वक्फ बोर्ड: एक अनोखी व्यवस्था और इसके संशोधन की कहानी

Apr 2, 2025 - 20:15
Apr 2, 2025 - 20:17
वक्फ बोर्ड: एक अनोखी व्यवस्था और इसके संशोधन की कहानी

वक्फ बोर्ड क्या है?

वक्फ बोर्ड भारत में एक विशेष संस्था है जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए बनाई गई है। लेकिन वक्फ क्या है? वक्फ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है "खुदा के नाम पर समर्पित करना" या जन कल्याण के लिए दान में दी गई संपत्ति। यह इस्लामी परंपरा का हिस्सा है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी चल या अचल संपत्ति (जैसे जमीन, मकान, दुकान) या अन्य चीजें (जैसे पंखा, कूलर, साइकिल) धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर देता है। इस दान की गई संपत्ति को वक्फ कहते हैं, और इसे संभालने का जिम्मा वक्फ बोर्ड का होता है।

भारत में वक्फ बोर्ड का गठन पहली बार 1954 में वक्फ अधिनियम के तहत हुआ था। इसके बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाए गए। आज देश में करीब 30 वक्फ बोर्ड हैं, जो 8,72,324 अचल संपत्तियों और 16,713 चल संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली (वामसी) के अनुसार, कुल 3,56,047 वक्फ संपदाएं दर्ज हैं। रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड भारत में तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक माना जाता है।

वक्फ बोर्ड का कामकाज

वक्फ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों को संरक्षित करना और इनके जरिए जन कल्याण के कार्य करना है, जैसे मस्जिदों, कब्रिस्तानों, स्कूलों और अस्पतालों का संचालन। लेकिन समय के साथ इसके प्रबंधन में कई खामियां सामने आईं, जैसे कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और संपत्तियों पर अवैध कब्जे। कुछ मामलों में वक्फ बोर्ड ने निजी संपत्तियों पर भी दावा ठोका, जिससे विवाद बढ़े।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024: क्यों आई जरूरत?

इन समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में बदलाव का फैसला किया। 8 अगस्त, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किया। इसका मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज को पारदर्शी, सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाना है। आज, 2 अप्रैल, 2025 को यह विधेयक लोकसभा में फिर से चर्चा के लिए पेश किया गया है, और इसे लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है।

संशोधन में क्या-क्या बदलाव?

नाम में बदलाव: वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम अब "एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995" होगा।

गैर-मुस्लिम और महिला सदस्य: हर राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कम से कम दो गैर-मुस्लिम और दो महिला सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य होगा।

संपत्ति पर दावे का नियम: अब बिना आधिकारिक वक्फनामा (दान का दस्तावेज) के कोई संपत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी। पहले बोर्ड बिना सबूत के भी दावा कर सकता था।

जिला कलेक्टर की भूमिका: किसी संपत्ति के वक्फ होने या न होने का फैसला जिला कलेक्टर करेगा, जिससे विवादों में पारदर्शिता आएगी।

हाईकोर्ट में अपील: वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: पंजीकरण और रिकॉर्डकीपिंग के लिए डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा।

सरकार का तर्क

सरकार का कहना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा और प्रबंधन में सुधार लाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "यह कानून सबको मानना पड़ेगा। यह गरीब मुस्लिमों के हक की रक्षा के लिए है, न कि अमीर बोर्ड के लिए।" किरेन रिजिजू ने यह भी दावा किया कि पहले की सरकारों ने वोट बैंक के लिए वक्फ बोर्ड को अनियंत्रित शक्तियां दीं, जिसे अब ठीक किया जा रहा है।

विपक्ष का विरोध

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, टीएमसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 25 और 26) का उल्लंघन करता है। AIMPLB ने इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है।

रोचक तथ्य

तमिलनाडु में 1500 साल पुराने मंदिर की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था, जिसे लेकर अमित शाह ने संसद में सवाल उठाया।

दिल्ली में CGO कॉम्प्लेक्स और संसद भवन जैसी जगहों पर भी वक्फ ने दावा ठोका था, जिसे सरकार ने गलत बताया।

आगे की राह

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस बिल में 14 बदलावों को मंजूरी दी है और इसे आज लोकसभा में पेश किया गया। एनडीए के पास बहुमत होने से इसके पास होने की संभावना ज्यादा है, लेकिन विपक्ष के हंगामे और कोर्ट में चुनौती के चलते यह मामला अभी लंबा खिंच सकता है। 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