बाबा रामदेव के भक्तो की अनूठी भक्ति,कोर्ट से बरी होने की खुशी में 280 किमी की पैदल यात्रा कर बाबा रामदेव का धन्यवाद कर रहे.

श्रीडूंगरगढ़ के युवकों ने बाबा रामदेव के प्रति अनूठी भक्ति दिखाते हुए कोर्ट से बाइज्जत बरी होने की खुशी में 280 किमी की पैदल यात्रा कर रूणीचा धाम पहुंचकर मन्नत पूरी की। यह यात्रा उनकी अटूट आस्था और वचनबद्धता का प्रतीक है, जो बाबा के भक्तों के लिए प्रेरणा बन रही है।

Aug 24, 2025 - 13:36
बाबा रामदेव के भक्तो की अनूठी भक्ति,कोर्ट से बरी होने की खुशी में 280 किमी की पैदल यात्रा कर बाबा रामदेव का धन्यवाद कर रहे.

श्रीडूंगरगढ़, राजस्थान के कुछ युवकों ने अपनी अनूठी भक्ति और आस्था का परिचय देते हुए बाबा रामदेव के प्रति अपनी श्रद्धा को एक अनोखे अंदाज में व्यक्त किया। इन युवकों ने किसी कानूनी मामले में कोर्ट से बाइज्जत बरी होने की खुशी में बाबा रामदेव से मांगी गई मन्नत को पूरा करने के लिए 280 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। यह यात्रा श्रीडूंगरगढ़ से शुरू होकर बाबा रामदेव के पवित्र तीर्थ स्थल, रूणीचा धाम (रामदेवरा, जैसलमेर) तक की गई। यह घटना न केवल इन युवकों की अटूट आस्था को दर्शाती है, बल्कि बाबा रामदेव के प्रति लोगों के गहरे विश्वास को भी उजागर करती है।

खबर का विस्तृत विवरण:

श्रीडूंगरगढ़ के इन युवकों की कहानी आस्था, विश्वास और वचनबद्धता का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। जानकारी के अनुसार, ये युवक किसी कानूनी मामले में उलझे हुए थे और उन्होंने बाबा रामदेव से प्रार्थना की थी कि यदि वे इस मामले में निर्दोष साबित होकर कोर्ट से बरी हो जाते हैं, तो वे रूणीचा धाम तक पैदल यात्रा करके अपनी मन्नत पूरी करेंगे।

कोर्ट से बाइज्जत बरी होने के बाद, इन युवकों ने अपने वादे को निभाने का संकल्प लिया और श्रीडूंगरगढ़ से रामदेवरा तक 280 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा शुरू की।रामदेवरा, जैसलमेर जिले में स्थित बाबा रामदेव का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसे रूणीचा धाम के नाम से भी जाना जाता है। बाबा रामदेव को राजस्थान और गुजरात में लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है और उन्हें दुखियों का देवता माना जाता है। हर साल भाद्रपद महीने में यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, जिनमें से कई पैदल यात्रा करके अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। इन युवकों की यात्रा भी इसी परंपरा का हिस्सा है, जो उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।

यात्रा का अनुभव:

280 किलोमीटर की यह यात्रा आसान नहीं थी। राजस्थान की तपती गर्मी, लंबी दूरी और थकान भरे रास्तों के बावजूद, इन युवकों ने हिम्मत नहीं हारी। यात्रा के दौरान, रास्ते में कई स्थानों पर भक्तों और सेवादारों ने इनका स्वागत किया। बाबा रामदेव के भक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह भंडारे और विश्राम स्थल बनाए गए थे, जहां यात्रियों को भोजन, पानी और आराम की सुविधा प्रदान की गई। इन युवकों ने भी इन सेवाओं का लाभ उठाया और अपनी यात्रा को बाबा के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ पूरा किया।रास्ते में ये युवक बाबा रामदेव के जयकारे लगाते हुए, भक्ति भजनों के साथ आगे बढ़े। उनकी यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी। कई स्थानीय लोगों ने इन युवकों की आस्था और समर्पण की सराहना की।

रूणीचा धाम पहुंचने पर:

रामदेवरा पहुंचकर इन युवकों ने बाबा रामदेव के मंदिर में दर्शन किए और अपनी मन्नत पूरी होने पर बाबा का धन्यवाद किया। मंदिर में भक्ति का माहौल और बाबा के प्रति लोगों की श्रद्धा ने इन युवकों के अनुभव को और भी यादगार बना दिया। मंदिर परिसर में मौजूद रामसरोवर तालाब और पर्चा बावड़ी जैसे पवित्र स्थलों ने भी उनकी यात्रा को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया।

बाबा रामदेव और उनकी महिमा:

बाबा रामदेव, जिन्हें तंवर वंश के राजपूत और द्वारकाधीश के अवतार के रूप में पूजा जाता है, राजस्थान के लोकदेवता हैं। कहा जाता है कि बाबा रामदेव ने सामाजिक भेदभाव को मिटाने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए कई कार्य किए। उनकी समाधि स्थल, रामदेवरा, आज भी लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। भाद्रपद महीने में यहां आयोजित होने वाला मेला देश भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

सामाजिक प्रभाव:

इन युवकों की यह यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था को दर्शाती है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देती है। यह दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ लोग अपने वादों को पूरा कर सकते हैं। श्रीडूंगरगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में इस घटना की चर्चा जोरों पर है, और यह अन्य लोगों को भी अपनी मन्नतों को इस तरह के समर्पण के साथ पूरा करने के लिए प्रेरित कर रही है।

श्रीडूंगरगढ़ के इन युवकों की 280 किलोमीटर की पैदल यात्रा बाबा रामदेव के प्रति उनकी अटूट आस्था और वचनबद्धता का प्रतीक है। कोर्ट से बरी होने की खुशी को उन्होंने बाबा के चरणों में अर्पित कर, अपनी मन्नत को पूर्ण भक्ति के साथ पूरा किया। यह कहानी न केवल इन युवकों की भक्ति को उजागर करती है, बल्कि बाबा रामदेव के प्रति लोगों के गहरे विश्वास और रूणीचा धाम की महिमा को भी रेखांकित करती है।