"आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ: जोधपुर में लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान,मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस पर साधा निशाना
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जोधपुर में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित "लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह" में हिस्सा लिया। मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने 1975 के आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और तत्कालीन सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने, प्रेस पर सेंसरशिप लगाने और राष्ट्रवादी लोगों को जेल में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कुर्सी की लालच में देश को बर्बाद किया गया। समारोह में लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया और 'लोकतंत्र रक्षा की कहानी-सेनानियों की जुबानी' पुस्तक का विमोचन हुआ।

जोधपुर, 26 जून 2025: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरुवार को जोधपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस संभाग स्तरीय "लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह" में मुख्यमंत्री ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला और आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र पर "काला धब्बा" करार दिया। इस अवसर पर उन्होंने 'लोकतंत्र रक्षा की कहानी-सेनानियों की जुबानी' पुस्तक का विमोचन भी किया और लोकतंत्र सेनानियों को साफा व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एक दिवसीय दौरे पर जोधपुर पहुंचे, जहां जोधपुर एयरपोर्ट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस समारोह में जोधपुर संभाग के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे, जिनमें राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत और स्थानीय विधायक अतुल भंसाली प्रमुख थे।
आपातकाल: लोकतंत्र पर काला धब्बा
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने 1975 के आपातकाल को लोकतंत्र की हत्या का प्रतीक बताया और कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के लोग कहते हैं कि आपातकाल को 50 साल हो गए, इसे भूल जाइए। लेकिन मैं कहता हूं कि यह दंश पीढ़ियां याद रखेंगी। लोगों को बिना वजह जेलों में डाला गया, परिवार बिखर गए, बच्चों की पढ़ाई छूट गई, शादियां टल गईं। क्या यह सब भूलने वाली बात है?" उन्होंने कांग्रेस पर कुर्सी के लिए देश को बर्बाद करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस पर कुर्सी की लालच का आरोप
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि आपातकाल केवल इसलिए लगाया गया क्योंकि कोर्ट ने उनका चुनाव रद्द कर दिया था और उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया था। उन्होंने कहा, "कुर्सी की लालच में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। राष्ट्रवादी लोगों को जेल में डाला गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेताओं को यातनाएं दी गईं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने 'भारत माता की जय' का नारा लगाया।"
जिसकी फटी नहीं बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई...
मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी व्यक्तिगत हमला बोला। उन्होंने कहा, "गहलोत साहब, अगर आपके परिवार का कोई सदस्य जेल में होता और उसे अपने माता-पिता के दाह संस्कार के लिए भी छुट्टी न मिलती, तो क्या आप इसे सामान्य मानते? आप आईने में देखें और खुद से पूछें कि आपने देश के साथ क्या-क्या किया। देश की जनता जानती है कि आप कुर्सी के लिए कितना नीचे गिर सकते हैं।"
देश के बंटवारे से तुलना
शर्मा ने आपातकाल को देश के बंटवारे से जोड़ते हुए कहा, "देश का बंटवारा भी इसलिए हुआ क्योंकि कुछ लोग प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। महात्मा गांधी ने बंटवारे का विरोध किया था, लेकिन अगर सरदार पटेल प्रधानमंत्री होते, तो शायद देश का बंटवारा न होता।" उन्होंने कांग्रेस पर सत्ता की लालच में देश को बर्बाद करने का आरोप दोहराया।
लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान
मुख्यमंत्री ने आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने उस कठिन समय में जेल में बंद सेनानियों के परिवारों की जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने कहा, "जिनके परिवार के लोग जेल गए, उनके बच्चों की पढ़ाई रुक गई, शादियां नहीं हो पाईं। यह कोई छोटी बात नहीं है।"
शर्मा ने कांग्रेस सरकार पर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान रोकने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "वसुंधरा राजे की सरकार ने इन सेनानियों को सम्मान देना शुरू किया था, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार आई, उन्होंने यह सम्मान बंद कर दिया। हमारी सरकार ने सत्ता में आते ही इसे फिर से शुरू किया।" उन्होंने कांग्रेस से सवाले किए कि अगर आपातकाल लगाना गलती थी, तो फिर सेनानियों का सम्मान क्यों रोका गया?
सेंसरशिप और अत्याचारों का जिक्र
मुख्यमंत्री ने आपातकाल के दौरान प्रेस पर लगाई गई सेंसरशिप और पत्रकारों व आम लोगों को जेल में डाले जाने की घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेताओं को जेल में डालकर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह सब केवल इसलिए क्योंकि उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाई।"
जोधपुर में भव्य आयोजन
मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस समारोह में जोधपुर संभाग के सैकड़ों लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन शामिल हुए। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने उस दौर की यातनाओं को याद किया और मुख्यमंत्री के संबोधन की सराहना की। जिला प्रशासन ने इस आयोजन को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कांग्रेस को खुली चुनौती
मुख्यमंत्री ने हाल के दिनों में कांग्रेस नेताओं, खासकर अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा, के साथ चल रही जुबानी जंग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल कांग्रेस के पांच साल के शासन से बेहतर है। उन्होंने कांग्रेस को खुली बहस की चुनौती दी और कहा, "सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने से कुछ नहीं होगा। मंच पर आइए, हम काम का हिसाब दे देंगे।"
यह समारोह न केवल आपातकाल के काले अध्याय को याद करने का अवसर था, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी मंच था। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए युवाओं से अपील की कि वे लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान से प्रेरणा लें और भारत को विश्व का सबसे मजबूत लोकतंत्र बनाने में योगदान दें।