"बेटियां घर छोड़ रही, कानून जिम्मेदार"ओसियां MLA का जनता को जागरूकता संदेश.
ओसियां विधायक भैराराम सियोल ने सामराऊ गांव की एक विवादास्पद घटना के बाद हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग की। उन्होंने कहा कि यह कानून सामाजिक और पारिवारिक ढांचे को कमजोर कर रहा है, क्योंकि युवा, खासकर बेटियां, बिना माता-पिता की सहमति के घर छोड़ रही हैं। सियोल ने इसे "मां-बाप का घर धर्मशाला नहीं" कहकर जनता को जागरूक होने का आह्वान किया।

जोधपुर, 11 अक्टूबर 2025: राजस्थान के ओसियां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक भैराराम सियोल ने एक ऐसी घटना के बाद जोरदार बयान दिया है, जो सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों पर गहरा सवाल खड़ा कर रहा है। ओसियां तहसील के सामराऊ गांव में हाल ही में हुई एक विवादास्पद घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है। इस घटना के बाद विधायक सियोल ने हिंदू विवाह अधिनियम (1955) में तत्काल संशोधन की मांग उठाई है, इसे सामाजिक ढांचे और पारिवारिक बंधनों को कमजोर करने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह कानून युवाओं को माता-पिता के घर को 'धर्मशाला' की तरह छोड़ने की छूट दे रहा है, जहां बेटियां 20-22 साल की उम्र में बिना किसी जिम्मेदारी के निकल जाती हैं।
सामराऊ गांव की घटना: क्या हुआ था वहां?
सामराऊ गांव, जो ओसियां विधानसभा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, हाल ही में एक ऐसी घटना का गवाह बना, जहां एक युवती ने अपने परिवार की मर्जी के बिना प्रेम विवाह कर लिया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह मामला लव जिहाद या अंतर-जातीय विवाह से जुड़ा हो सकता है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन घटना इतनी संवेदनशील थी कि गांव में तनाव फैल गया और परिवारों के बीच रिश्ते तार-तार हो गए। विधायक सियोल ने इस घटना को मौके का फायदा उठाते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अब आम हो रही हैं, और इनके पीछे वर्तमान विवाह कानून की उदारता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "मां-बाप का घर कोई धर्मशाला नहीं है, जहां बच्चियां 20-22 साल रहने के बाद इस तरह से चली जाएं। यह परिवारों का अपमान है।"
हिंदू विवाह अधिनियम पर सियोल का तीखा प्रहार
भैराराम सियोल, जो ओसियां से 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीते हैं, ने हिंदू विवाह अधिनियम को सीधे निशाने पर लिया। अधिनियम की धारा 5 के तहत 21 साल (पुरुष) और 18 साल (महिला) की न्यूनतम आयु तय है, लेकिन सियोल का मानना है कि यह कानून विवाह की प्रक्रिया को इतना आसान बना देता है कि युवा बिना सोचे-समझे फैसला ले लेते हैं। उन्होंने कहा, "यह कानून सामाजिक ढांचे और पारिवारिक तानेबाने को तोड़ रहा है। बेटियां जो घर की इज्जत होती हैं, वे बिना माता-पिता की सहमति के बाहर चली जाती हैं, जिससे परिवार टूट जाते हैं।" सियोल ने स्पष्ट मांग की है कि कानून में संशोधन हो, जिसमें माता-पिता की सहमति अनिवार्य हो और विवाह से पहले काउंसलिंग की व्यवस्था हो।यह बयान राजस्थान में चल रही बहस को हवा दे रहा है, जहां हाल के वर्षों में लव जिहाद और ऑनर किलिंग जैसे मामले बढ़े हैं। सियोल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर इस पर सख्त कदम उठाने चाहिए, वरना सामाजिक सद्भाव खतरे में पड़ जाएगा।
जनता को जागरूकता का संदेश: 'सोचिए, समझिए, बचाइए परिवार'
विधायक सियोल ने केवल आलोचना ही नहीं की, बल्कि जनता को जागरूक होने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, "लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक होना होगा। माता-पिता को बच्चों की परवरिश में नैतिक मूल्यों को मजबूत करना चाहिए। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाएं रुकें।" सामराऊ जैसे ग्रामीण इलाकों में जहां सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं, वहां यह बयान खासा असरदार साबित हो रहा है। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने सियोल की तारीफ की है, कहा कि वे सच्चे सामाजिक मुद्दों पर बोलते हैं।
ओसियां विधायक का सामाजिक योगदान: एक नजर
भैराराम सियोल ओसियां क्षेत्र के एक प्रमुख चेहरे हैं। हाल ही में अप्रैल 2025 में पंचायत राज पुनर्गठन में उनका दबदबा दिखा, जब सामराऊ सहित चार नई पंचायत समितियां बनीं। नवंबर 2024 में तीन नए राजस्व गांवों की अधिसूचना भी उनकी अनुशंसा पर जारी हुई। जुलाई 2024 के बजट में सामराऊ को पुलिस थाने की सौगात मिली। ये कदम दिखाते हैं कि सियोल विकास के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय रहते हैं।यह बयान न केवल सामराऊ की घटना तक सीमित है, बल्कि पूरे देश में चल रही विवाह कानूनों की बहस को तेज कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संशोधन होता है, तो यह परिवारों को मजबूत बनाने में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन युवाओं की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठा सकता है।