कौन थे Pingali Venkayya? जानिए भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज की कहानी

पिंगली वेंकैया की 149वीं जयंती पर देश ने तिरंगे के रचयिता को श्रद्धांजलि दी। नेताओं ने तिरंगे को भारत की एकता, अखंडता और गौरव का प्रतीक बताया।

Aug 2, 2025 - 12:13
Aug 2, 2025 - 12:22
कौन थे Pingali Venkayya? जानिए भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज की कहानी

2 अगस्त, 2025 को भारत ने अपने राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' के अभिकल्पक और स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की 149वीं जन्म जयंती मनाई। इस अवसर पर देश भर के नेताओं, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, उनके योगदान को याद करते हुए तिरंगे को भारत की एकता, अखंडता और गौरव का प्रतीक बताया। पिंगली वेंकैया, जिन्हें 'झंडा वेंकैया' के नाम से भी जाना जाता है, ने न केवल तिरंगे का डिज़ाइन तैयार किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पिंगली वेंकैया: एक बहुआयामी व्यक्तित्व

पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भटलापेनुमारु में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हनुमंतरायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था। वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ शिक्षाविद, लेखक, भूविज्ञानी, कृषि वैज्ञानिक और भाषाविद् भी थे। उन्होंने जापानी और उर्दू जैसी भाषाओं में महारत हासिल की थी, जिसके कारण उन्हें 'जापान वेंकैया' भी कहा जाता था। इसके अलावा, कपास की खेती पर उनके शोध के लिए उन्हें 'पट्टी वेंकैया' और हीरे की खदानों पर विशेषज्ञता के लिए 'डायमंड वेंकैया' के नाम से भी जाना गया।

वेंकैया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मछलीपट्टनम में पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए। 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल होकर दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध (1899-1902) में हिस्सा लिया। यहीं उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, जिनके विचारों ने उन्हें गहरे रूप से प्रभावित किया। इस मुलाकात ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी, और उन्होंने भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को महसूस किया।

तिरंगे की रचना: एक प्रेरणादायक यात्रा

पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक दुनिया भर के लगभग 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का गहन अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने 1916 में 'भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज' नामक पुस्तिका प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने विभिन्न डिज़ाइनों का प्रस्ताव रखा। 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वेंकैया ने महात्मा गांधी को लाल और हरे रंग का एक झंडा प्रस्तुत किया, जो हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतीक था। गांधी जी के सुझाव पर इसमें सफेद रंग की पट्टी जोड़ी गई, जो शांति और अहिंसा का प्रतीक थी।

1931 में कराची में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में इस झंडे को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया। बाद में, स्वतंत्रता के बाद 1947 में संविधान सभा ने चरखे की जगह अशोक चक्र को शामिल करते हुए तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। केसरिया रंग साहस और बलिदान, सफेद रंग शांति और सत्य, तथा हरा रंग समृद्धि और विश्वास का प्रतीक बनाया गया। 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकार किया, और 15 अगस्त, 1947 को तिरंगा स्वतंत्र भारत की शान बनकर लाल किले पर फहराया गया।

नेताओं ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

पिंगली वेंकैया की 149वीं जयंती पर देश भर के नेताओं ने उन्हें याद किया और उनके योगदान को सराहा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "तिरंगे के तीनों रंगों ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के 140 करोड़ देशवासियों को एक सूत्र में पिरोया है। आपकी कृति एवं कल्पना के सम्मुख हम सभी सदैव वंदन-अभिनंदन करते रहेंगे।"

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भारत के गौरव, अखंडता और शक्ति का परिचायक है। राष्ट्र सेवा को समर्पित आपका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्तंभ है।"

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने लिखा, "भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महायज्ञ में उनके विशिष्ट योगदान और तिरंगे के रूप में उनकी अनुपम कृति के लिए राष्ट्र सदैव उन्हें कृतज्ञता के साथ स्मरण करता रहेगा।"

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संदेश में कहा, "राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने वाली अपनी अनुपम कृति के माध्यम से आप सदैव देशवासियों के दिलों में अमर रहेंगे। जय हिंद!"

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने वेंकैया को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद बताते हुए कहा, "आपके द्वारा अभिकल्पित राष्ट्रीय ध्वज हम सबको सदैव एकता, अखंडता और सौहार्द के सूत्र में पिरोकर राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।"

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने लिखा, "वेंकैया जी की दूरदर्शिता और देशभक्ति प्रेरक है। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और तिरंगे का डिज़ाइन करोड़ों भारतवासियों को राष्ट्र प्रेम से जोड़ता है।"

तिरंगे के प्रति सम्मान और 'हर घर तिरंगा' अभियान

पिंगली वेंकैया के योगदान को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने 2009 में उनके नाम पर एक डाक टिकट जारी किया था। 2014 में ऑल इंडिया रेडियो के विजयवाड़ा स्टेशन का नाम भी उनके नाम पर रखा गया। 2022 में उनकी 146वीं जयंती पर केंद्र सरकार ने एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किया था, और उनके परिवार को सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'हर घर तिरंगा' अभियान को बढ़ावा देते हुए देशवासियों से 9 से 15 अगस्त तक तिरंगा फहराने और अपनी सेल्फी harghartiranga.com पर साझा करने का आग्रह किया है। यह अभियान तिरंगे के प्रति सम्मान और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का एक प्रयास है।

एक प्रेरणादायक विरासत

पिंगली वेंकैया का जीवन सादगी, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक रहा। उन्होंने न केवल तिरंगे का डिज़ाइन तैयार किया, बल्कि अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के माध्यम से देश के लिए कई क्षेत्रों में योगदान दिया। उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई, लेकिन तिरंगे के रूप में उनकी विरासत आज भी भारत की शान और पहचान बनी हुई है। उनकी इच्छा थी कि तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर फहराता देखें, जो भले ही उनके जीवनकाल में पूरी न हुई, लेकिन आज हर भारतीय के दिल में उनकी यह कृति गर्व का प्रतीक है।

पिंगली वेंकैया की 149वीं जयंती पर, हम सभी को उनके बलिदान और योगदान को याद करते हुए यह संकल्प लेना चाहिए कि हम तिरंगे के सम्मान को बनाए रखेंगे और राष्ट्र की एकता व प्रगति के लिए कार्य करेंगे।

Yashaswani Journalist at The Khatak .