SIR का खौफ रोजाना 150 बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत छोड़कर भागे रहे!

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू होते ही अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों में भगदड़ मच गई। रोजाना 150 से 200 लोग डर के मारे बांग्लादेश वापस लौट रहे हैं। हाकिमपुर, स्वरूपनगर, बसिरहाट समेत कई बॉर्डर पॉइंट्स पर सैकड़ों लोग बैग लेकर जीरो लाइन पर फंसे हैं। ये लोग 5-15 साल से कोलकाता, न्यूटाउन, राजरहाट, मध्यमग्राम आदि में छिपकर रह रहे थे। बीजेपी इसे ममता सरकार के वोटबैंक का पलायन बता रही है, जबकि TMC इसे अनावश्यक दहशत करार दे रही है।

Nov 21, 2025 - 12:21
Nov 21, 2025 - 12:22
SIR का खौफ रोजाना 150 बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत छोड़कर भागे रहे!

कोलकाता/हाकिमपुर: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान की शुरुआत ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के बीच खलबली मचा दी है। एक समय जहां ये लोग अवैध रास्तों से भारत में घुसकर बसावट कर रहे थे, वहीं अब डर के मारे उलट पलायन का सिलसिला शुरू हो गया है। बीएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश सीमा पर रोजाना 150 से अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिक अपने वतन लौटने की कोशिश कर रहे हैं। कुल मिलाकर करीब 500 से ज्यादा लोग हाकिमपुर चेकपोस्ट और आसपास के इलाकों में जमा हो चुके हैं, जो बैग-बक्से लटकाए जीरो लाइन पर फंसकर इंतजार कर रहे हैं। यह घटना न सिर्फ सीमा सुरक्षा के लिए चुनौती बनी हुई है, बल्कि राज्य की राजनीति को भी नई आंच दे रही है।

SIR अभियान: क्या है यह, और क्यों मचा है हड़कंप?

चुनाव आयोग ने 4 नवंबर 2025 से पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में SIR प्रक्रिया शुरू की है, जो 4 दिसंबर तक चलेगी। इसका मकसद मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है, जिसमें हर मतदाता को अपनी नागरिकता और पहचान के दस्तावेज जमा करने पड़ेंगे। सरल शब्दों में, यह एक तरह का 'पहचान अभियान' है, जो अवैध प्रवासियों की जड़ें उखाड़ने का काम कर सकता है। हालांकि आयोग इसे सामान्य रिवीजन बता रहा है, लेकिन अवैध बांग्लादेशी समुदाय में यह अफवाह फैल गई है कि SIR असल में NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) का 'बैकडोर एंट्री' है। असम में NRC के अनुभव से सबक लेते हुए ये लोग अब पकड़े जाने के डर से भाग रहे हैं।

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "पहले रोजाना 10-20 लोग लौटते थे, लेकिन SIR शुरू होने के बाद यह संख्या 150-200 तक पहुंच गई है। ये लोग खुलेआम स्वीकार कर रहे हैं कि वे बिना वीजा या पासपोर्ट के 5-15 साल पहले सतखीरा, खुलना या अन्य जिलों से भारत आए थे।"  नॉर्थ 24 परगना, मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे जिलों की बिना फेंसिंग वाली सीमाओं पर यह हलचल सबसे ज्यादा है। हाकिमपुर बॉर्डर आउटपोस्ट पर सुबह-सुबह ही सैकड़ों की भीड़ लग जाती है, जहां महिलाएं-बच्चे कंबल और बक्से लिए बैठे नजर आते हैं।

 घुसपैठियों की कहानी: भारत में क्या कर रहे थे ये लोग?

