55 वर्षीय महिला ने दिया 17वें बच्चे को जन्म,डॉक्टरों ने बताया हाई रिस्क डिलीवरी
55 वर्षीय रेखा कालबेलिया ने अपने 17वें बच्चे, एक बेटी को जन्म दिया, जिसके बाद उनके पोते-पोतियों ने अस्पताल पहुंचकर खुशी मनाई। आर्थिक तंगी के बावजूद परिवार ने हाई रिस्क डिलीवरी को डॉक्टरों की मदद से सफलतापूर्वक पार किया।

उदयपुर के झाड़ोल में एक असाधारण घटना ने सभी का ध्यान खींचा, जब 55 वर्षीय रेखा कालबेलिया ने अपने 17वें बच्चे, एक बेटी, को जन्म दिया। यह प्रसव झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ, जहां नवजात बेटी के आगमन की खुशी में रेखा के पोते-पोतियों और दोहितों ने भी अस्पताल पहुंचकर परिवार को बधाई दी। इस अनोखी घटना ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि अस्पताल में मौजूद अन्य मरीजों और उनके परिजनों को भी इस बड़े परिवार को देखने के लिए आकर्षित किया।
आर्थिक तंगी के बीच बड़ा परिवार
रेखा के पति, 55 वर्षीय कवराराम कालबेलिया, झाड़ोल के लीलावास गांव में रहते हैं और कबाड़ का काम करते हैं। कवराराम ने बताया कि उनके परिवार में अब 7 बेटे और 5 बेटियां हैं, जिनमें से 4 बेटों और 1 बेटी की जन्म के बाद मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में उनके 12 बच्चे जीवित हैं, जिनमें से 2 बेटों और 3 बेटियों की शादी हो चुकी है। इन शादीशुदा बच्चों के भी 2 से 3 बच्चे हैं, जिससे परिवार और भी बड़ा हो गया है।
कवराराम ने बताया, "हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। बच्चों की शादी के लिए कर्ज लेना पड़ा और जैसे-तैसे बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी साझा किया कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी स्कूल नहीं गया, जो उनकी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को दर्शाता है।
हाई रिस्क डिलीवरी, डॉक्टरों की सतर्कता से बची जान
झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. रोशन दरांगी ने बताया कि रेखा ने शुरू में दावा किया था कि यह उनका चौथा बच्चा है, लेकिन बाद में पता चला कि उनके पहले से 16 बच्चे थे, जिनमें से 5 की मृत्यु हो चुकी है। डॉ. दरांगी ने कहा, "रेखा के पास न तो कोई पूर्व सोनोग्राफी रिपोर्ट थी और न ही डिलीवरी से पहले के टेस्ट। बिना मेडिकल हिस्ट्री के ऐसी डिलीवरी बहुत जोखिम भरी हो सकती थी।"
डॉ. दरांगी ने आगे बताया कि 55 साल की उम्र में और इतने सारे प्रसवों के बाद गर्भाशय कमजोर हो जाता है, जिससे डिलीवरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा रहता है। "अगर रक्तस्राव हुआ होता, तो रेखा की जान को खतरा हो सकता था। लेकिन सौभाग्य से, सावधानी और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप के कारण डिलीवरी सफल रही," उन्होंने कहा।