सर्दी-जुकाम की 'बचाव दवा' बनी जहर! राजस्थान में नकली विनसेट-एल का खुलासा.

राजस्थान में सर्दी-जुकाम और एलर्जी की लोकप्रिय दवा विनसेट-एल (लिवोसिट्राजिन) पूरी तरह नकली निकली। लैब टेस्ट में दवा में सक्रिय तत्व (Active Ingredient) बिल्कुल शून्य पाया गया। हिमाचल प्रदेश की YL Pharma कंपनी की लैब सील, 20 लाख की नकली दवाएं जब्त। पिछले एक महीने में ही राजस्थान में 24 से ज्यादा दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। नकली और अमानक दवाओं का कारोबार तेज, मरीजों की जान खतरे में।

Nov 20, 2025 - 13:24
सर्दी-जुकाम की 'बचाव दवा' बनी जहर! राजस्थान में नकली विनसेट-एल का खुलासा.

जयपुर, 20 नवंबर 2025: सर्दियों का मौसम आते ही सर्दी-जुकाम और एलर्जी की शिकायतें बढ़ जाती हैं, लेकिन राजस्थान में यह आम समस्या जानलेवा साबित हो रही है। बाजार में बिक रही लोकप्रिय एंटी-एलर्जी दवा 'विनसेट-एल' (लिवोसिट्राजिन डाईहाइड्रोक्लोराइड) की गोली में मुख्य दवा का नामोनिशान तक नहीं मिला। राज्य की राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की जांच में यह दवा पूरी तरह नकली साबित हुई, जिसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने हिमाचल प्रदेश की एक फार्मा कंपनी की लैब सील कर दी और करीब 20 लाख रुपये कीमत की नकली दवाओं को जब्त कर लिया। यह मामला राजस्थान में नकली दवाओं के काले कारोबार की पोल खोल रहा है, जहां पिछले एक महीने में ही दो दर्जन से ज्यादा दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं।

नकली दवा का धंधा: सर्दी-जुकाम से एलर्जी तक, हर गोली में खतरा

राजस्थान में नकली और अमानक दवाओं की सप्लाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। खासकर सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और एलर्जी जैसी सामान्य बीमारियों की दवाओं पर फर्जीवाड़ा सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। हाल ही में सामने आए विनसेट-एल मामले ने सबको झकझोर दिया। यह दवा एलर्जी, नाक बहना, खुजली और सर्दी-जुकाम के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टरों द्वारा बड़े पैमाने पर लिखी जाती है। लेकिन हाई-परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC) टेस्ट में पाया गया कि बैच नंबर YLT-25023 वाली इस टैबलेट में लिवोसिट्राजिन का अंश 'शून्य' है। यानी यह महज एक खाली गोली है, जो मरीजों को नुकसान पहुंचा सकती है।चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभमंगला ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के बद्दी इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित वाईएल फार्मा प्राइवेट लिमिटेड की फैक्ट्री से यह दवा सप्लाई हो रही थी। शिकायत मिलते ही सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, और रिपोर्ट आने के बाद तत्काल बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। विभाग ने कंपनी की लैब को सील कर दिया और बाजार से सभी स्टॉक जब्त करने के आदेश जारी किए। यह कार्रवाई न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है, क्योंकि ऐसी नकली दवाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर गंभीर संक्रमण का खतरा पैदा कर सकती हैं। 

दो दर्जन से ज्यादा सैंपल फेल: नशीली दवाओं का जाल

यह मामला अकेला नहीं है। पिछले एक महीने (अक्टूबर-नवंबर 2025) में खाद्य सुरक्षा एवं दवा आयुक्तालय ने बाजार से लिए गए सैंपल्स की जांच में 20 से अधिक दवाओं को अमानक घोषित किया है। इनमें सर्दी-जुकाम से जुड़ी कई दवाएं शामिल हैं, जैसे:एलसीमास्क-एम (लिवोसिट्राजिन + मोंटेलुकास्ट): एडविन फार्मा की यह दवा भी सैंपल टेस्ट में फेल हुई। एलर्जी और सांस की तकलीफ में इस्तेमाल होने वाली यह गोली घटक मात्रा में कमी के कारण खतरनाक साबित हुई।

निमोस्लाइड + पेरासिटामोल टैबलेट: एस्पर फार्मास्युटिकल्स की यह दवा बुखार और दर्द निवारक के रूप में लोकप्रिय है, लेकिन जांच में अमानक पाई गई। 

अन्य अमानक दवाएं: विटामिन D-3, कैल्शियम सप्लीमेंट्स, खून पतला करने वाली हेपारिन सोडियम इंजेक्शन, मानसिक रोगों के लिए अल्प्राजोलम टैबलेट, और संक्रमण कंट्रोल के लिए सल्फामेथोक्साजोल + ट्राइमेथोप्रिम इंजेक्शन।

ये दवाएं जयपुर, जोधपुर, उदयपुर समेत विभिन्न जिलों के बाजारों से जब्त की गईं। विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन दवाओं को तुरंत बाजार से हटाया जाए और अन्य बैचों की जांच तेज की जाए। औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने कहा, "नकली दवाओं में नशीली या हानिकारक तत्व मिलाए जाते हैं, जो मरीजों की जान जोखिम में डाल सकते हैं। हम सख्त कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन जनता को भी सतर्क रहना होगा।" 

बड़ा सवाल: क्यों फेल हो रही हैं इतनी दवाएं?

 विभाग पर सवालराजस्थान में नकली दवाओं का यह कारोबार नया नहीं है। पिछले तीन सालों में 58 से ज्यादा नकली दवाएं पकड़ी गईं, लेकिन कोर्ट में पहुंचने वाले मामलों की संख्या न के बराबर है। एक साल में ही 290 दवाएं गंभीर रूप से अमानक पाई गईं, फिर भी अधिकांश कंपनियों पर कोई सजा नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि घटक मात्रा, घुलनशीलता और वजन में खामियां आम हैं, जो सस्ते उत्पादन के चक्कर में की जाती हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की रिपोर्ट्स भी यही चेतावनी देती हैं कि बाजार में 25% तक दवाएं नकली या अमानक हो सकती हैं।इस फर्जीवाड़े से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं आम नागरिक, खासकर ग्रामीण इलाके जहां जागरूकता कम है। सर्दी-जुकाम जैसी छोटी बीमारी भी अनुपचारित रहने पर निमोनिया या सांस की बीमारी में बदल सकती है।

बचाव के उपाय: नकली दवा से कैसे बचें?

पैकेजिंग चेक करें: असली दवा पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट साफ हो। होलोग्राम और QR कोड स्कैन करें। 

लाइसेंस वाली दुकान से खरीदें: केवल रजिस्टर्ड फार्मेसी से दवा लें। ऑनलाइन खरीदते समय विश्वसनीय प्लेटफॉर्म चुनें।

डॉक्टर की सलाह लें: खुद से दवा न लें। सर्दी-जुकाम में पहले घरेलू उपाय जैसे अदरक-तुलसी का काढ़ा आजमाएं।

शिकायत करें: संदिग्ध दवा मिले तो हेल्पलाइन 1800-180-5501 पर कॉल करें या ड्रग कंट्रोल विभाग को सूचित करें।

चिकित्सा विभाग ने चेतावनी जारी की है कि नकली दवाओं की बिक्री पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जाएगी। सख्त निगरानी और तेज जांच से इस जहर के कारोबार को रोका जा सकता है।