ये अवैध प्रवासी मुख्य रूप से कोलकाता के उपनगरीय इलाकों जैसे न्यू टाउन, साल्ट लेक, बिराटी, मध्यमग्राम, राजरहाट और बशीरहाट में छिपकर रहते थे। अधिकांश दिहाड़ी मजदूर, घरेलू सहायक या निर्माण कार्यों में लगे हुए थे। पूछताछ में कई ने कबूल किया कि वे गरीबी और बेहतर जीवन की तलाश में आए थे, लेकिन अब SIR के डर से सब छोड़ भागने को मजबूर हैं। एक 18 वर्षीय युवक अलीम खान ने कहा, "मैं पिछले एक दशक से यहां किराए पर रहकर काम कर रहा था, लेकिन अब डर लग रहा है।" वहीं, आयशा बीबी नाम की एक महिला ने खुलासा किया, "खुलना जिले से गरीबी के कारण आई थी। मेरे पास कोई दस्तावेज नहीं, अब लौटना ही एकमात्र रास्ता है।"  

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन बस्तियों में अचानक खालीपन छा गया है। स्वरूपनगर थाना क्षेत्र के हकीमपुर चेकपोस्ट पर रविवार रात से ही लोग जमा होने लगे थे। एक प्रवासी अब्दुल मोमिन ने बताया, "पांच साल पहले सतखीरा से आया था। SIR की खबर सुनकर परिवार समेत भाग पड़े।"

बीएसएफ ने इनकी पहचान जांचने के बाद ही सीमा पार करने की अनुमति दी, लेकिन कई मामलों में बांग्लादेश गार्ड्स (BGB) ने भी घुसपैठ रोकने के नाम पर इन्हें वापस धकेल दिया, जिससे जीरो लाइन पर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।

राजनीतिक तापमान: ममता vs बीजेपी का नया दंगल

यह घटना पश्चिम बंगाल की सियासत में आग लगा रही है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया ममता बनर्जी ने SIR को 'खतरनाक और बिना तैयारी वाला' बताते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखी है। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) पर अतिरिक्त बोझ डालेगी और असम के NRC की तरह भ्रम फैलाएगी। ममता ने कहा, "बिना ट्रेनिंग, गाइडलाइन के SIR लागू करना राज्य को अराजकता की ओर धकेल रहा है।" वहीं, बीजेपी इसे अपनी जीत बता रही है। प्रदेश अध्यक्ष सुकांता मजुमदार और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसे 'ममता का वोटबैंक भाग रहा है' करार दिया। मालवीय ने ट्वीट किया, "12-15 साल से संरक्षण पाने वाले अवैध बांग्लादेशी अब SIR के डर से भागे जा रहे हैं। TMC का असली चेहरा बेनकाब हो गया।" बीजेपी का दावा है कि इन घुसपैठियों को आधार कार्ड और वोटर आईडी तक दिला दी गई थीं, जो राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा थीं। विपक्ष ने मांग की है कि SIR को पूरे जोर-शोर से चलाया जाए, ताकि असली नागरिकों की पहचान हो सके। 

बीएसएफ की मुश्किलें और भविष्य की चुनौतियां

बीएसएफ ने सीमा पर निगरानी कड़ी कर दी है। अधिकारी बताते हैं कि बिना दस्तावेज वाले लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, और केवल सत्यापन के बाद ही पार करने दिया जा रहा। लेकिन यह उलटा पलायन कई सवाल खड़े कर रहा है—क्या ये लोग वाकई लौट रहे हैं, या दूसरे राज्यों में छिप जाएंगे? स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ गया है, और अवैध बस्तियों से हथियार व बम जैसी चीजें बरामद होने की भी खबरें हैं।  

पश्चिम बंगाल में घुसपैठ लंबे समय से संवेदनशील मुद्दा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि SIR जैसे अभियान से न केवल मतदाता सूची शुद्ध होगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी। लेकिन राजनीतिक दबाव के बीच यह प्रक्रिया कितनी प्रभावी साबित होती है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल, बॉर्डर पर की भीड़ और डर के साये में लौटते परिवारों की तस्वीरें एक कड़वी हकीकत बयां कर रही हैं—कि अवैध प्रवास की कीमत अंततः सबको चुकानी पड़ती है।