भारत ने अमेरिकी से F-35 जेट खरीदने से किया इनकार.....

भारत ने अमेरिका के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने की पेशकश को ठुकरा दिया है और निकट भविष्य में बड़ी रक्षा खरीददारी से इनकार किया है। फरवरी 2025 में पीएम मोदी के अमेरिका दौरे और अप्रैल में उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के भारत दौरे के दौरान यह ऑफर दिया गया था। भारत स्वदेशी रक्षा उत्पादन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर जोर दे रहा है, विशेष रूप से 'मेक इन इंडिया' और AMCA प्रोजेक्ट के तहत। अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से हथियार व तेल खरीदने के लिए जुर्माना लगाने की घोषणा की है, लेकिन भारत दबाव में नहीं झुका और व्यापार वार्ता को प्राथमिकता दे रहा है।

Aug 1, 2025 - 15:26
Aug 1, 2025 - 15:27
भारत ने अमेरिकी से F-35 जेट खरीदने से किया इनकार.....

नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने की पेशकश को ठुकरा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा और व्यापारिक रिश्तों में एक नया मोड़ आ गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस से हथियार व कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने की घोषणा की है। भारत ने न केवल F-35 खरीदने से इनकार किया, बल्कि निकट भविष्य में अमेरिका से कोई बड़ी रक्षा खरीददारी न करने की बात भी स्पष्ट कर दी है।

पृष्ठभूमि और अमेरिका की पेशकश.

फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट बेचने का प्रस्ताव रखा था। यह पेशकश द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही थी। अप्रैल 2025 में अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी भारत दौरे के दौरान इस प्रस्ताव को दोहराया। F-35 लाइटनिंग II, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है, दुनिया का सबसे उन्नत पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है। यह जेट रडार से बचने की क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, और हवा से हवा व हवा से जमीन पर हमला करने की बहु-भूमिका निभाने में सक्षम है। इसके बावजूद, भारत ने इस डील को आगे नहीं बढ़ाया। सूत्रों के अनुसार, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिका से F-35 खरीदने में रुचि नहीं रखता। इसके पीछे भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर प्रमुख कारण हैं।

भारत की रणनीति: स्वदेशी रक्षा और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि मोदी सरकार की प्राथमिकता घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के संयुक्त डिजाइन और निर्माण पर आधारित साझेदारी है। भारत अब उन रक्षा सौदों को प्राथमिकता दे रहा है, जिनमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में उत्पादन शामिल हो। इसका उदाहरण हाल ही में फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन जेट्स की 63,000 करोड़ रुपये की डील है, जो भारतीय नौसेना के लिए INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर तैनात होंगे। भारत का यह रुख 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत देश अपनी रक्षा जरूरतों को स्वदेशी तकनीक और उत्पादन के जरिए पूरा करना चाहता है। भारत का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), जो पांचवीं पीढ़ी का स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट है, इस दिशा में एक बड़ा कदम है। रक्षा मंत्रालय ने मई 2025 में AMCA के प्रोडक्शन मॉडल को मंजूरी दी थी, और इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस जेट के 2030 तक भारतीय वायुसेना में शामिल होने और 2035 तक बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।

अमेरिका के टैरिफ और भारत का जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसे उन्होंने भारत के ऊंचे आयात शुल्क और अमेरिका के साथ कम व्यापार के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर 'जुर्माना' लगाने की बात कही है, हालांकि जुर्माने की राशि का खुलासा नहीं किया गया। ट्रंप ने व्यापार वार्ता के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने की मंशा भी जाहिर की है। भारत ने जवाबी टैरिफ लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन F-35 डील को ठुकराकर यह संदेश दे दिया है कि वह दबाव में फैसले नहीं लेगा। भारत सरकार इस समय व्यापार वार्ता को प्राथमिकता दे रही है और अमेरिका के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण, और सोने के आयात को बढ़ाने पर विचार कर रही है।  

रक्षा जरूरतों और क्षेत्रीय चुनौतियां

भारतीय वायुसेना इस समय 32 स्क्वाड्रन के साथ संचालित हो रही है, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। चीन के पास 300 से अधिक J-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स हैं, और वह छठी पीढ़ी के जेट्स पर भी काम कर रहा है। पाकिस्तान भी चीन से J-35A स्टील्थ जेट खरीदने की प्रक्रिया में है। इन क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच भारत अपनी वायुसेना को मजबूत करने के लिए स्वदेशी प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ रूस के Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स पर भी विचार कर रहा है। रूस ने भारत को Su-57 के साथ-साथ Su-35 की तकनीक और निर्माण लाइसेंस देने का प्रस्ताव दिया है, जो भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों के अनुरूप है।  भारत का F-35 जेट खरीदने से इनकार और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर एक रणनीतिक कदम है, जो न केवल भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि वह अपनी रक्षा नीतियों में स्वतंत्रता और दीर्घकालिक हितों को प्राथमिकता देता है। अमेरिका के टैरिफ और जुर्माने की धमकी के बावजूद, भारत ने साफ कर दिया है कि वह दबाव में नहीं झुकेगा और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा। AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स और रूस जैसे साझेदारों के साथ सहयोग भारत को भविष्य में क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक मजबूत रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं।