नेताओं से लेकर दिग्गजों तक: टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा, युद्ध की स्थिति में निभाएंगे अहम भूमिका
भारत में बढ़ते भूराजनीतिक तनाव के बीच टेरिटोरियल आर्मी (टीए) को सक्रिय ड्यूटी पर बुलाने की शक्ति थल सेनाध्यक्ष को दी गई है। इस बल में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट और क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गज शामिल हैं। ये नेता और हस्तियां युद्ध की स्थिति में नियमित सेना की सहायता, आंतरिक सुरक्षा और मनोबल बढ़ाने जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और मौजूदा रक्षा हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने थल सेनाध्यक्ष को टेरिटोरियल आर्मी (टीए) को ड्यूटी पर बुलाने की शक्तियां प्रदान की हैं। इस खबर ने देश में चर्चा का माहौल बना दिया है, क्योंकि टेरिटोरियल आर्मी में कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट और क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी जैसे नाम प्रमुख हैं।
टेरिटोरियल आर्मी क्या है?
टेरिटोरियल आर्मी भारत की सेना का एक स्वैच्छिक अंशकालिक बल है, जो नियमित सेना को सहायता प्रदान करता है। इसमें शामिल लोग अपने सामान्य पेशे के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं और जरूरत पड़ने पर देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। टीए में लगभग 60,000 से अधिक सैनिक हैं, और यह विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को जोड़ता है, जिसमें राजनेता, खिलाड़ी और अन्य पेशेवर शामिल हैं।
अनुराग ठाकुर: राजनीति के साथ सैन्य सेवा
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद अनुराग ठाकुर टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन के पद पर हैं। वे 2016 में 124 सिख रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल हुए थे और 2021 में कैप्टन के पद पर पदोन्नत किए गए। ठाकुर टीए में कमीशंड अधिकारी बनने वाले बीजेपी के पहले सांसद हैं। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से चार बार के सांसद, ठाकुर ने खेल, सूचना और प्रसारण जैसे मंत्रालयों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। उनकी सैन्य सेवा उनके नेतृत्व और देशभक्ति का प्रतीक है। युद्ध की स्थिति में, ठाकुर जैसे अधिकारी नियमित सेना के साथ मिलकर रणनीतिक और सहायक भूमिकाएं निभा सकते हैं।
सचिन पायलट: युवा नेता और सैन्य अनुशासन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा हैं। 2012 में पायलट ने टीए जॉइन की और वर्तमान में वे लेफ्टिनेंट के पद पर हैं। अपने राजनीतिक करियर के अलावा, पायलट ने सैन्य प्रशिक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। उनकी सैन्य पृष्ठभूमि उनके अनुशासित और नेतृत्वपूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाती है। यदि युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो पायलट जैसे नेता सैन्य और नागरिक प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी: क्रिकेट के मैदान से युद्ध के मैदान तक
भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान और विश्व विजेता महेंद्र सिंह धोनी भी टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में शामिल हैं। 2011 में धोनी को यह सम्मान दिया गया था, और उन्होंने समय-समय पर टीए के प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया है। धोनी की शांत और रणनीतिक सोच, जो क्रिकेट के मैदान पर देखी गई, सैन्य परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण हो सकती है। उनकी उपस्थिति सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने और प्रेरणा प्रदान करने में सहायक हो सकती है।
टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका युद्ध में
टेरिटोरियल आर्मी युद्ध की स्थिति में कई महत्वपूर्ण कार्य करती है, जैसे:
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नियमित सेना की सहायता: टीए सैनिक रसद, संचार और अन्य सहायक सेवाएं प्रदान करते हैं।
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आंतरिक सुरक्षा: आंतरिक अशांति या आपदा की स्थिति में टीए नागरिक प्रशासन के साथ काम करती है।
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मनोबल बढ़ाना: धोनी जैसे प्रसिद्ध चेहरों की मौजूदगी सैनिकों और नागरिकों में उत्साह जगाती है।
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रणनीतिक समन्वय: ठाकुर और पायलट जैसे राजनेता सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बीच पुल का काम कर सकते हैं।
हाल के सरकारी फैसले के अनुसार, टीए को सक्रिय ड्यूटी पर बुलाने की शक्ति सेना प्रमुख को दी गई है, जो मौजूदा भूराजनीतिक तनाव को देखते हुए एक रणनीतिक कदम है।
रोचक तथ्य
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अनुराग ठाकुर ने न केवल राजनीति में, बल्कि क्रिकेट प्रशासन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे 2016 में बीसीसीआई के अध्यक्ष थे।
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सचिन पायलट भारत के सबसे युवा सांसदों में से एक रहे हैं, जिन्होंने 26 साल की उम्र में लोकसभा में प्रवेश किया था।
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धोनी ने 2019 में टीए के साथ जम्मू-कश्मीर में प्रशिक्षण लिया था, जहां उन्होंने सैनिकों के साथ समय बिताया।
निष्कर्ष
टेरिटोरियल आर्मी में अनुराग ठाकुर, सचिन पायलट और महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गजों की मौजूदगी न केवल इस बल की विविधता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि देश की सेवा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोग एकजुट हो सकते हैं। युद्ध की स्थिति में इन हस्तियों की भूमिका न केवल सैन्य, बल्कि प्रेरणादायक और रणनीतिक भी होगी। यह देशवासियों के लिए गर्व का विषय है कि उनके नेता और आइकन मुश्किल समय में भी देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।