पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी का निधन....
बाड़मेर-जैसलमेर के चार बार के सांसद और बायतु के पूर्व विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी का बीती रात दिल्ली के अपोलो अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सेना में वीरता और राजनीति में जनसेवा का अनूठा संगम रहे कर्नल साहब ने थार की धरती को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी बेबाकी, सादगी और किसानों के प्रति समर्पण ने उन्हें जन-जन का प्रिय बनाया। उनके निधन से राजस्थान की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।

बाड़मेर-जैसलमेर की धरती ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया। चार बार के सांसद और बायतु से एक बार के विधायक रहे कर्नल सोनाराम चौधरी का बीती रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यह दुखद घटना दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुई, जहां उन्हें गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था, लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद वे अंतिम सांस लेते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन की खबर ने न केवल राजस्थान की राजनीति में शून्यता पैदा की है, बल्कि उनके समर्थकों और क्षेत्र की जनता के दिलों में गहरा आघात पहुंचाया है।
कर्नल सोनाराम का जीवन और योगदान
कर्नल सोनाराम चौधरी का जन्म 31 मार्च 1945 को जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दीं और 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया। 1994 में कर्नल की रैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर उन्होंने जनसेवा के लिए राजनीति में कदम रखा। उनकी सादगी, निष्ठा और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया।
वे 1996, 1998, 1999 और 2014 में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके अलावा, 2008 में वे बायतु विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। कर्नल सोनाराम ने अपने राजनीतिक करियर में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दोनों के साथ काम किया। 2014 में बीजेपी के टिकट पर उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह को हराकर सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि, 2019 में बीजेपी द्वारा टिकट न दिए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस में वापसी की थी।
जनसेवा और उपलब्धियां
कर्नल सोनाराम न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक उत्साही कृषिविद भी थे। उन्होंने पश्चिमी राजस्थान, विशेषकर बाड़मेर और जैसलमेर, में बेहतर कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और किसानों के कल्याण के लिए कई पहल कीं। ग्रामीण गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा, सूक्ष्म वित्त, और कौशल विकास परियोजनाओं में उनकी गहरी रुचि थी। सेना में उनकी सेवा के दौरान उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम), सेनाध्यक्ष और वायु सेना प्रमुख से प्रशस्ति प्राप्त हुई थी।
उनके नेतृत्व में बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में कई विकास कार्यों को गति मिली। चाहे वह किसानों के हित में काम हो या क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं का विकास, कर्नल सोनाराम ने हमेशा जनता की आवाज को बुलंद किया। उनकी बेबाकी और जनसरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें क्षेत्र में एक लोकप्रिय नेता बनाया।
अंतिम क्षण और शोक की लहर
बीती रात अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद कर्नल सोनाराम की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तत्काल दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी स्थिति को स्थिर करने की पूरी कोशिश की। लेकिन, नियति को कुछ और मंजूर था। देर रात उन्होंने अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने पूरे राजस्थान, विशेषकर बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी।कांग्रेस नेता और उनके समकालीन नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक एक्स पोस्ट में धमेंद्र राठौड़ ने लिखा, "बाड़मेर-जैसलमेर की जनता की सशक्त आवाज, कर्नल सोनाराम चौधरी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनका जाना पूरे समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।"
कर्नल सोनाराम चौधरी का निधन केवल एक राजनेता का जाना नहीं है, बल्कि थार की धरती ने अपने एक सच्चे सपूत को खो दिया है। उनकी सादगी, जनसेवा की भावना और क्षेत्र के विकास के लिए किए गए प्रयास हमेशा याद किए जाएंगे। उनके समर्थक और क्षेत्र की जनता उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद रखेगी, जिन्होंने अपने जीवन का हर पल समाज की बेहतरी के लिए समर्पित किया।