चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर,PM मोदी से करेंगे मुलाकात...

चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर हैं, जहां वह सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता के लिए NSA अजित डोभाल और PM नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। यह दौरा भारत-चीन रिश्तों को सुधारने की दिशा में अहम कदम है, खासकर 2020 की गलवान झड़प के बाद बढ़े तनाव के बीच। सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर के साथ चर्चा में सीमा पर शांति और डिएस्केलेशन पर जोर दिया गया। यह यात्रा PM मोदी की आगामी SCO समिट के लिए चीन यात्रा से पहले हो रही है, जो दोनों देशों के लिए नए सकारात्मक उम्मीद जगा रही है।

Aug 19, 2025 - 13:03
चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर,PM मोदी से करेंगे मुलाकात...

नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त 2025 से भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि (SR) तंत्र के तहत 24वें दौर की वार्ता करना है। मंगलवार को वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक करेंगे, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने और विश्वास-निर्माण उपायों पर चर्चा होगी। इसके बाद, वे शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात करेंगे। यह दौरा 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

दौरा और इसका महत्व

वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में रूस के कज़ान में हुए BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने दोनों देशों के बीच विभिन्न संवाद तंत्रों को फिर से शुरू करने का रास्ता खोला था। इस मुलाकात के बाद डेमचोक और डेपसांग जैसे विवादित क्षेत्रों में सैन्य वापसी (डिसएंगेजमेंट) पूरी हुई, और गश्ती व्यवस्था को बहाल किया गया। वांग यी का यह दौरा इस प्रक्रिया को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। 

सोमवार को वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक प्रगति तभी संभव है, जब सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे और डिएस्केलेशन की प्रक्रिया आगे बढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेना चाहिए। यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने और आपसी भरोसा बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

विशेष प्रतिनिधि वार्ता: LAC पर शांति की कोशिश

वांग यी और अजीत डोभाल, जो दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं, मंगलवार सुबह 11 बजे हैदराबाद हाउस में 24वें दौर की SR वार्ता में हिस्सा लेंगे। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर स्थायी शांति स्थापित करना और तनाव कम करने के उपायों पर सहमति बनाना है। गलवान घाटी में 2020 की हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई, जिसके परिणामस्वरूप डेमचोक, डेपसांग, पांगोंग, गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी हुई। यह वार्ता इन प्रयासों को और मजबूत करने और भविष्य में टकराव से बचने के लिए बफर जोन और कोर कमांडर स्तर की वार्ता की भूमिका तय करने पर केंद्रित होगी। 

व्यापार और कनेक्टिविटी पर भी चर्चा

सीमा विवाद के अलावा, वांग यी की यात्रा के दौरान व्यापार, हवाई सेवाओं की बहाली और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी बातचीत होने की संभावना है। हाल के वर्षों में भारत और चीन ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और चीनी पर्यटकों के लिए वीजा नियमों में ढील। इसके अलावा, उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा, हिमाचल प्रदेश के शिपकी ला और सिक्किम के नाथू ला जैसे सीमा बिंदुओं पर व्यापार फिर से शुरू करने की दिशा में भी बातचीत चल रही है। 

वैश्विक संदर्भ और SCO शिखर सम्मेलन

वांग यी का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की यात्रा से पहले हो रहा है। यह सात साल बाद मोदी की पहली चीन यात्रा होगी, जहां उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की संभावना है। यह शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा। 

इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर बदलते भू-राजनीतिक समीकरण, खासकर अमेरिका द्वारा भारत और चीन पर लगाए गए टैरिफ, भी इस दौरे को महत्वपूर्ण बनाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% और रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिसके जवाब में भारत और चीन अपने आर्थिक और सामरिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।

वांग यी का भारत दौरा

भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने की संभावना रखता है। यह दौरा न केवल सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक कदम है, बल्कि व्यापार, कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय सहयोग जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने का भी अवसर है। गलवान संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रहे रिश्तों में सुधार के संकेत साफ दिख रहे हैं, और यह दौरा इस प्रक्रिया को और गति दे सकता है।