जोधपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन कैदी की संदिग्ध मौत: परिजनों का लापरवाही का आरोप, मुआवजे और निष्पक्ष जांच की मांग के साथ धरना
जोधपुर सेंट्रल जेल में 31 वर्षीय विचाराधीन कैदी नथमल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सोमवार रात तबीयत बिगड़ने पर उसे महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया। परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मोर्चरी के बाहर धरना शुरू किया और शव लेने से इनकार कर दिया। वे निष्पक्ष जांच और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, क्योंकि नथमल परिवार का इकलौता कमाने वाला था।

जोधपुर सेंट्रल जेल में एक विचाराधीन कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है। 31 वर्षीय नथमल पुत्र ढगलाराम, जो रावर का निवासी था, की सोमवार रात अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद महात्मा गांधी अस्पताल में मृत्यु हो गई। इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक के परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरना शुरू कर दिया है और शव लेने से इनकार कर दिया है।
जोधपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक प्रदीप लखावत ने बताया कि नथमल को रातानाडा पुलिस ने कापरड़ा से गिरफ्तार किया था। इसके बाद एक अन्य मामले में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 04, जोधपुर महानगर के आदेश पर 24 मई 2025 को उसे जेल भेजा गया था। सोमवार रात को नथमल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे तुरंत जेल डिस्पेंसरी में दिखाया गया, जहां से उसे महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजनों के आरोप और धरना
मृतक के परिजनों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने जेल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस ने नथमल की गिरफ्तारी की सूचना समय पर नहीं दी, और जेल प्रशासन ने उसकी बिगड़ती हालत पर उचित ध्यान नहीं दिया। परिजनों के अनुसार, नथमल उनके परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था, और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। उन्होंने निष्पक्ष जांच और मुआवजे की मांग की है। इसके साथ ही, परिजनों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धरना जारी रखेंगे और शव नहीं लेंगे।
मांगें और स्थिति
परिजनों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- निष्पक्ष जांच: नथमल की मौत के कारणों की गहन और पारदर्शी जांच।
- मुआवजा: परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उचित मुआवजे की मांग।
- जिम्मेदारी तय करना: जेल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही की जांच और कार्रवाई।
महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर परिजनों और ग्रामीणों का जमावड़ा है, और वे अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और जेल प्रणाली की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
यह मामला जोधपुर जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और कैदियों के स्वास्थ्य प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाता है। परिजनों की मांगों और धरने के बीच, यह देखना होगा कि प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाता है। निष्पक्ष जांच और उचित मुआवजे की मांग न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति को संबल प्रदान कर सकती है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।