राजस्थान में थैलेसीमिया और एनीमिया मरीजों के लिए बड़ी राहत: SMS हॉस्पिटल में शुरू हुई डेडिकेटेड ओपीडी

एसएमएस हॉस्पिटल में थैलेसीमिया और एनीमिया मरीजों के लिए डेडिकेटेड ओपीडी शुरू हुई, जहां हर बुधवार को विशेषज्ञ डॉक्टर स्क्रीनिंग, जांच और काउंसलिंग करेंगे। यह क्लिनिक खासकर गर्भवती महिलाओं और थैलेसीमिया माइनर मरीजों के लिए फायदेमंद होगा।

Aug 27, 2025 - 19:17
राजस्थान में थैलेसीमिया और एनीमिया मरीजों के लिए बड़ी राहत: SMS हॉस्पिटल में शुरू हुई डेडिकेटेड ओपीडी

थैलेसीमिया और एनीमिया जैसी खून से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की बजट घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल में इन मरीजों के लिए एक विशेष ओपीडी शुरू की गई है। यह डेडिकेटेड क्लिनिक धन्वंतरी ओपीडी की चौथी मंजिल पर शुरू हुआ है, जहां अब हर बुधवार को मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में स्क्रीनिंग, जांच और काउंसलिंग की सुविधा मिलेगी।

मरीजों को मिलेगी बेहतर देखभाल

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के इम्यूनो हेमेटोलॉजी एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (IHTM) विभाग के सहयोग से शुरू किए गए इस क्लिनिक का उद्देश्य थैलेसीमिया और एनीमिया से पीड़ित मरीजों को बेहतर और केंद्रित इलाज मुहैया कराना है। विभाग के प्रमुख डॉ. विष्णु शर्मा ने बताया कि पहले इन मरीजों का इलाज सामान्य चिकित्सा विभाग में होता था, लेकिन अब इस विशेष क्लिनिक के शुरू होने से मरीजों को ज्यादा व्यवस्थित और विशेषज्ञ देखभाल मिल सकेगी।

डॉ. शर्मा ने कहा, "यह क्लिनिक खासतौर पर उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगा जो थैलेसीमिया मेजर, माइनर या एनीमिया से पीड़ित हैं। यहां मरीजों की स्क्रीनिंग और जांच के बाद उनकी जरूरत के हिसाब से काउंसलिंग की जाएगी, ताकि उनकी स्थिति को बेहतर ढंग से समझा और प्रबंधित किया जा सके।"

रोजाना आते हैं दर्जनों मरीज

डॉ. शर्मा के अनुसार, एसएमएस हॉस्पिटल में हर दिन औसतन 10 मरीज और जे.के. लोन हॉस्पिटल में 15 मरीज खून चढ़वाने के लिए आते हैं। इस क्लिनिक के शुरू होने से न केवल इन मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि उन दंपतियों को भी फायदा होगा जो थैलेसीमिया माइनर से प्रभावित हैं और जिनके होने वाले बच्चों में इस बीमारी का खतरा हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सुविधा

इस क्लिनिक का एक बड़ा फायदा उन गर्भवती महिलाओं को होगा, जिनके परिवार में थैलेसीमिया का इतिहास है। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर दोनों पति-पत्नी थैलेसीमिया माइनर से प्रभावित हैं, तो उनके बच्चे में थैलेसीमिया मेजर होने की आशंका बढ़ जाती है। इस क्लिनिक में गर्भावस्था के 12वें सप्ताह में जांच के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को यह बीमारी है या नहीं। इससे समय रहते उचित कदम उठाए जा सकते हैं।

थैलेसीमिया माइनर के मरीजों के लिए राहत

डॉक्टरों का कहना है कि करीब 4 प्रतिशत लोग थैलेसीमिया माइनर से प्रभावित हैं। इस स्थिति में मरीजों को बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं पड़ती। अगर समय पर इस बीमारी का पता चल जाए, तो दवाओं और उचित देखभाल के जरिए मरीजों को स्वस्थ रखा जा सकता है। इस क्लिनिक के शुरू होने से ऐसी बीमारियों का समय पर निदान और इलाज संभव हो सकेगा।

विशेषज्ञों की देखरेख में शुरू हुआ यह क्लिनिक थैलेसीमिया और एनीमिया से जूझ रहे लोगों के जीवन को आसान बनाने में मदद करेगा। 

Yashaswani Journalist at The Khatak .