शिल्पग्राम: राजस्थान की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत दर्पण
शिल्पग्राम, उदयपुर में आयोजित होने वाला एक सांस्कृतिक महोत्सव, राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रदर्शन है। यहाँ 'रिदम ऑफ इंडिया' और 'कलर्स ऑफ इंडिया' जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय लोक संस्कृति, संगीत, और नृत्य की विविधता को दर्शाया जाता है। मणिपुर का लाई हरोबा, कश्मीर का रोफ, जयपुर घराने का कत्थक, राजस्थान के गैर और चरी नृत्य, गुजरात का तलवार रास, और पंजाब की लुड्डी जैसे नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। 400 से अधिक हस्तशिल्प स्टॉल, पारंपरिक व्यंजन, और सांस्कृतिक प्रदर्शन इस मेले के मुख्य आकर्षण हैं। यह आयोजन 30 दिसंबर तक चला, जिसमें हर आयु वर्ग के लोग भारतीय संस्कृति के रंगों का आनंद ले सके।

आइए, एक ऐसी जगह की सैर पर चलें, जहां राजस्थान की मिट्टी की महक, रंग-बिरंगे परंपराओं की चमक और हस्तशिल्प की बारीकियां एक साथ सांस लेती हैं! शिल्पग्राम, जयपुर के जवाहर कला केंद्र में बसा यह अनोखा गांव, मानो राजस्थान की सांस्कृतिक आत्मा को एक छोटे से कैनवास पर उकेर देता है। यह कोई साधारण जगह नहीं, बल्कि एक जादुई दुनिया है, जहां हर कोना मेवाड़ की शाही भव्यता, मारवाड़ की रेगिस्तानी रौनक, शेखावाटी की हवेली कला, हाड़ौती की मिट्टी की सोंधी खुशबू और ढूंढाड़ की लोक-कथाओं को बयां करता है।
यहां कदम रखते ही ऐसा लगता है, जैसे समय की मशीन आपको राजस्थान के गाँव-गाँव की सैर करा रही हो। शिल्पग्राम में बने पारंपरिक घर, जिन्हें ढाणी कहा जाता है, हर संभाग की अनूठी वास्तुकला और जीवनशैली का जीवंत नमूना हैं। मिट्टी की दीवारों पर नक्काशी, रंग-बिरंगे चित्र, और छप्पर की छांव में बनी बैंचें आपको उस दौर में ले जाती हैं, जब कारीगर अपने हाथों से इतिहास रचते थे। और हां, अगर भूख लगे, तो यहां का रेस्टोरेंट आपको राजस्थानी थाली का ऐसा स्वाद चखाएगा कि जीभ तालियां बजाने लगेगी!
शिल्पग्राम सिर्फ देखने की जगह नहीं, बल्कि जीने की जगह है। यहां समय-समय पर शिल्प मेलों, लोक नृत्य, और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन होता है, जहां आप राजस्थानी कारीगरों को लाइव काम करते देख सकते हैं। जवाहर कला केंद्र के इस अनमोल रत्न को 1993 में शुरू किया गया था, और तब से यह कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक तीर्थस्थल बन चुका है।
रोचक खबर: शिल्पग्राम को नया रंग देगी दिया कुमारी की दूरदर्शिता!
जयपुर, 18 मई 2025: राजस्थान की सांस्कृतिक धड़कन, शिल्पग्राम, जल्द ही और चमकने वाला है! आज सुबह, जब सूरज की किरणें जयपुर की गुलाबी गलियों को चूम रही थीं, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम का औचक दौरा किया। उनके साथ जवाहर कला केंद्र के आला अधिकारी थे, और माहौल में एक अलग ही जोश था। मानो शिल्पग्राम की मिट्टी खुद कह रही हो, "मुझे नया रंग दो, मैं दुनिया को और मोह लूं!"
दिया कुमारी ने शिल्पग्राम की हर ढाणी को गौर से देखा—मेवाड़ की शाही शान, मारवाड़ की रेगिस्तानी सादगी, शेखावाटी की भित्ति-चित्रकारी, और हाड़ौती की माटी की महक। हर कोने में राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर सांस ले रही थी, लेकिन उप मुख्यमंत्री की नजर भविष्य पर थी। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत निर्देश दिए कि स्थानीय आर्किटेक्ट्स के साथ मिलकर इन पारंपरिक संरचनाओं को और आकर्षक बनाया जाए। "शिल्पग्राम हमारी विरासत का जीवंत दर्पण है," उन्होंने कहा, "यहां हर पर्यटक को राजस्थान की आत्मा से रू-ब-रू होना चाहिए।"
उनका विजन साफ था—शिल्पग्राम को सिर्फ एक प्रदर्शनी स्थल नहीं, बल्कि लोक संस्कृति का एक जीवंत केंद्र बनाना है। उन्होंने मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए ठोस कदम उठाने को कहा, ताकि यह जगह देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक अनमोल तोहफा बन सके। "हमारी सरकार इस धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और इसे आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है," उनकी आवाज में गर्व और जुनून साफ झलक रहा था।
शिल्पग्राम की गलियों में घूमते हुए, दिया कुमारी ने हर ढाणी को निहारा, मानो हर दीवार की कहानी सुन रही हों। अधिकारियों को उन्होंने सुझाव दिए कि मेले और सांस्कृतिक आयोजनों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि यह जगह हमेशा गुलजार रहे। उनके इस दौरे ने न सिर्फ शिल्पग्राम को नया जोश दिया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि राजस्थान अपनी जड़ों को और मजबूत करने को तैयार है।
तो, तैयार हो जाइए! जल्द ही शिल्पग्राम का नया अवतार आपको राजस्थान की उस जादुई दुनिया में ले जाएगा, जहां हर कदम पर परंपरा और आधुनिकता का मेल होगा। अगली बार जयपुर जाएं, तो शिल्पग्राम की सैर जरूर करें—वहां की मिट्टी की खुशबू और रंगों की रौनक आपका दिल चुरा लेगी,