दिमाग खाने वाला खौफनाक वायरस 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा',से 9 साल की बच्ची की मौत, दो मरीज गंभीर.

केरल के कोझिकोड में 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' ने दहशत मचा दी है! एक 9 साल की बच्ची की इस खतरनाक बीमारी से मौत हो गई, जबकि दो अन्य मरीज अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। यह अमीबा ठहरे हुए पानी में पाया जाता है और नाक या कान के जरिए दिमाग तक पहुंचकर जानलेवा मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी पैदा करता है। लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी और दौरे शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को तालाबों और गंदे पानी से दूर रहने की चेतावनी दी है। सावधानी ही बचाव है!

Aug 19, 2025 - 16:32
दिमाग खाने वाला खौफनाक वायरस 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा',से 9 साल की बच्ची की मौत, दो मरीज गंभीर.

केरल के कोझिकोड जिले में एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी ने दहशत फैला दी है। इस बीमारी, जिसे 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' (Naegleria fowleri) के नाम से जाना जाता है, ने एक 9 साल की बच्ची की जान ले ली है। इसके अलावा, दो अन्य मरीज, जिनमें एक तीन महीने का शिशु और एक अन्य व्यक्ति शामिल हैं, अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं। इनमें से एक मरीज वेंटिलेटर पर है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने इस घटना के बाद लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने की चेतावनी जारी की है।

क्या है 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा'?

'ब्रेन-ईटिंग अमीबा', जिसका वैज्ञानिक नाम नाएग्लेरिया फाउलेरी है, एक सूक्ष्मजीवी है जो गर्म और ठहरे हुए पानी जैसे तालाबों, झीलों, नदियों और अपर्याप्त रूप से क्लोरीनेटेड स्विमिंग पूल में पाया जाता है। यह अमीबा नाक या कान के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक घातक बीमारी का कारण बनता है। यह बीमारी मस्तिष्क में सूजन और ऊतकों को नष्ट करने का कारण बनती है, जिसकी मृत्यु दर 97% तक है। 

कैसे फैलता है यह संक्रमण?

यह अमीबा आमतौर पर गर्म मौसम में, खासकर गर्मियों के महीनों (जुलाई से सितंबर) में सक्रिय होता है, जब पानी का तापमान 25-40 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। यह निम्नलिखित तरीकों से शरीर में प्रवेश कर सकता है:नाक के जरिए: तैरते समय या ठहरे हुए पानी में डुबकी लगाने से अमीबा नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। 

कान के जरिए: यदि कान के परदे में छेद हो, तो यह अमीबा कान के रास्ते भी प्रवेश कर सकता है।

अन्य जोखिम: नाक की सफाई के लिए दूषित पानी का उपयोग या तालाब के पानी में स्नफ (नशीले पदार्थ) को मिलाकर नाक में खींचने जैसे जोखिम भरे व्यवहार।

यह बीमारी व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलती, और दूषित पानी पीने से भी इसका खतरा नहीं होता।

लक्षण: शुरुआती संकेतों को पहचानें

इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 3 से 7 दिन बाद दिखाई देते हैं और तेजी से बिगड़ते हैं। इनमें शामिल हैं:

तेज सिरदर्द 

बुखार

उल्टी और मतली

गर्दन में अकड़न या मोड़ने में दिक्कत

तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)

भ्रम, चक्कर आना, और दौरे

बच्चों में भूख की कमी, सुस्ती, और खेलने-कूदने में रुचि न होना

गंभीर मामलों में कोमा और मृत्यु

बच्चों में यह बीमारी विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि उनके लक्षण तेजी से बिगड़ सकते हैं, जिससे दौरे और स्मृति हानि जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

केरल में स्थिति: एक चिंताजनक वृद्धि

केरल में इस साल (2025) अब तक इस बीमारी के कम से कम 12 मामले सामने आए हैं, जिनमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है। 2024 में, राज्य में 38 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें 8 लोगों की मौत हुई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते तापमान के कारण गर्म पानी में इस अमीबा की मौजूदगी बढ़ रही है। कोझिकोड, तिरुवनंतपुरम, मलप्पुरम, कन्नूर और त्रिशूर जैसे जिलों में मामले सामने आए हैं। 

 हालांकि, केरल ने इस बीमारी से निपटने में उल्लेखनीय प्रगति की है। जहां वैश्विक मृत्यु दर 97% है, वहीं केरल ने इसे 26% तक कम कर दिया है। यह उपलब्धि राज्य द्वारा जारी विशेष उपचार प्रोटोकॉल और शुरुआती निदान के कारण संभव हुई है।

स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और निवारक उपाय

केरल के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी को रोकने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं:ठहरे हुए पानी से बचें: तालाबों, झीलों और गंदे पानी में तैरने या डुबकी लगाने से बचें, खासकर गर्मियों में। 

नाक की सुरक्षा: तैरते समय नाक पर क्लिप (नोज क्लिप) का उपयोग करें ताकि पानी नाक में न जाए।

पानी की सफाई: स्विमिंग पूल और वाटर पार्क में नियमित क्लोरीनेशन सुनिश्चित करें।

जलाशयों की सफाई: कुओं, तालाबों और अन्य जल स्रोतों की नियमित सफाई करें।

तुरंत चिकित्सा सहायता: यदि बुखार, सिरदर्द, या अन्य लक्षण दिखाई दें, खासकर पानी में तैरने के बाद, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

कोझिकोड के जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके राजाराम ने लोगों से अपील की है कि वे स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें और स्थानीय प्रशासन को जलाशयों की सफाई के लिए प्रेरित करें।

उपचार: चुनौतियां और प्रगति

इस बीमारी का कोई निश्चित उपचार नहीं है, लेकिन शुरुआती निदान और दवाओं का संयोजन जैसे कि एम्फोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन से कुछ मामलों में सफलता मिली है। केरल में 2024 में 29 मामलों में से 24 मरीजों को बचाने में सफलता मिली, जिसमें 14 वर्षीय अफनान जसीम पहला भारतीय मरीज बना जो इस बीमारी से ठीक हुआ। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण गर्म पानी में इस अमीबा का प्रसार बढ़ रहा है। इसके अलावा, केरल की उष्णकटिबंधीय जलवायु भी इस बीमारी के लिए अनुकूल है। डॉ. आर. अरविंद, तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख, ने बताया कि शुरुआती निदान और उचित दवाओं का उपयोग इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण है। 

'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत खतरनाक बीमारी है, जिससे बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है। केरल में हाल के मामलों ने इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों के साथ-साथ, जनता को भी सतर्क रहना होगा। यदि आप या आपके बच्चे हाल ही में किसी तालाब या झील में तैरने गए हैं और उपरोक्त लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। जागरूकता और सावधानी ही इस जानलेवा अमीबा से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।