बेंगलुरु में 7 करोड़ की सनसनीखेज डकैती का पर्दाफाश: पुलिस कांस्टेबल समेत तीन आरोपी गिरफ्तार, 5.76 करोड़ रुपये बरामद
बेंगलुरु के जयानगर में 18 नवंबर को हुई 7.11 करोड़ की कैश वैन डकैती का पुलिस ने महज 4 दिन में पर्दाफाश कर दिया। गिरफ्त में आए तीन मुख्य आरोपी हैं – एक तैनात पुलिस कांस्टेबल, कैश वैन का ड्राइवर और कंपनी का पूर्व कर्मचारी। पुलिस ने आरोपियों से 5.76 करोड़ रुपये बरामद कर लिए हैं, बाकी राशि की तलाश जारी है।
बेंगलुरु, 22 नवंबर 2025: शहर की बेंगलुरु पुलिस ने एक सनसनीखेज डकैती के मामले को महज कुछ ही दिनों में सुलझाने में सफलता हासिल कर ली है। 7.11 करोड़ रुपये की इस बड़ी लूट की घटना ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था, लेकिन दक्षिणी पुलिस आयुक्त सीमांत कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने न केवल अपराध का खुलासा किया, बल्कि मुख्य आरोपियों को भी धर दबोचा। इस गिरोह में एक पुलिस कांस्टेबल, एक पूर्व सीएमएस (कैश मैनेजमेंट सर्विसेज) कर्मचारी और एक कैश वैन ड्राइवर शामिल थे। तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके कब्जे से 5.76 करोड़ रुपये की नकदी बरामद कर ली है, जो इस घटना की सफल जांच का बड़ा प्रमाण है।
घटना का पूरा ब्यौरा: कैसे हुई यह बड़ी लूट? यह डकैती 18 नवंबर 2025 को दोपहर करीब 2:30 बजे बेंगलुरु के जयानगर इलाके में हुई। एक निजी कैश मैनेजमेंट कंपनी की वैन, जो बैंकों के बीच नकदी का लेन-देन कर रही थी, अचानक संदिग्ध कारों से घेर ली गई। हमलावरों ने वैन को रोकने के लिए हथियारबंद धमकी दी और चालक तथा गार्ड को बंधक बना लिया। मात्र कुछ मिनटों में उन्होंने वैन से करीब 7.11 करोड़ रुपये लूट लिए और मौके से फरार हो गए। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिला, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और आसपास के गवाहों के बयानों से जांच की दिशा तय हुई।पुलिस आयुक्त सीमांत कुमार सिंह ने बताया कि यह लूट कोई साधारण वारदात नहीं थी। अपराधियों ने पहले से ही वैन के रूट और समय का पूरा अध्ययन कर लिया था। "यह एक अंदरूनी साजिश थी, जिसमें विश्वासघात की बड़ी भूमिका थी। हमारी टीम ने 48 घंटों के भीतर मुख्य सुराग हासिल कर लिया और बाकी की राशि भी बरामद कर ली," सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बरामद 5.76 करोड़ रुपये में से कुछ हिस्सा छिपाने की कोशिश में था, लेकिन तकनीकी निगरानी और मुखबिरों की मदद से यह संभव हो सका। शेष राशि के बारे में जांच जारी है।
आरोपी कौन? अंदरूनी विश्वासघात का काला चेहरा गिरोह के तीन मुख्य सदस्यों की पहचान इस प्रकार है:पुलिस कांस्टेबल: बेंगलुरु सेंट्रल डिवीजन में तैनात 32 वर्षीय यह कांस्टेबल अपराध की सबसे चौंकाने वाली कड़ी साबित हुआ। वह न केवल लूट की योजना का सूत्रधार था, बल्कि पुलिस की आंतरिक जानकारी का फायदा उठाकर जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से 2 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद हुई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, नौकरी के दबाव और कर्ज के बोझ तले आकर इस अपराध को अंजाम दिया।
पूर्व सीएमएस कर्मचारी: कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करता था, लेकिन हाल ही में नौकरी से निकाला गया था। वह कैश वैन के आंतरिक ढांचे और लॉक सिस्टम से अच्छी तरह वाकिफ था। लूट के दौरान उसने ही वैन का दरवाजा खोला। उसके कब्जे से 1.5 करोड़ रुपये बरामद हुए।पूछताछ में कबूल किया कि वह बदला लेने और त्वरित धन प्राप्त करने के लालच में फंस गया।
कैश वैन ड्राइवर : वैन चला रहा था और अपराधियों को सही समय पर रोकने में उसकी भूमिका थी। वह लूट के बाद फरार होने में भी शामिल था। उसके पास से 2.26 करोड़ रुपये मिले। पुलिस का मानना है कि ड्राइवर ने कॉस्टेबल के माध्यम से गिरोह से जुड़ा था।
तीनों आरोपी बेंगलुरु के ही निवासी हैं और उनके बीच पुरानी परिचितता थी। प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि यह साजिश पिछले दो महीनों से चल रही थी। रवि ने अपनी पुलिस यूनिफॉर्म और पहचान का दुरुपयोग करते हुए अन्य दो सदस्यों को भर्ती किया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई: कैसे सुलझा मामला? डकैती की सूचना मिलते ही बेंगलुरु पुलिस ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की, जिसका नेतृत्व डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साउथ) ने किया। टीम ने सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग और फॉरेंसिक विश्लेषण का सहारा लिया। एक महत्वपूर्ण क्लू तब मिला जब पुलिस को संदिग्ध वाहनों की ट्रेल मिली, जो अपराधियों के फरार होने के रूट को इंगित कर रही थी। इसके अलावा, एक मुखबिर ने के संदिग्ध व्यवहार की टिप दी, जिसके बाद उसके घर और वाहन की तलाशी ली गई।आरोपियों को 20 नवंबर की रात को बेंगलुरु के बाहरी इलाके में एक गोदाम से गिरफ्तार किया गया, जहां वे बची नकदी को छिपा रहे थे। पुलिस ने कुल 12 जगहों पर छापेमारी की और कई सहयोगी तत्वों को भी हिरासत में लिया। आयुक्त सिंह ने कहा, "यह गिरफ्तारी न केवल पीड़ित कंपनी के लिए राहत है, बल्कि पुलिस विभाग की विश्वसनीयता को भी बहाल करती है। हम किसी भी अंदरूनी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
प्रभाव और आगे की कार्रवाई; यह घटना न केवल आर्थिक अपराध की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों में व्याप्त कमजोरियों पर भी सवाल खड़े करती है। कैश मैनेजमेंट कंपनियों को अब सख्त प्रोटोकॉल अपनाने होंगे, जैसे जीपीएस ट्रैकिंग और आर्म्ड एस्कॉर्ट। पुलिस ने मामला आईपीसी की धारा 395 (डकैती) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया है। तीनों आरोपी अदालत में पेश किए जाएंगे और पूछताछ जारी रहेगी।