्ट है कि मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, भेड़ियों के प्राकृतिक आवास को बचाने और उनकी आबादी को संरक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता और संरक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।