SI भर्ती 2021 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाईकोर्ट के आदेश पर रोक, भर्ती रद्द और ट्रेनिंग स्थगित; 3 महीने में अंतिम निर्णय का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान SI भर्ती-2021 रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। चयनित अभ्यर्थियों को राहत, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई।

राजस्थान की बहुचर्चित सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती-2021 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें भर्ती को रद्द करने का निर्णय लिया गया था। यह फैसला चयनित अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो इस भर्ती को बचाने के लिए लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी, जिसका फैसला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में भर्ती प्रक्रियाओं के लिए एक मिसाल बन सकता है।
पृष्ठभूमि: पेपर लीक और अनियमितताओं का आरोप
राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती-2021, जिसमें 859 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, शुरू से ही विवादों में रही। इस भर्ती के लिए 7.97 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, और 3.80 लाख उम्मीदवार लिखित परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा का परिणाम 24 दिसंबर 2021 को घोषित किया गया था। हालांकि, परीक्षा के दौरान पेपर लीक और डमी अभ्यर्थियों के शामिल होने के आरोप सामने आए। विशेष जांच दल (SIT) और विशेष कार्य बल (SOG) की जांच में पाया गया कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई थीं, जिसमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कुछ सदस्यों की संलिप्तता भी सामने आई।
इन आरोपों के आधार पर, राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 28 अगस्त 2025 को भर्ती को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पेपर लीक और धोखाधड़ी के कारण पूरी भर्ती प्रक्रिया अवैध और अपारदर्शी थी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 2021 की भर्ती के पदों को नई भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए और आयु सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी जाए।
डिवीजन बेंच का फैसला और सुप्रीम कोर्ट में अपील
हाईकोर्ट की एकलपीठ के फैसले के खिलाफ चयनित अभ्यर्थियों ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की थी। 8 सितंबर 2025 को जस्टिस एसपी शर्मा की खंडपीठ ने एकलपीठ के भर्ती रद्द करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। डिवीजन बेंच ने तर्क दिया कि SIT और SOG की कुछ रिपोर्ट्स अप्रमाणित थीं, और पूरी भर्ती को रद्द करना उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी।
इसके बाद, भर्ती रद्द करवाने वाले याचिकाकर्ता कैलाश चंद्र शर्मा ने डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की। दूसरी ओर, चयनित अभ्यर्थियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर अपनी स्थिति मजबूत की।
सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला
24 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है, और अंतिम फैसला सुनवाई के बाद ही लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने चयनित अभ्यर्थियों को अस्थायी राहत दी है, क्योंकि उनकी फील्ड पोस्टिंग पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है। हालांकि, भर्ती रद्द करने की मांग करने वाले पक्ष का कहना है कि पेपर लीक और धोखाधड़ी के सबूत इतने मजबूत हैं कि पूरी भर्ती को रद्द करना ही एकमात्र निष्पक्ष समाधान है।
क्या है अभ्यर्थियों की मांग?
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चयनित अभ्यर्थियों का पक्ष: चयनित अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती में कुछ लोगों की गड़बड़ी के कारण सभी 824 चयनित उम्मीदवारों को दंडित करना अनुचित है। उनकी ओर से एडवोकेट आरएन माथुर ने तर्क दिया कि सरकार भी भर्ती रद्द करने के पक्ष में नहीं थी, और SOG ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी।
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याचिकाकर्ताओं का पक्ष: याचिकाकर्ता कैलाश चंद्र शर्मा और अन्य का कहना है कि भर्ती में बड़े पैमाने पर नकल और पेपर लीक हुआ था, जिसमें RPSC के पूर्व चेयरमैन और अन्य सदस्यों की संलिप्तता थी। उन्होंने मांग की है कि भर्ती को पूरी तरह रद्द कर नई प्रक्रिया शुरू की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद अब इस मामले में अंतिम सुनवाई का इंतजार है। कोर्ट ने सरकार और RPSC को निर्देश दिया है कि वे भर्ती प्रक्रिया से संबंधित सभी दस्तावेज और सबूत पेश करें। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
नागौर सांसद और आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल, जो इस मामले में लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, ने कहा, "हमने 146 दिनों तक जयपुर में आंदोलन किया, डेढ़ लाख लोगों की रैली निकाली, और लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला पेपर लीक माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की दिशा में एक कदम होगा।"