'3 इडियट्स' फिल्म के प्रोफेसर अच्युत पोतदार का निधन: 'कहना क्या चाहते हो' डायलॉग से बने थे घर-घर में मशहूर.

हिंदी और मराठी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अच्युत पोतदार का 18 अगस्त 2025 को 91 वर्ष की आयु में ठाणे के जूपिटर हॉस्पिटल में निधन हो गया। 3 इडियट्स में उनके सख्त प्रोफेसर के किरदार और वायरल डायलॉग "कहना क्या चाहते हो" ने उन्हें घर-घर में मशहूर किया। चार दशकों के करियर में उन्होंने 125+ फिल्मों (आक्रोश, परिंदा, लगे रहो मुन्ना भाई) और कई टीवी शोज (वागले की दुनिया, भारत एक खोज) में यादगार अभिनय किया। सेना में कैप्टन और इंडियन ऑयल में एग्जीक्यूटिव रह चुके अच्युत ने 44 की उम्र में अभिनय शुरू किया। उनके निधन से सिनेमा जगत में शोक की लहर है।

Aug 19, 2025 - 17:52
'3 इडियट्स' फिल्म के प्रोफेसर अच्युत पोतदार का निधन: 'कहना क्या चाहते हो' डायलॉग से बने थे घर-घर में मशहूर.

हिंदी और मराठी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अच्युत पोतदार अब हमारे बीच नहीं रहे। 18 अगस्त 2025 को 91 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ठाणे स्थित जूपिटर हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी अनुराधा पारस्कर ने उनके निधन की पुष्टि की और बताया कि उनका अंतिम संस्कार 19 अगस्त को ठाणे में किया गया। अच्युत पोतदार लंबे समय से उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, और कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, अचानक बेहोश होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उनके निधन का सटीक कारण अभी तक सामने नहीं आया है। उनके जाने से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर छा गई है।

चार दशकों का शानदार करियर

अच्युत पोतदार का अभिनय करियर चार दशक से भी अधिक लंबा रहा। उन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा में 125 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिनमें कई ब्लॉकबस्टर हिट शामिल हैं। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में आक्रोश (1980), अर्ध सत्य, तेजाब, परिंदा, रंगीला, हम साथ-साथ हैं, वास्तव, परिणीता, लगे रहो मुन्ना भाई, दबंग 2, और 3 इडियट्स जैसी फिल्में शामिल हैं। खास तौर पर राजकुमार हिरानी की 3 इडियट्स (2009) में उनके सख्त मगर प्यारे प्रोफेसर के किरदार ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। उनका डायलॉग "अरे, कहना क्या चाहते हो?" आज भी सोशल मीडिया पर मीम्स और पोस्ट्स के जरिए वायरल होता रहता है। उन्होंने छोटे पर्दे पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की। वागले की दुनिया, भारत एक खोज, मिसेज तेंदुलकर, माझा होशील ना, प्रधानमंत्री, अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो, और आहट जैसे लोकप्रिय टीवी शोज में उनके किरदारों को दर्शकों ने खूब सराहा। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें सिनेमा, टीवी, और थिएटर के बीच सहजता से काम करने में मदद की। 

सेना और कॉरपोरेट से सिनेमा तक का सफर

अच्युत पोतदार का जीवन जितना प्रेरणादायक था, उतना ही रोचक भी। 22 अगस्त 1934 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे अच्युत ने अपने करियर की शुरुआत रीवा (मध्य प्रदेश) में प्रोफेसर के रूप में की। इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना में बतौर कैप्टन अपनी सेवाएं दीं और 1967 में रिटायर हुए। सेना के बाद उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में करीब 25 साल तक एग्जीक्यूटिव के रूप में काम किया और 1992 में रिटायर हुए। 44 साल की उम्र में, बिना किसी औपचारिक अभिनय प्रशिक्षण के, उन्होंने 1980 में गोविंद निहलानी की फिल्म आक्रोश से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, जिसमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, और स्मिता पाटिल जैसे दिग्गज कलाकार थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कदम नहीं देखा और चार दशकों तक अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। 

प्रशंसकों और इंडस्ट्री में शोक

अच्युत पोतदार के निधन की खबर से सोशल मीडिया पर प्रशंसकों और सहकलाकारों ने शोक व्यक्त किया है। फिल्मकार हंसल मेहता ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "मैं उनकी फिल्म अंगार में जग्गू दादा के पिता के किरदार का प्रशंसक था। उनकी डायलॉग डिलीवरी ने मुझे उनका दीवाना बना दिया। मेरी पहली फिल्म जयते में उन्हें निर्देशित करना मेरे लिए सम्मान की बात थी।" 

प्रशंसक उन्हें उनकी सादगी, समर्पण, और हर किरदार में सच्चाई लाने की कला के लिए याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके डायलॉग "कहना क्या चाहते हो" से बने मीम्स और पोस्ट्स के जरिए लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

एक प्रेरणादायक विरासत

अच्युत पोतदार का जीवन और करियर इस बात का सबूत है कि जुनून और समर्पण के साथ कोई भी उम्र सपनों को पूरा करने की बाधा नहीं बन सकती। सेना में सेवा, कॉरपोरेट जगत में लंबा करियर, और फिर अभिनय की दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वाले अच्युत पोतदार की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनकी फिल्में, उनके किरदार, और उनका आइकॉनिक डायलॉग हमेशा दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेगा।