बाड़मेर: पड़ोसियों ने रास्ता रोका, 9 साल के मासूम की हो गई मौत; परिजन शव लेकर पहुंचे कलेक्ट्रेट, प्रशासन ने दी समझाइश

बाड़मेर के गरल गांव में 9 साल के कमलेश को तेज बुखार हुआ। पड़ोसियों ने पुराने विवाद के चलते रास्ता रोक दिया, जिससे समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके और बच्चे की मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने शव लेकर कलेक्ट्रेट में हंगामा किया। पुलिस ने समझाइश की और पड़ोसियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया।

Nov 17, 2025 - 14:44
बाड़मेर: पड़ोसियों ने रास्ता रोका, 9 साल के मासूम की हो गई मौत; परिजन शव लेकर पहुंचे कलेक्ट्रेट, प्रशासन ने दी समझाइश

बाड़मेर, 17 नवंबर 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले के गरल गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। यहां 9 साल के एक मासूम बच्चे की कथित रूप से पड़ोसियों द्वारा रास्ता रोके जाने के कारण समय पर इलाज न मिल पाने से मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने बच्चे के शव को लेकर सीधे कलेक्ट्रेट पहुंच गए और न्याय की गुहार लगाई। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे, जहां परिजनों को समझाया गया। इस घटना ने गांव में तनाव पैदा कर दिया है और अब पुलिस जांच में जुटी हुई है।

घटना की पूरी कहानी: बुखार से पीड़ित था बच्चा, पड़ोसियों ने नहीं दिया रास्ता घटना गरल गांव की है, जो बाड़मेर शहर से करीब 20-25 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा ग्रामीण इलाका है। परिजनों के अनुसार, रविवार सुबह करीब 10 बजे यह दर्दनाक हादसा हुआ। गांव निवासी गोरधनराम (उम्र 35 वर्ष) के भतीजे कमलेश (पुत्र डूंगराराम, उम्र 9 वर्ष) को अचानक तेज बुखार चढ़ आया। कमलेश एक कक्षा 4 का छात्र था, जो गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था। वह परिवार का इकलौता बच्चा था और परिजनों का चहेता था।गोरधनराम ने बताया, "बच्चे को रात से ही हल्का बुखार था, लेकिन सुबह अचानक उसकी हालत बिगड़ गई। बुखार इतना तेज हो गया कि वह बेचैन होने लगा। हमने तुरंत एम्बुलेंस या गाड़ी बुलाने की कोशिश की, लेकिन हमारा घर मुख्य सड़क से करीब 2 किलोमीटर अंदर है। यह रास्ता हमेशा से ही पड़ोसियों के खेतों और जमीनों से गुजरता रहा है। आज जब हम बच्चे को गोद में उठाकर रास्ते पर निकले, तो पड़ोसियों ने रास्ता बंद कर दिया। उन्होंने गेट लगाकर और खुद खड़े होकर हमें रोक लिया।"परिजनों का आरोप है कि पड़ोसी परिवारों ने पुरानी जमीन विवाद के कारण जानबूझकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया। गोरधनराम ने आगे कहा, "हमने उनसे बहुत समझाया। कहा कि बच्चा मर रहा है, इलाज के लिए रास्ता दो। लेकिन वे नहीं माने। कुछ देर तक बहस चली, लेकिन समय व्यर्थ हो गया। आखिरकार, हमने जैसे-तैसे बच्चे को कंधों पर लादकर पैदल ही मुख्य सड़क तक पहुंचाया। वहां से गाड़ी मिली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हम बाड़मेर के सदर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। अगर समय पर रास्ता मिल जाता, तो कमलेश बच सकता था। यह हमारी लापरवाही नहीं, बल्कि पड़ोसियों की क्रूरता का नतीजा है।"परिजनों ने बताया कि कमलेश को कोई पुरानी बीमारी नहीं थी। वह सामान्य रूप से स्वस्थ था और खेलकूद में भी सक्रिय रहता था। परिवार के अन्य सदस्यों में डूंगराराम (पिता, किसान), मां, और दो छोटे भाई-बहन हैं। घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर है, और यह घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है।

कलेक्ट्रेट पर हंगामा: शव लेकर पहुंचे परिजन, पुलिस ने संभाला मामला बच्चे की मौत की खबर फैलते ही परिजन और गांव के कई लोग गुस्से से लाल हो गए। दोपहर करीब 1 बजे, उन्होंने कमलेश के शव को कंधों पर उठाकर बाड़मेर कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देना शुरू कर दिया। नारे लगाने लगे, "न्याय दो, दोषियों को सजा दो"। भीड़ में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, जो रोते-बिलखते न्याय की मांग कर रहे थे।सूचना मिलते ही एसपी (पुलिस अधीक्षक) जय सिंह और डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से परिजनों को घेरा और बातचीत शुरू की। लगभग एक घंटे की समझाइश के बाद परिजनों ने शव सौंप दिया। प्रशासन ने बच्चे के शव को बाड़मेर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया, जहां पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "परिजनों की शिकायत पर हमने मामला दर्ज कर लिया है। धारा 304 (कल्पना में हत्या) के तहत पड़ोसियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जांच के दौरान अगर जमीन विवाद या अन्य कारण सामने आते हैं, तो कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, तनाव कम करने के लिए गांव में पुलिस फोर्स तैनात है।" प्रशासन ने परिजनों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता और मृतक के परिवार को नौकरी का आश्वासन भी दिया है।

पृष्ठभूमि: पुराना जमीन विवाद या साजिश? स्थानीय लोगों के अनुसार, गरल गांव में जमीन और रास्ते को लेकर कई परिवारों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। गोरधनराम का परिवार और पड़ोसी समुदाय के बीच एक छोटा सा रास्ता विवादित रहा है, जिसे लेकर कई बार पंचायतें हो चुकी हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन पुराने बैर भाव के कारण बढ़ गई। एक बुजुर्ग निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "गांव में एकता की कमी है। ऐसे विवादों से बचना चाहिए, खासकर जब किसी की जान दांव पर हो।"पुलिस जांच में यह भी पता चलेगा कि क्या पड़ोसियों ने जानबूझकर रास्ता रोका था या कोई अन्य कारण था। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे की मौत तेज बुखार और डिहाइड्रेशन से हुई, जो समय पर इलाज न मिलने से बढ़ गई।

प्रभाव और प्रतिक्रिया: गांव में शोक की लहर

इस घटना ने गरल गांव सहित पूरे बाड़मेर जिले में शोक की लहर दौड़ा दी है। सोशल मीडिया पर कई लोग इसकी निंदा कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। स्थानीय विधायक ने भी ट्वीट कर कहा, "ऐसी घटनाएं असहनीय हैं। दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।" परिजन अभी भी सदमे में हैं और कहते हैं, "हमारा कमलेश हमेशा मुस्कुराता रहता था। उसकी हंसी घर में गूंजती थी। अब वह हमेशा के लिए चला गया।"