गर्भाशय कैंसर:बदल रहा है उपचार का तरीका, बढ़ रही है जागरूकता

गर्भाशय कैंसर के मामले भारत में बढ़ रहे हैं, लेकिन न्यूनतम आक्रामक और व्यक्तिगत उपचारों से रिकवरी तेज हो रही है। जागरूकता और सुलभ इलाज के लिए राष्ट्रीय रणनीति की जरूरत है।

Aug 28, 2025 - 21:06
गर्भाशय कैंसर:बदल रहा है उपचार का तरीका, बढ़ रही है जागरूकता

गर्भाशय कैंसर, जो कभी भारत में एक असामान्य बीमारी मानी जाती थी, अब चुपके-चुपके एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन रही है। पिछले एक दशक में इसकी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। बदलती जीवनशैली, बढ़ती उम्र, मोटापा, मधुमेह और हार्मोनल बदलाव इसके प्रमुख कारण हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इस बीमारी के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है, जो मरीजों के लिए नई उम्मीद और बेहतर जीवन की संभावना लेकर आया है।

बढ़ रहा है खतरा, लेकिन कम है जागरूकता

हाल के कैंसर अध्ययनों के अनुसार, शहरी भारत में गर्भाशय कैंसर के मामले 2020 के बाद से लगभग दोगुने हो गए हैं। पहले यह बीमारी ज्यादातर रजोनिवृत्ति के बाद की उम्र में देखी जाती थी, लेकिन अब 40 और 50 की उम्र की महिलाएं भी इसकी चपेट में आ रही हैं। चिंता की बात यह है कि जागरूकता की कमी के कारण असामान्य रक्तस्राव जैसे लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या सामान्य कारणों से जोड़कर गलत निदान हो जाता है।

डॉ. शालिनी, जो दिल्ली की एक प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, कहती हैं, "महिलाएं अक्सर असामान्य रक्तस्राव को हल्के में लेती हैं। लेकिन यह गर्भाशय कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है। समय पर जांच और सही इलाज से इस बीमारी को हराया जा सकता है।"

इलाज में क्रांति: न्यूनतम आक्रामक तकनीकें

गर्भाशय कैंसर के इलाज में अब पुराने, जटिल और एकसमान तरीकों की जगह नई, सटीक और व्यक्तिगत तकनीकों ने ले ली है। पहले जहां बड़े ऑपरेशन और लंबी रिकवरी की जरूरत पड़ती थी, वहीं अब मिनिमली इनवेसिव सर्जरी जैसे लैप्रोस्कोपी और रोबोटिक सर्जरी ने मरीजों की जिंदगी आसान कर दी है। ये तकनीकें न केवल दर्द और रिकवरी के समय को कम करती हैं, बल्कि मरीजों को जल्दी सामान्य जीवन में लौटने में भी मदद करती हैं।

इसके अलावा, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे आधुनिक उपचार कैंसर कोशिकाओं को सीधे निशाना बनाते हैं, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान कम होता है। यह उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जिन्हें पहले कीमोथेरेपी के गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता था।

रिकवरी तेज, जीवन बेहतर

नए उपचारों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मरीजों की रिकवरी अब पहले से कहीं ज्यादा तेज हो रही है। पहले जहां महीनों तक अस्पताल में रहना पड़ता था, वहीं अब मरीज कुछ ही दिनों में अपने परिवार के पास लौट सकते हैं। दिल्ली की 48 वर्षीय रीना, जो हाल ही में गर्भाशय कैंसर का इलाज करवा चुकी हैं, कहती हैं, "मुझे डर था कि सर्जरी के बाद मैं पहले जैसी जिंदगी नहीं जी पाऊंगी। लेकिन नई तकनीकों और डॉक्टरों की देखभाल ने मुझे जल्दी ठीक होने में मदद की। आज मैं फिर से अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही हूं।"

जागरूकता और पहुंच जरूरी

हालांकि इलाज में प्रगति हो रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भाशय कैंसर से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति की जरूरत है। इसमें जागरूकता अभियान, समय पर जांच और सभी के लिए सस्ते और सुलभ इलाज की व्यवस्था शामिल होनी चाहिए। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं, वहां तक आधुनिक उपचारों की पहुंच बढ़ाने की जरूरत है।

आप क्या कर सकते हैं?

  • जागरूक रहें: असामान्य रक्तस्राव, पेट में दर्द या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

  • नियमित जांच: 40 साल की उम्र के बाद नियमित गायनेकोलॉजिकल जांच करवाएं।

  • स्वस्थ जीवनशैली: मोटापा और मधुमेह को नियंत्रित करें, क्योंकि ये कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

  • डॉक्टर से संपर्क: किसी भी संदिग्ध लक्षण के दिखने पर तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।

गर्भाशय कैंसर अब उतना डरावना नहीं है, जितना पहले था। सही जानकारी, समय पर जांच और आधुनिक इलाज के साथ इस बीमारी को हराया जा सकता है। आइए, जागरूक बनें और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, क्योंकि एक स्वस्थ जीवन ही सबसे बड़ी संपत्ति है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .